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चंडीगढ़ डिस्टिक कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, अमेरिकी कोर्ट के फैसले को ही पलट डाला, जानिए पूरा मामला - CHANDIGARH DISTRICT COURT

चंडीगढ़ डिस्टिक कोर्ट ने एक तलाक मामले में अमेरिकी कोर्ट के फैसले को ही पलट डाला. अधिक जानकारी के लिए पढ़ें पूरी रिपोर्ट.

CHANDIGARH DISTRICT COURT
चंडीगढ़ डिस्टिक कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला (ETV Bharat)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Feb 21, 2025, 9:21 AM IST

चंडीगढ़:चंडीगढ़ सेक्टर 43 स्थित जिला अदालत ने तलाक के एक महत्वपूर्ण मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. अदालत ने अमेरिका की सुपीरियर कोर्ट ऑफ कैलिफोर्निया द्वारा 5 साल पहले के दिए गए तलाक के फैसले को अमान्य करार दिया है. यह निर्णय हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत लिया गया है.

ये है पूरा मामला:दरअसल, हरियाणा के यमुनानगर की एक युवती की शादी 28 मई 2019 को यमुनानगर के एक युवक के साथ हुई थी. उनकी शादी हिंदू मैरिज एक्ट के तहत 13 जून 2019 को यमुनानगर के रजिस्टार ऑफिस में रजिस्टर्ड हुई थी. शादी के बाद दोनों कुछ समय तक यमुनानगर में रहे, लेकिन हनीमून के लिए केरल गए. कुछ समय बाद युवक और युवती दोनों अमेरिका चले गए. अमेरिका जाने के बाद युवक ने युवती को अकेले छोड़ दिया और कैलिफोर्निया के सुपीरियर कोर्ट में तलाक की अर्जी दायर कर दी.

महिला ने अमेरिकी कोर्ट के फैसले को दी चुनौती:इधर, महिला ने अमेरिकी अदालत में इसका विरोध किया, लेकिन अदालत ने उसकी दलीलों को नजरअंदाज करते हुए युवक के हक में फैसला सुना दिया. इसके बाद युवती ने चंडीगढ़ जिला अदालत में सिविल केस दायर कर अमेरिका कोर्ट के फैसले को चुनौती दी.

अमेरिकी कोर्ट के फैसले को चंडीगढ़ डिस्टिक कोर्ट ने पलट डाला (ETV Bharat)

चंडीगढ़ कोर्ट का फैसला: मामले में चंडीगढ़ सिविल जज कौशल कुमार यादव की अदालत ने ऐतिहासिक निर्णय लिया. भारतीय कानून के अनुसार यदि कोई विदेशी अदालत हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत फैसला नहीं लेती है, तो उसे भारत में मान्यता नहीं दी जा सकती. इस केस में अमेरिकी कोर्ट ने महज साढ़े 3 महीने की शादी में तलाक की मंजूरी दे दी थी, जबकि हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 14 के तहत शादी के 14 माह तक तलाक की याचिका दायर नहीं की जा सकती. याचिका का दायर होने के बाद से युवक अदालत में पेश नहीं हुआ, जिससे मामला और मजबूत हो गया. चंडीगढ़ जिला अदालत ने अमेरिकी अदालत के फैसले को अमान्य घोषित कर युवती के हक में निर्णय सुनाया.

तलाक से बचने की कोशिश:इस मामले में एडवोकेट जी एस कौशल ने बताया कि युवती ने युवक के खिलाफ चंडीगढ़ के विभिन्न पुलिस स्टेशन में घरेलू हिंसा की शिकायत दी थी. इसके आधार पर पुलिस ने युवक के खिलाफ आईपीसी धारा 406 498 ए के तहत FIR दर्ज की थी. जहां केस की सुनवाई के दौरान अदालत में पेश न होने पर कोर्ट की ओर से युवक को भगोड़ा घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी.

जानिए क्या है इस फैसले का महत्व:चंडीगढ़ जिला अदालत का यह फैसला उन लोगों के लिए मिसाल है, जो विदेशी अदालतों के जरिए भारतीय कानून को दरकिनार कर तलाक ले लेते हैं. यह निर्णय न केवल भारतीय कानून के सर्वोच्चता को स्थापित करता है. बल्कि महिलाओं के अधिकारों की रक्षा भी करता है. ऐसे में भारतीय विवाह कानून को दरकिनार कर विदेशी अदालतों में तलाक लेने वाले लोगों को अब कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.

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