किसने क्या कहा, सुनिए... (ETV Bharat Ajmer) अजमेर. राजस्थान में अजमेर संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग में बाईपास सर्जरी शुरू हो गई है. सीटीवीएस के डॉ. प्रशांत कोठारी समेत उनकी टीम ने मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना के तहत 47 वर्षीय व्यक्ति के हार्ट की बाईपास सर्जरी नि:शुल्क की गई है. सर्जरी सफल होने से जहां मरीज को राहत मिली है, वही सर्जरी के सफल रहने से आगे भी अस्पताल में बाईपास सर्जरी जारी रहने की उम्मीद जगी है. शुक्रवार को जेएलएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. वीर बहादुर सिंह ने प्रेस वार्ता कर जानकारी दी.
जेएलएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य वीर बहादुर सिंह ने बताया कि अजमेर निवासी अर्जुन लाल पिछले कई महीनों से बीमारी से त्रस्त था. सांस लेने में उसे तकलीफ होती थी. अर्जुन लाल ने कार्डियोलॉजी विभाग ओपीडी में चिकित्सक को दिखाया. चिकित्सक ने कई तरह की जांच करवाई, साथ ही एंजियोग्राफी भी मरीज की करवाई. जांच में सामने आया कि मरीज के हृदय में ब्लॉकेज है.
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इतना ही नहीं, उसके हृदय से पैरों तक की नसें ब्लॉक हो गई है, जिसकी वजह से खून का दौरा थम गया है. उन्होंने बताया कि मरीज की बाईपास सर्जरी का निर्णय लिया गया. सर्जरी के लिए आवश्यक सामग्री मंगवाई गई. इसके बाद 30 अप्रैल को मरीज अर्जुन लाल को भर्ती किया गया और 2 मई को उसका सफल ऑपरेशन हुआ. मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ है और उसे शुक्रवार को अस्पताल से डिस्चार्ज भी किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि डॉ. प्रशांत कोठारी के प्रयास से यहां भी अब बाईपास सर्जरी की उम्मीद जगी है. इससे पहले मरीज को बाईपास सर्जरी के लिए जयपुर या अन्य बड़े शहरों में जाना पड़ता था. प्राइवेट अस्पताल में बाईपास सर्जरी का खर्च साढ़े तीन से 5 लाख रुपये तक आता है.
एंजियोप्लास्टी है सर्जिकल प्रक्रिया : मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. वीर बहादुर सिंह ने बताया कि मरीज की एंजियोप्लास्टी से हृदय की धमनियों को खोलने का काम किया जाता है, यानी हृदय में ब्लॉकेज की वजह से जब रक्त का भाव ठीक से नहीं हो पता है तब बाईपास सर्जरी की जाती है. इसमें धमनी में पतली ट्यूब या स्टेंट डालकर ब्लॉकेज को खोला जाता है. उन्होंने बताया कि एंजियोप्लास्टी करने से पहले दी युक्त इंजेक्शन मरीज को दिया जाता है, ताकि धामनिया कैमरे में साफ नजर आ सके. उन्होंने बताया कि बाईपास सर्जरी के लिए सीने के बीच चीरा लगाया जाता है. सर्जरी के दौरान कार्डियो पल्मोनरी बाईपास मशीन के जरिए शरीर में ऑक्सीजन दी जाती है. इस दौरान सर्जन खराब हुई धमनी को दुरूस्त करते हैं. रक्त वाहिकाओं को हृदय से जोड़ा जाता है, जिससे कि धमनी का खराब हुआ हिस्सा बाईपास किया जा सके.
3 घंटे में हुई मरीज की बाईपास सर्जरी : अजमेर जेएलएन अस्पताल में अब बाईपास सर्जरी आगे भी होगी. ऐसी उम्मीद जगाने वाले डॉ. प्रशांत कोठारी ने बताया कि अर्जुन लाल पैरों की धमनियों में रक्त का बहाव नहीं होने पर इलाज के लिए आया. मरीज की एंजियोग्राफी करवाई गई. अर्जुन लाल के हृदय की मुख्य आर्टिलरी में ब्लॉकेज पाया गया. इसके अलावा एलईडी भी फटी हुई थी. इस केस में केवल बाईपास ही एकमात्र इलाज था. मरीज की सहमति से बाईपास सर्जरी की गई. तीनों आर्टरी में ब्लॉकेज हो, एक आर्टरी फटी हो या हृदय की पंपिंग क्षमता कम हो, ऐसे मरीज को डायबिटीज भी साथ में है तो बाईपास सर्जरी ही एकमात्र उपचार है. उन्होंने बताया कि बाईपास सर्जरी में तीन घंटे का समय लगा.