मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ढाई दिन के लिए मायके आईं महालक्ष्मी, स्वागत में उमड़े भक्त, लगा 56 पकवानों का भोग - Burhanpur Mata Mahalakshmi Agman

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 11, 2024, 2:04 PM IST

Updated : Sep 11, 2024, 2:36 PM IST

बुरहानपुर के कई गांवों में गणेश उत्सव के तीसरे दिन माता महालक्ष्मी की स्थापना की जाती है. माना जाता है कि माता महालक्ष्मी ढाई दिनों के लिए अपने ससुराल से मायके आती हैं. इस दौरान भक्त उनका स्वागत करते हैं और 56 भोग लगाकर घर में सुख शांति की कामना करते हैं.

BURHANPUR MATA MAHALAKSHMI AGMAN
गणेश उत्सव के तीसरे दिन आईं माता महालक्ष्मी (ETV Bharat)

बुरहानपुर: गणेश उत्सव के तीसरे दिन मां महालक्ष्मी माता का आगमन हुआ है. ससुराल से देवरानी जेठानी ढाई दिनों के लिए बच्चों के साथ आई हैं. भक्तों ने उनका भव्य तरीके से स्वागत किया. इस बारे में बताया कि गणेश चतुर्थी के 2 दिन बाद माता महालक्ष्मी की स्थापना की जाती है. दरअसल ये मराठी कल्चर का हिस्सा है, लेकिन महाराष्ट्र से सटे होने के कारण बुरहानपुर जिले में मराठी संस्कृति दिखती है.

बुरहानपुर में मराठी कल्चर से मनाते हैं गणेश उत्सव (ETV Bharat)

5 पीढ़ियों से चली आ रही है परंपरा

शाहपुर के महात्मा ज्योतिबा फुले निवासी मधुकर रामकृष्ण भागवतकर ने बताया कि "हमारे यहां लगभग 5 पीढ़ियों से यह परंपरा चली आ रही है. आज भी 200 साल पुरानी मिट्टी से बनी महालक्ष्मी माता की प्रति वर्ष स्थापना की जाती है. इस दौरान विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है. दूसरे दिन माता को 32 सब्जियों का भोग लगाया जाता है. इसमें शुद्ध घी के 108 दीपक जलाकर महाआरती की जाती है. इसके बाद 56 भोग लगाते हैं.

ये भी पढ़ें:

भगवान राम ने की थी उज्जैन के इस मंदिर की स्थापना, आज भी पूरी होती है लोगों की मनोकामना

केले से बने गणपति बप्पा भक्तों का मोह रहे मन, पर्यावरण का संदेश दे रही ईको फ्रेंडली प्रतिमा

ढाई दिन में लौट जाएंगी माता महालक्ष्मी

गणेश उत्सव के तीसरे दिन ढाई दिनों के लिए महालक्ष्मी मायके आती हैं. जिसके बाद वे लौट जाती हैं. शाहपुर, इच्छापुर, नाचनखेड़ा, सिरसौदा, चापोरा, दापोरा सहित अन्य गांवों में ये परंपरा निभाया जाता है. फिलहाल यहां घर परिवार के लोग महालक्ष्मी की सेवा और सत्कार में लग गए हैं. माता के लिए देव घर विशेष रूप से सजाया गया है.

देवरानी जेठानी स्वरूपों की पूजा
भक्तों का कहना है कि महालक्ष्मी के देवरानी जेठानी स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है. माना जाता है कि महालक्ष्मी जिन परिवारों में आती हैं उन परिवारों को खुशहाल और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देकर जाती हैं. तीसरे दिन विदाई से पहले महालक्ष्मी का हल्दी कुमकुम लगाकर उनकी गोद भराई की परंपरा है. इसके बाद उनके चरण स्पर्श कर घर की सुख शांति की कामना की जाती हैं. इसके बाद उन्हें विधि विधान से विदा किया जाता है.

डिस्क्लेमर: यह लेख धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. ईटीवी भारत इसकी पुष्टि नहीं करता है.

Last Updated : Sep 11, 2024, 2:36 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details