कुल्लू: ब्यास नदी में बाढ़ के चलते जहां जमीनों और घरों को नुकसान हुआ. वहीं, इसके तटीकरण का मामला अब एक बार फिर से अधर में लटक गया है. हालांकि केंद्र सरकार को ब्यास नदी के तटीकरण का मामला प्रदेश से भेजा गया था, लेकिन केंद्र सरकार ने अब उस फाइल को वापस लौटा दिया है. केंद्र सरकार ने निर्देश दिए हैं कि एक बार फिर से सर्वे करवाने के बाद दोबारा से इसका प्रारूप तैयार किया जाए, ताकि आगामी समय में बाढ़ के खतरे से लोगों के घर और जमीनों को सुरक्षित रखा जा सके.
ऐसे में अब जल शक्तिविभाग एक बार फिर से नया प्रारूप तैयार करने में जुट गया है, ताकि जिला कुल्लू के पलचान से लेकर थलोट तक ब्यास नदी के तटीकरण का कार्य शुरू किया जा सके. जिला कुल्लू में काफी लंबे समय के बाद 1669 करोड़ रुपए की लागत का यह प्रोजेक्ट साल 2023 के शुरूआत में केंद्र की मंजूरी के लिए भेजा गया था. जुलाई 2023 में प्राकृतिक आपदा और ब्यास नदी में आई बाढ़ को ध्यान में रखते हुए इस प्रोजेक्ट को अस्वीकार करते हुए इसे नए सिरे से तैयार करने के भी आदेश दिए गए हैं. अब एक बार फिर इस प्रोजेक्ट के प्रारूप को नए सिरे से तैयार करने में जल शक्ति विभाग के अधिकारी जुट गए हैं.
केंद्र ने लौटाई ब्यास के तटीकरण की फाइल (ETV BHARAT) केंद्र ने नए सिरे से फाइल को जमा करने के लिए कहा
केंद्र ने ब्यास नदी के तटीकरण की फाइल को नए सिरे से बनाकर जमा करने को कहा गया है. इसमें ब्यास नदी के क्रॉस सेक्शन, चौड़ाई और तकनीकी अध्ययन के आधार बनाने की बात की है. इसके अलावा लोगों की संपत्ति जमीन, बगीचे और बस्तियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रोजेक्ट को तैयार करने को कहा गया है.
ब्यास नदी में बाढ़ से होता है सड़कों का नुकसान (ETV BHARAT) केंद्र ने इन बिंदुओं पर ध्यान देने के लिए कहा
केंद्र सरकार ने कहा है कि इस प्रोजेक्ट को अब वर्ष 2023 में आई बाढ़ को ध्यान में रखकर बनाया जाए. इसके अलावा ब्यास नदी के इतिहास को ध्यान में रखते हुए धरातल पर काम किया जाए और लोगों के जान-माल के नुक्सान को रोका जा सके. अब 2023 में ब्यास नदी में आई बाढ़ से जहां-जहां नदी ने नुक्सान किया है और जहां-जहां नदी ने अपना चैनल बदला है उसे भी इस प्रारूप का हिस्सा बनाया जाएगा. इसके अलावा जो बस्तियां डेंजर जोन में आती हैं उनकी सुरक्षा के लिए दीवारें बनाने के साथ अन्य आवश्यक कार्य किए जाएंगे. लोगों की जमीन-बगीचों को प्रोटेक्ट करने के लिए सुरक्षा दीवार लगाई जाएगी. नदी के बीच जहां मलबा और चट्टानें अधिक हैं और जहां किनारों को नुक्सान पहुंच रहा है, वहां ड्रेजिंग की जाएगी. इतना ही नहीं, जहां नदी से हाईवे और अन्य सड़कों को नुक्सान होने की संभावनाएं है. वहां भी सुरक्षा दीवार लगाई जाएगी.
ब्यास नदी में बाढ़ से होता है सड़कों का नुकसान (FILE PHOTO) (ETV BHARAT) विभाग के अनुसार हालांकि 2023 में केंद्र की स्वीकृति के लिए भेजे गए प्रोजेक्ट की लागत 1669 करोड़ रुपए थी, लेकिन अब नए सिरे से बनने वाले प्रारूप में प्रोजेक्ट की लागत 2400 करोड़ पहुंचने की संभावनाएं बन गई हैं.ब्यास नदी के तटीकरणके लिए अब 3 बार आई बाढ़ को आधार बनाया जाएगा. इसमें वर्ष 1995 में आई बाढ़ के साथ-साथ 2005 और 2023 की बाढ़ भी अहम रहेगी.
छह साल पहले बनी थी डीपीआर
गौर रहे कि ब्यास नदी के तटीकरण की डीपीआर 6 साल पहले तैयार की थी, लेकिन यह प्रोजेक्ट सिरे नहीं चढ़ पाया. हालांकि इससे पहले भी केंद्र को इसका प्रारूप बार-बार भेजा गया, लेकिन इसे ना तो राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया और न ही केंद्र सरकार ने इसे प्राथमिकता दी. जिस कारण इतने सालों में यह सिर्फ कागजी प्रोजेक्ट बनकर रह गया. हालांकि जिस तरह से इस बार केंद्र सरकार ने इसकी फाइल वापस लौटाकर फिर से फाइल करने की बात की है. उससे हालांकि इसे अब धरातल पर उतरने की उम्मीदे बढ़ने लगी है. अब देखना यह है कि विभाग कितनी गंभीरता के साथ फिर से तैयार कर केंद्र को भेजता है.
जलशक्ति विभाग कुल्लू के अधीक्षण अभियंता विनोद ठाकुर ने कहा कि,'केंद्र सरकार ने ब्यास नदी के तटीकरण की प्रोजेक्ट फाइल वापस भेज दी है, इसे अब नए सिरे से बनाने को कहा गया है. विभाग इसके नए प्रारूप को बनाने में जुट गया है. जल्द ही इसका प्रारूप तैयार कर फिर से केंद्र को भेजा जाएगा. इस प्रोजेक्ट में 2023 को नदी से हुए नुक्सान वाले स्थलों को भी जोड़ा जाएगा.'
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