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रामसहाय ने भारतीय संविधान में किए हस्ताक्षर, हौसला तोड़ने अंग्रेजों ने सुनाई थी सजा अनोखी सजा - CHHATARPUR FREEDOM FIGHTER

देश की आजादी के लिए कई क्रांतिकारियों ने बड़ा योगदान दिया है. इनमें से बुंदेलखंड के पंडित रामसहाय तिवारी भी थे.

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देश की आजादी में क्रांतिकारी पंडित रामसहाय का बड़ा योगदान (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 26, 2025, 9:31 PM IST

Updated : Jan 26, 2025, 10:44 PM IST

छतरपुर( मनोज सोनी): देश अपना 76 वां गणतंत्र दिवस माना रहा है. इस आजादी के लिए हमारे पूर्वजों ने जो बलिदान दिया, उसको भूला नहीं जा सकता है. उन्होंने जो गुलामी झेली उसकी कल्पना करने मात्र से रूह कांप जाती है. अंग्रेजी हुकूमत की गुलामी से बुंदेलखंड को आजाद करवाने और भारतीय संविधान लागू होने में अहम भूमिका निभाने वाले बुंदेलखंड के पंडित राम सहाय तिवारी देश के राजाओं और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हमेशा मुखर रहे है. उसका खामियाजा भी उनको भोगना पड़ा, लेकिन वह कभी पीछे नहीं हटे.

अंग्रेजों ने 10 जूते मारने की सुनाई सजा

पंडित राम सहाय तिवारी ने अंग्रेजों के खिलाफ कई लड़ाइयां लड़ी हैं. उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़ कर भाग लिया. अंग्रेजी सरकार की नाक में दम कर किया था. उनकी ससुराल यूपी की चरखारी में थी, बेइज्जती करने के लिए अंग्रेजों ने वहां पकड़कर 10 जूते मारने की सजा सुनाई थी, लेकिन अंग्रेज उनका हौसला नहीं तोड़ सके. ऐसे ही सेनानियों के बलिदान की बदौलत आज हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं.

अंग्रेजों ने 10 जूते मारने की सुनाई सजा (ETV Bharat)

महोबा में हुई रामसहाय की पढाई

पंडित रामसहाय तिवारी का जन्म 10 जून 1902 को टहनगा निवासी मातादीन तिवारी और कृष्णा देवी के घर में हुआ था. प्रारम्भिक शिक्षा महोबा में हुई. महोबा में आजादी की जनसभा से पंडित रामसहाय ने संघर्ष शुरू किया. मिडिल परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने पर जब अध्यापक की नौकरी मिली. महाराजा हाई स्कूल छतरपुर से भी आजादी की लड़ाई लड़ने के कारण निष्कासित कर दिया गया.

महात्मा गांधी के रास्ते पर चले पंडित रामसहाय तिवारी (ETV Bharat)

चंद्रशेखर आजाद को 6 रिवॉल्वर दी

महात्मा गांधी से प्रभावित होकर पंडित रामसहाय तिवारी ने चार आने (चवनी) में कांग्रेस की सदस्यता ली थी. बुंदेलखंड के इतिहासकार शंकर लाल सोनीबताते हैं कि "पंडित रामसहाय तिवारी चंद्रशेखर आजाद के बुंदेलखंड आगमन के बाद क्रान्तिकारी गतिविधियों के प्रति अग्रसर हुए और चंद्रशेखर आजाद के लिए 6 रिवॉल्वरों का इंतजाम भी रामसहाय ने किया था. बाद में गांधीजी से प्रभावित होकर उन्होंने क्रान्ति का मार्ग त्याग कर अहिंसात्मक मार्ग को अपनाया लिया था."

संविधान पर रामसहाय तिवारी ने किए हस्ताक्षर

आजादी के बाद विन्ध्य प्रदेश की सीमाओं का निर्धारण हुआ और राजधानी नौगांव की जगह रीवा को बनाया गया. नए विंध्य प्रदेश के प्रधानमंत्री अवधेश प्रताप सिंह बनाए गए. वहीं रीवा राजधानी बनने के बाद से 1950 तक भारतीय संविधान बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई. इस दौरान पंडित रामसहाय तिवारी को बुंदेलखंड से संविधान सभा के सदस्य के रूप में शामिल किया गया था. जब 26 जनवरी 1950 को पूरे देश में संविधान लागू किया गया, तब संविधान की मूल प्रति में हस्ताक्षर करने वाले निर्माता सदस्य के रूप में पंडित रामसहाय तिवारी ने भी हस्ताक्षर किए और भारतीय संविधान लागू हुआ.

Last Updated : Jan 26, 2025, 10:44 PM IST

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