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नियम विरुद्ध फर्जी पट्टा जारी करने का मामला, पालिका चेयरमैन, अधिशाषी अधिकारी सहित 5 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज - नैनवां पालिका चेयरमैन के खिलाफ FIR

बूंदी में नियम विरुद्ध फर्जी पट्टा जारी करने के मामले में पुलिस ने नैनवां पालिका चेयरमैन, अधिशाषी अधिकारी सहित 5 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

नियम विरुद्ध फर्जी पट्टा जारी
नियम विरुद्ध फर्जी पट्टा जारी

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 13, 2024, 4:17 PM IST

बूंदी. जिले की नैनवां नगर पालिका की ओर से नियम विरुद्ध फर्जी पट्टे जारी करने का मामला सामने आया है. मामले को लेकर सोमवार को इस्तगासे के आधार पर नैनवां पुलिस ने नैनवां पालिका चेयरमैन प्रेमबाई गुर्जर, अधिशाषी अधिकारी मुकेश कुमार नागर, जेईएन संदीप गहलोत, जसविन्द्र कौर एवं देवेन्द्र सिंह के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया है.

थानाधिकारी सुभाषचंद्र शर्मा ने बताया कि फरियादी शिवराज शर्मा निवासी रविन्द्र कॉलोनी वार्ड 18 ने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां इस्तगासा प्रस्तुत करके आरोप लगाया कि उनके वार्ड में 15 में 12 गुणा 20 फीट का एक भूखण्ड स्थित है. इसको 24 नवम्बर 1994 में 12827 रुपए में क्रय किया गया था. इसके बाद उन्होंने बकाया राशि और पट्टा फीस जमा करवा दी थी. उक्त भूखण्ड पर उनका कब्जा अनवरत चला आ रहा है. प्रशासन शहरों के संग अभियान 2014 में 100 रुपए प्रति वर्ग गज की दर से नियमन प्रीमियम लेकर पूर्व में जमा राशि का समायोजन करके संशोधित मांग पत्र जारी किया गया था.

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इसके बाद उक्त भूखण्ड रोड में आया हुआ बता कर भूखण्ड के बदले बांसी रोड पर भूखण्ड देने की अनुशंसा की थी. उन्होंने पालिका में कई बार उनके भूखण्ड के बदले दूसरा भूखण्ड देने या पुराने भूखण्ड का पट्टा जारी करने के लिए आवेदन किया था. पालिका प्रशासन ने नियमों को ताक में रख कर जसविन्द्र कौर के नाम पट्टा जारी करके लीजडीड पंजीयन करवा दिया. आरोप है कि पालिका की ओर से कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर मिलीभगत करके नियम विरुद्ध पट्टा जारी किया गया और परिवादी को धोखे में रखा.

नियम विरुद्ध जारी पट्टा किया निरस्त :प्रकरण को लेकर अधिशासी अधिकारी मुकेश कुमार नागर ने बताया कि जसविन्द्र कौर की ओर से दिए गए शपथ पत्र के आधार पर पालिका की ओर से पट्टा जारी कर दिया गया था. शिकायत होने के बाद जांच में पाया गया कि वह व्यवसायिक भूखण्ड होने से नियम विरुद्ध मानते हुए दो माह पूर्व ही निरस्त कर दिया गया है. 1994 की रसीदों का प्रकरण एडीएम के यहां जांच में है.

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