भोपाल: केंद्र सरकार ने बुधवार को सफेद बासमती चावल को लेकर बड़ा फैसला लिया है. गैर-बासमती सफेद चावल के एक्सपोर्ट पर से 490 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य को हटा दिया गया है. इस फैसले का प्रमुख उद्देश्य किसानों की आमदनी बढ़ाना है. इसके अलावा पारबॉइल्ड और ब्राउन चावल पर शुल्क 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी किया गया था. बता दें कि 28 सितंबर को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर लगी रोक को हटा दिया था. जिसके बाद फैसला लिया गया था कि सफेद बासमती चावल विदेशों में भी निर्यात होगा. इस फैसले में मध्य प्रदेश के किसानों को भी लाभ होगा.
क्या होता है न्यूनतम निर्यात मूल्य?
आखिर न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) क्या होता है? आपको बता दें कि न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) सरकार द्वारा निर्धारित एक विनियामक सीमा है, जो माल के निर्यात के लिए न्यूनतम मूल्य को नियंत्रित करती है. सरकार एमईपी को निम्न उद्देश्यों के लिए लागू करती है जैसे- अत्यधिक निर्यात को रोकना, घरेलू कीमतों को स्थिर करना, पर्याप्त स्थानीय आपूर्ति सुनिश्चित करना, घरेलू कीमतों को वहनीय बनाए रखना और घरेलू आपूर्ति को बढ़ाना.
किसी भी कीमत पर चावल बेंच सकेंगी कंपनियां
केंद्र सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर लगी रोक को हटा दिया था और एमईपी लागू किया था. अब चावल एक्सपोर्ट पर से 490 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य को भी हटा दिया है. एमईपी को हटाने का मतलब है कि भारतीय कंपनियां गैर-बासमती सफेद चावल को किसी भी कीमत पर विदेश में निर्यात कर सकती हैं. इससे किसानों को लाभ होगा, उन्हें मनचाहे दाम मिल सकते हैं जिससे उनकी आमदनी भी बढ़ जाएगी. लेकिन इससे आम नागरिक की जेब पर असर पड़ेगा, जब चावल की कीमतें ज्यादा हो जाएंगी तो लोगों को भी ज्यादा कीमत पर चावल खरीदना पड़ेगा.