छतरपुर।उत्तर प्रदेश के गांवों को मध्य प्रदेश से जोड़ने के लिए यूपी व भारत सरकार द्वारा संयुक्त रूप से एक खास सड़क बनाई जा रही है. छतरपुर जिले के नौगांव धवर्रा से खमा तक 11.5 किमी लंबी सड़क का निर्माण किया जा रहा है. खास बात ये है कि इस सड़क का निर्माण एफडीआर तकनीक से किया जा रहा है. इस सड़क की लागत 10 करोड़ 19 लाख है. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में टिकाऊ व सस्ती सड़कें बनाने के लिए अपनाई जा रही यह तकनीक किफायती साबित हो रही है.
कम लागत में बनाई जाती है मजबूत सड़क
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना विभाग ने बुंदेलखंड क्षेत्र में सड़क निर्माण में हाईटेक सिस्टम का उपयोग शुरू किया है. इसकी शुरुआत नौगांव से लगे हुए धवर्रा से खमा तक बनाई जा रही सड़क में किया जा रहा है. एफडीआर पद्धति से बनने वाली बुंदेलखंड क्षेत्र की यह पहली सड़क होगी. फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) एक रिसाइकिलिंग पद्धति है. इसमें बहुत ही कम संसाधनों में टिकाऊ सड़कें बनाई जा सकती हैं. खराब हो चुकी पक्की सड़क को उखाड़कर उससे निकलने वाले मटेरियल में केमिकल मिलाकर नया मटेरियल तैयार किया जाता है और फिर उसे सड़क पर डाला जाता है. इस पद्धति से सड़क निर्माण में आने वाली लागत 20 से 25 प्रतिशत कम होती है, जबकि इससे बनी सड़क की मजबूती भी अन्य सड़कों की तुलना में दोगुना होती है.
सरकार को होती है करोड़ों की बचत
एफडीआर तकनीक से बनने वाली सड़कों का निर्माण जल्दी और टिकाऊ होने के साथ ही बचत भरी होता है. विकास कार्यों के आड़े आनी वाली संसाधनों की कमी से पार पाने के लिए सड़क निर्माण के क्षेत्र में फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक उम्मीद की किरण साबित हुई है. इस तकनीक से सड़कें बनाने पर सरकार को करोड़ों रु की बचत होगी. उत्तर प्रदेश ग्राम सड़क विकास अभिकरण के मुख्य अभियंता आरके चौधरी ने बताया कि ''सड़क बनाने के परंपरागत तरीके की तुलना में एफडीआर तकनीक में 15 से 20 प्रतिशत कम लागत आती है. इस तकनीक से रोजाना 700 से 800 मीटर की लंबाई में एफडीआर बेस तैयार किया जा सकता है, जिससे सड़क निर्माण भी तेजी से होता है. सड़कें ज्यादा टिकाऊ होती हैं. परंपरागत तरीके से बनाई जाने वाली सड़कों की उम्र औसतन पांच वर्ष होती है, जबकि एफडीआर तकनीक पर आधारित सड़क 10 वर्ष से पहले खराब नहीं होती.''
आखिर क्या है एफडीआर तकनीक