जयपुर :आमेर के मावठा सरोवर में 7 साल बाद फिर से छठ पूजा शुरू हो रही है. पुरातत्व विभाग ने सुरक्षा की दृष्टि से 7 साल पहले वर्ष 2018 में मावठा में छठ पूजा पर रोक लगा दी थी. मैथिली समाज की मांग को देखते हुए पुरातत्व विभाग ने तीन दिन के लिए छठ पूजा की अनुमति दी है, लेकिन नियमों की पालना करना जरूरी होगा. छठ पूजा 7 नवंबर की शाम से शुरू होगी और 8 नवंबर की सुबह तक चलेगी. 6 नवंबर से 8 नवंबर तक 3 दिन की अनुमति जारी की गई है.
मैथिल परिषद के अध्यक्ष दिलीप कुमार झा ने बताया कि आमेर में बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लगभग 45 हजार से भी ज्यादा लोग रहते हैं. छठ पूजा मैथिली समाज का मुख्य त्योहार माना जाता है. जगह नहीं होने के कारण मजबूरी में लोग इसे घर में ही मनाने लगे थे, इसलिए पुरातत्व विभाग से इसकी अनुमति मांगी गई थी और विभाग ने छठ पूजा के लिए 3 दिन की अनुमति दी है. वन विभाग ने मावठे से मगरमच्छ का रेस्क्यू करके दूसरे जल स्रोत में छोड़ दिया है. अब माता सरोवर में कोई मगरमच्छ नहीं होने से सुरक्षा का खतरा भी नहीं है. छठ पर्व मनाने की पूरी तैयारियां शुरू हो गई है. पुरातत्व विभाग की शर्तों के अनुसार मैथिली समाज की ओर से मावठे को साफ कराया जाएगा. शाम को 6 बजे बाद तेज आवाज में संगीत और पटाखे चलाने की अनुमति नहीं होगी.
आमेर महल अधीक्षक राकेश छोलक (ETV Bharat Jaipur) इसे भी पढ़ें-इस बार कब है ऊब छठ का व्रत, जानें कैसे करते हैं व्रत के दिन पूजन - Ub Chhath Festival
शोर शराबा नहीं करने के निर्देश : आमेर महल अधीक्षक राकेश छोलक ने बताया कि 7 साल बाद आमेर के मावठा में छठ की पूजा अर्चना करने की अनुमति दी गई है. पहले वर्ष 2017 तक आमेर मावठा सरोवर में छठ की पूजा-अर्चना की जाती थी. वर्ष 2018 में मावठा सरोवर में मगरमच्छ दिखने की वजह से छठ पूजा बंद कर दी गई थी. इसके बाद मैथिली समाज की मांग पर पुरातत्व विभाग के निदेशक से इस संबंध में चर्चा की गई. लाइट एंड साउंड शो का ध्यान रखते हुए मैथिली समाज को पाबंद किया गया है कि तेज साउंड और शोर शराबा नहीं करें. शाम 6:00 बजे बाद किसी प्रकार की आतिशबाजी नहीं करें. पूजा-अर्चना का कार्यक्रम शाम 6 बजे तक समापन करें, ताकि लाइट एंड साउंड शो में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं हो.
आमेर महल अधीक्षक राकेश छोलक ने बताया कि आमेर मावठा सरोवर पर छठ पूजा के लिए 6 नवंबर से 8 नवंबर तक 3 दिन की अनुमति जारी की गई है. कार्यक्रम के दौरान राजस्थान स्मारक पुरावशेष स्थान और प्राचीन वस्तु अधिनियम 1961 और राजस्थान स्मारक, पुरावशेष स्थान और प्राचीन वस्तु नियम 1968 की पूर्ण पालना का ध्यान रखा जाएगा. कार्यक्रम के दौरान किसी तरह का तेज साउंड सिस्टम नहीं बजाया जाएगा, ना ही पटाखों का शोर शराबा किया जाएगा. छठ पूजा के दौरान एकत्रित होने वाले श्रद्धालुओं के व्यवहार और सुरक्षा की जिम्मेदारी राजस्थान मैथिल परिषद की होगी.