वाराणसी:मिडल ईस्ट में भी अब भारतीय धर्म संस्कृत भाषा और शास्त्री परंपरा को लोग जान सकेंगे. इसके लिए संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय एवं बहरीन के नवभारत इंटरनेशनल संस्था के साथ एमओयू हुआ है. दोनों संस्थाओं के बीच एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर हुआ है, जिसमें दोनों संस्थाओं के छात्र ज्योतिष विज्ञान और वास्तु शास्त्र की कला को सीख सकेंगे. इसके साथ ही रिसर्च संस्कृत वेद वेदांत और शास्त्र की पढ़ाई भी कर सकेंगे.
बता दें कि,इस समझौते के तहत भारतीय ज्ञान परंपरा और शास्त्रों को बहरीन के संस्था में उनके अकादमी का हिस्सा बनाया जाएगा.जिससे दुनिया भर में भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा को लोग अब करीब से जान सकेंगे. इस बारे में संपूर्णानंद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि, दोनों संस्थाओं के बीच ऑफलाइन और वर्चुअल दोनों मीडियम से भारतीय ज्ञान परंपरा को बढ़ावा दिया जाएगा,जिससे दोनों की संस्कृति और बेहतर होगी. उन्होंने बताया कि,बहरीन के साथ मिलकर संस्था वैदिक रिसर्च को और भी ज्यादा आगे बढ़ाएगी.
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मिडिल ईस्ट में संस्कृत का बोलबाला, संस्कृत यूनिवर्सिटी और बहरीन के बीच MOU - Bahrain with Sanskrit University - BAHRAIN WITH SANSKRIT UNIVERSITY
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का बहरीन के नवभारत इंटरनेशनल के साथ एमओयू हुआ है. अब दोनों संस्थाओं के छात्र ज्योतिष विज्ञान और वास्तु शास्त्र की कला को सीख सकेंगे.
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : Aug 30, 2024, 12:42 PM IST
छात्र कर सकेंगे सर्टिफिकेट कोर्स:वहीं, इस बारे में बहरीन के संस्था संचालक प्रदीप कुमार ने कहा, कि बहरीन अंपायर में भारतीय संस्कृति कला भाषा और विभिन्न सामाजिक सांस्कृतिक और ह्यूमन एक्टिविटी को और आगे बढ़ाया जा रहा है. इसी के तहत संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के साथ यह समझौता हुआ है. जिसके तहत दोनों संस्थाएं छात्रों के सर्टिफिकेट कोर्स के साथ संस्कृत का प्रचार प्रसार भी करेंगे.
ये बिन्दु है शामिल
- दोनों संस्थान वैदिक ज्ञान-परम्परा और संस्कृत भाषा के प्रचार, शिक्षण, प्रमाणीकरण के उद्देश्य से सहयोग करेंगे.
- दोनों संस्थान आभासी कक्षाएं, कार्यशालाएं, सम्मेलन आयोजित करेंगे.
- संकाय सदस्यों के समान आदान-प्रदान के लिए तौर-तरीके निर्धारित किए जाएंगे.
- दोनों संस्थानों के शोधकर्त्ता विद्वान और शिक्षण संकाय भारतीय ज्ञान परंपरा/भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) पर सहयोगात्मक शोध कार्य करेंगे.
- दोनों संस्थान अल्पकालिक संस्कृत पाठ्यक्रम संचालित करेंगे.
- समझौते की शर्तें पार्टियों द्वारा हस्ताक्षर किए जाने पर तुरंत प्रभावी होंगी.
- समझौते को तीन महीने की अग्रिम सूचना देकर समाप्त किया जा सकता है.
- किसी भी विवाद को आपसी चर्चा के आधार पर सुलझाया जाएगा.