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बूंदी का कजली तीज महोत्सव मेला शुरू, तीज का इतिहास जानकर आप भी रह जाएंगे चकित - kajali teej festival in bundi

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 22, 2024, 1:50 PM IST

बूंदी की कजली तीज महोत्सव मेला गुरुवार को भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तीज के दिन से शुरू हो गया. यह पन्द्रह दिन तक चलेगा. बूंदी में तीज की सवारी निकलने का भी अपने आप में एक अनूठा इतिहास है. माना जाता है कि यह तीज जयपुर से लाई गई थी. इसके बाद इसकी सवारी जयपुर से निकाली जाती है.

kajali teej festival in bundi
बूंदी का कजली तीज महोत्सव मेला शुरू (Photo ETV Bharat Bundi)

बूंदी:शहर का ऐतिहासिक कजली तीज मेला शुरू हो गया है. यह पन्द्रह दिन तक चलेगा. यह मेला भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तीज के दिन से मनाया जाता है. इसे बूंदी की आन बान शान व वीरता का प्रतीक माना जाता है. रियासत काल से ही यह परंपरागत तरीके से मनाया जाता आ रहा है. अब इसके आयोजन का जिम्मा नगर पालिका के पास है. इसमें प्रतिदिन विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.

कजली तीज मेला संयोजक मानस जैन ने बताया कि इस मेले का शुभारंभ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला करेंगे. यह 15 दिवसीय मेला कुंभा स्टेडियम में भरेगा. कजली तीज मेले के अवसर पर नगर परिषद द्वारा दो दिन तक भव्य शोभा यात्रा निकल जाएगी. इसमें आगरा व अन्य स्थानों से आई झांकियां आकर्षण का केंद्र होगी. शोभायात्रा देखने के लिए शहर में दो दिन तक बड़ी संख्या में जनसमूह उमड़ता है. वहीं 22 अगस्त से 5 सितंबर तक मेला मंच में प्रतिदिन विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.

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शौर्य की गाथा है कजली तीज:जैन ने बताया कि बूंदी रियासत में गोठडा के जागीरदार बलवंत सिंह हाडा पक्के इरादे वाले जांबाज सैनिक थे. एक बार उनके किसी मित्र ने तंज कसा कि जयपुर में तीज की भव्य सवारी निकलती है,क्या ही अच्छा हो कि वह अपने यहां भी निकले. तब उन्होंने जयपुर की उसी तीज को जीतकर लाने का मन बना लिया. बताया जाता है कि गोठड़ा दरबार जयपुर से जीतकर लाए थे 'कजली तीज'. बलवंत सिंह अपने विश्वसनीय सैनिकों को लेकर सावन की तीज पर जयपुर पहुंच गए. वहां शाही तौर-तरीकों से सवारी निकल रही थी. ठाकुर बलवंत सिंह हाड़ा शाही लवाजमे के बीच से अपने कुछ जांबाज साथियों के पराक्रम से जयपुर की तीज को गोठड़ा ले आए. तभी से तीज माता की सवारी गोठड़ा में निकलने लगी. बलवंत सिंह के देहांत के बाद बूंदी के महाराव राजा राम सिंह उसे बूंदी ले आए और तीज की सवारी बूंदी में निकलने लगी.

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