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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में आज कामकाज ठप, चंडीगढ़ जिला अदालत के वकीलों के समर्थन में आए हाईकोर्ट के एडवोकेट, टेनेंसी एक्ट का विरोध - lawyers on strike - LAWYERS ON STRIKE

lawyers on strike: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की कार्यवाही आज ठप रहेगी, क्योंकि हाईकोर्ट के वकील भी टेनेंसी एक्ट ड्राफ्ट (Chandigarh Union Territory Tenancy Act 2019) का विरोध कर रहे चंडीगढ़ जिला अदालत के वकीलों के समर्थन में आ खड़े हुए हैं. इसी कारण हाईकोर्ट के वकीलों ने आज कामकाज ठप रखने का फैसला किया है.

हाईकोर्ट में कामकाज ठप
हाईकोर्ट में कामकाज ठप (Etv Bharat)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jul 26, 2024, 12:14 PM IST

चंडीगढ़: पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में आज कामकाज नहीं होगा. कामकाज नहीं होने से पंजाब और हरियाणा संबंधी हजारों केसों की सुनवाई टल जाएगी. हाइकोर्ट के वकील चंडीगढ़ डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन (डीबीए) की हड़ताल को अपना समर्थन दे रहे हैं.

डीबीए के वकीलों के कामकाज बंद का पांचवा दिन: दरअसल चंडीगढ़ डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन (डीबीए) के वकीलों ने प्रस्तावित टेनेंसी एक्ट-2019 के विरोध में काम करना बंद किया हुआ है. वकीलों के कामकाज बंद करने का आज पांचवा दिन है और पांचवें दिन पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के वकील भी उनके समर्थन में आ खड़े हुए हैं. हालांकि चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से वकीलों की मांग के संबंध में फिलहाल तक कोई सकारात्मक रिस्पांस नहीं आया है. बार एग्जीक्यूटिव कमेटी चंडीगढ़ के प्रशासक से इस मुद्दे पर मुलाकात कर सकती है. गौरतलब है कि वकील सेक्टर-43 जिला अदालत से हाईकोर्ट तक कार रैली भी निकल चुके हैं. इसी दौरान वकीलों ने हाईकोर्ट बार की एग्जीक्यूटिव कमेटी से समर्थन मांगा. इसके बाद आज हाईकोर्ट में नो वर्क डे का फैसला किया गया.

टेनेंसी एक्ट-2019 का विरोध: चंडीगढ़ यूनियन टेरिटरी टेनेंसी एक्ट 2019 के पास होने पर चंडीगढ़ जिला अदालत के मामलों पर असर पड़ेगा. प्रस्तावित टेनेंसी एक्ट-2019 के पास होने पर रेंट संबंधी सभी मामलों की सुनवाई की शक्ति जिला अदालत के बजाय एसडीम कोर्ट के पास चली जाएंगी. साथ ही इन मामलों में अपील भी डीसी को की जा सकेगी. जबकि वर्तमान में ऐसे मामलों की सुनवाई रेंट कंट्रोलर ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास और सिविल जज के पास हैं. एक्ट पास होने पर यह शक्तियां एसडीएम को मिल जाएंगी. वकीलों का कहना है कि जब आईएएस अफसरों को कानून की सही जानकारी ही नहीं होती तो ऐसे में इन मामलों का निपटारा वह कैसे कर सकते हैं.

पंजाब विधानसभा में एक्ट संशोधित: वर्ष 2013 में बार काउंसिल ऑफ पंजाब एवं हरियाणा ने हाईकोर्ट में पीआईएल दायर कर पंजाब रेंट एक्ट-1995 के चैप्टर 5-6 को गैर संवैधानिक बताते हुए रद्द करने की मांग की थी. एक्ट में रेंट केसों में सुनवाई की शक्तियां एसडीएम, सब-रजिस्ट्रार और ज्वाइंट सब-रजिस्ट्रार को दी गई थी. बार काउंसिल ने इसे ज्यूडिशियरी और एग्जीक्यूटिव के बीच शक्तियों के विभाजन के संवैधानिक जनादेश का उल्लंघन बताया था. पंजाब सरकार ने कहा था कि एक्ट में संशोधन कर दिया गया है. रेंट अथॉरिटी और रेंट ट्रिब्युनल्स की शक्तियां सब-डिविजनल अफसरों के बजाय ज्यूडिशियल अफसरों को दे दी गई हैं. गवर्नर से मंजूरी के बाद पंजाब रेंट (अमेंडमेंट) एक्ट-2014 बना था.

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