छतरपुर: बुंदेलखंड में देवी मंदिरों की अलग-अलग मान्यताएं और सिद्धियां हैं. नवरात्रि के पर्व पर देवी मंदिरों में रोजाना भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. सच्ची श्रद्धा भाव से माता की भक्ति करने पर भक्तों की मनोकामना भी पूरी होती है. छतरपुर के सिद्ध पीतांबरा पीठ मंदिर की मान्यता भी दूर-दूर तक है. ऐसी मान्यता है कि भूत प्रेत,बाधा,दुखों का नाश करने के लिए इस मंदिर में बस आपको एक आवेदन लगाना पड़ता है और शुरू हो जाती है माता रानी की कृपा.
दतिया के साथ छतरपुर में विराजी मां पीतांबरा
छतरपुर में विराजी मां पीतांबरा की ख्याति एक शक्ति पीठ के रूप में है. एक पीतांबरा माता दतिया में विराजी हैं तो उन्हीं की छाया छतरपुर में पीतांबरा माता मानो साक्षात विराजी हैं. पुरातन काल से ही पीतांबरा माता बगलामुखी को तंत्र-मंत्र साधना की देवी के रूप में जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि संकट से बचने के लिए और मुकदमों पर विजय के लिए माता पीतांबरा की पूजा की जाती है.
'एक आवेदन से बरसने लगती है माता की कृपा'
पीतांबरा मंदिर के पुजारी ब्रजेश महाराज बताते हैं कि "छतरपुर में पीतांबरा पीठ मंदिर में आपको अपने दुखों, कष्टों,भूत-प्रेत बाधाओं को दूर करने के लिए एक आवेदन भर कर देना होता है. कहा जाता है कि जैसे ही आप आवेदन को पूरा भरकर मंदिर में जमा करते हैं तो माता की कृपा होना शुरू हो जाती है. आवेदन में आपको अपना नाम, पता, मोबाईल नंबर, रोग, कितनी जगह पहले इलाज करा चुके सभी स्थानों का विवरण भरकर देना होता है. इसके लिए रविवार का दिन तय है. दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक यह अर्जी लगाई जाती है. जैसे किसान जमीन पर बीज डालता है तो फल मिलता ही है उसी प्रकार जो भी पीतांबरा माई के पास अर्जी लगाता है उसको फल जरूर मिलता है."