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अब अस्पतालों में खोजी जा रही खुशी, सुराग ढूंढ रही CBI ने स्वास्थ्य विभाग को भेजा पत्र - Khushi Kidnapping Case - KHUSHI KIDNAPPING CASE

CBI In Khushi Kidnapping Case: मुजफ्फरपुर की खुशी अपहरण कांड की जांच सीबीआई कर रही है. तीन साल बीतने के बाद भी इस मामले में खुशी का कोई पता नहीं चल सका है. अब सीबीआई ने अस्पतालों में खुशी की तलाश शुरू कर दी है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग को पत्र भी भेजा गया है. पढ़ें पूरी खबर.

Khushi Kidnapping Case
खुशी अपहरण कांड (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : May 15, 2024, 12:34 PM IST

मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर के ब्रह्मपुरा थाना क्षेत्र के पमरिया टोला से तीन साल पहले गायब हुई पांच साल की खुशी का सुराग अबतक नहीं मिल पाया है. सीबीआई अब अस्पतालों के जरिए उसे ढूंढ रही है. स्कूलों की नामांकन पंजियों में खुशी जैसी दिखने वाली बच्चियों की जांच में सीबीआई को सफलता नहीं मिली, इसके बाद अब सीबीआई ने अस्पतालों में खोज शुरू की है.

स्वास्थ्य विभाग को भेजा पत्र: सीबीआई ने जिला स्वास्थ्य विभाग को भेजे पत्र में कहा है कि विभाग अपने सभी अस्पतालों को खुशी के बारे में सूचित करे, ताकि अगर वह इलाज के लिए किसी भी अस्पताल में पहुंचती है तो उसकी सूचना मिल सके. खुशी को ढूंढ़कर लाने वाले शख्स को पांच लाख का ईनाम देने की घोषणा पहले ही की जा चुकी है.

पिता का हुआ था पॉलीग्राफ टेस्ट:सीबीआई ने स्वास्थ्य विभाग से कहा है कि ओपीडी में खास तौर पर निगरानी रखी जाए. खुशी का कोई भी सुराग मिलने पर तुरंत सीबीआई को सूचित किया जाए. लंबे अंतराल के बाद खुशी अपहरण कांड में जांच कर रही सीबीआई की गतिविधि सामने आई है. इससे पहले सीबीआई ने खुशी के पिता की पॉलीग्राफ टेस्ट कराई थी. इसके बाद सीबीआई की गतिविधि नहीं दिख रही थी.

परिजन ने की संदिग्धों के नार्को टेस्ट की मांग:तीन साल से लापता खुशी के परिजनों ने इस कांड के संदिग्धों की नार्को जांच कराने की मांग की है. खुशी के पिता राजन साह इसके लिए सीबीआई के अधिकारियों से मिलकर जांच कराने की मांग की है. बता दें कि सीबीआई राजन साह के अलावा उसके अधिकांश करीबियों से कई बार पूछताछ कर चुकी है. कई बार करीबियों को पटना बुलाकर इंट्रोगेट किया जा चुका है. स्थिति यह है कि सीबीआई की कार्रवाई की वजह से परिजन भी अब उनसे दूरी बनाने लगे हैं.

सरस्वती पूजा पंडाल से हुई थी लापता:बता दें कि 16 फरवरी, 2021 की शाम ब्रह्मपुरा के पमरिया टोला में सरस्वती पूजा पंडाल में पांच वर्षीय खुशी कुमारी खेल रही थी. साढ़े सात बजे जब खुशी नहीं दिखी तो उसके परिजनों तलाश शुरू की. काफी खेजबीन के बाद भी उसका कहीं कोई सुराग नहीं मिला तो पिता राजन साह के आवेदन पर पुलिस ने अपहरण की धारा में एफआईआर दर्ज की. पुलिस की शुरुआती जांच में ही लीपापोती से आहत राजन साह मामले को हाइकोर्ट में ले गए. सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट में पुलिस को फजीहत झेलनी पड़ी और अधिकारियों की जांच शैली पर भी सवाल उठा. हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है. अब इस मामले में बीते एक साल से सीबीआई खुशी का सुराग ढूंढ रही है.

पढ़ें-मुजफ्फरपुर खुशी अपहरण कांड: नहीं ढूंढ सकी बिहार पुलिस, अब CBI खोजेगी

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