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बुरहानपुर में धूमधाम से मनाया जा रहा है पोला उत्सव, किसानों ने की बैलों की विशेष पूजा - Burhanpur Pola Festival 2024 - BURHANPUR POLA FESTIVAL 2024

बुरहानपुर में 2 सितंबर को उत्साहपूर्वक किसान भाइयों के द्वारा पोला पर्व मनाया जा रहा है. किसानों ने अपने पशुधन यानि बैलों की विशेष पूजा अर्चना की है. वहीं, रास्तीपुरा में मेले का आयोजन भी किया जा रहा है.

BURHANPUR POLA FESTIVAL 2024
बुरहानपुर में किसानों ने की बैलों की विशेष पूजा (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 2, 2024, 3:22 PM IST

बुरहानपुर: महाराष्ट्र के सीमावर्ती जिले बुरहानपुर में सोमवार सुबह से ही पोला पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. पशुपालकों और किसानों ने सुबह नदियों पर पहुंचकर अपने-अपने बैलों को स्नान कराकर उनके गले में घंटी पहनाकर विशेष श्रृंगार किया. इसके बाद बैलों की घर में पूजा-अर्चना की गई और उन्हें पूरन पोली व खीर का नैवेद्य लगाया गया.

बुरहानपुर में धूमधाम से मनाया जा रहा है पोला उत्सव (ETV Bharat)

किसान करते हैं पशुधन की पूजा

दरअसल, यह पर्व विशेष रूप से किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए समर्पित है, जिसमें उनके सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी बैलों की किसान पूजा करते हैं. यही बैल साल भर खेतों में काम कर अनाज पैदा करने में किसानों की मदद करते हैं, जिसके चलते इन्हें साल में 1 दिन छुट्टी पर रखकर पोला उत्सव मनाया जाता है. किसान पूरे दिन पूरन पोली, खीर सहित मिठाई खिलाकर लोगों की खुशहाली की प्रार्थना करेंगे. ग्रामीणों क्षेत्रों में किसान घर-घर बैलों को लेकर पहुंचते हैं.

किसान करते हैं पशुधन की पूजा (etv bHARAT)

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तोरण प्रतियोगिता में शामिल होंगे बैल

बता दें कि इंदौर-इच्छापुर नेशनल हाइवे पर स्थित रास्तीपुरा में मेले का आयोजन किया जाएगा. इसमें बैलों द्वारा तोरण तोड़ने की प्रतियोगिता होगी. पोला उत्सव को लेकर किसानों ने बाजार में बैलों के श्रृंगार व खेती किसानी के उपकरणों की जमकर खरीदारी भी की है. बैलों को सजाकर तोरण प्रतियोगिता में शामिल किया जाएगा. खास बात यह है कि जिनके पास बैल नहीं होते हैं, वह मिट्टी के बैलों की पूजा आराधना और पूरन खीर खिलाकर त्योहार मानते हैं. पोला त्योहार मनाने के पीछे यह कहावत है कि अगस्त माह में खेती-किसानी का काम समाप्त होने के बाद इसी दिन अन्न माता गर्भ धारण करती हैं यानी धान के पौधों में इस दिन दूध भरता है. इसलिए यह त्योहार मनाया जाता है. इस दिन मिट्टी और लकड़ी से बने बैल चलाने की भी परंपरा है.

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