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खजुराहो में गूंजी बुंदेली राई और ढिमरयाई लोकगीत तो झूम उठे दर्शक

खजुराहो में आयोजित नृत्य, नाट्य, गायन एवं वादन पर केन्द्रित समारोह ‘देशज' में राई और ढिमरयाई लोकगीतों की धूम.

Bundeli Rai Dhimrayai Lokgeet
खजुराहो में बुंदेली लोकगीतों के साथ डांस की प्रस्तुति (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 8, 2024, 11:09 AM IST

छतरपुर।हजारों वर्ष पुरानी जनजातीय सभ्यता और संस्कृति से रूबरू कराने के लिए खजुराहो में संस्कृति विभाग ने जनजातीय बस्ती को बसाया है, जो विदेशी मेहमानों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. हर रविवार इस बस्ती में नृत्य, नाट्य, गायन एवं वादन पर केन्द्रित समारोह ‘देशज‘ का आयोजन किया जा रहा है. जिसमे गौंड़, बैगा, कोरकू, भील, भारिया, सहरिया और कोल जनजातियों के रहन-सहन, खान-पान, वेशभूषा, आभूषण का जनजाति अपनी अपनी कला का प्रर्दशन कर रहे हैं.

बुंदेली लोकगीत और भजनों की शानदारी प्रस्तुति

यह बस्ती खजुराहो के सर्किट हाउस के पास एवं आदिवर्त जनजातीय लोक कला संग्रहालय के परिसर से लगी जमीन पर बसाई गई है. रविवार 6 अक्टूबर को अंशिका राजौतिया एवं साथी सतना द्वारा ‘बुन्देली लोकगीत एवं भजन‘ की प्रस्तुति दी गई, जिसको सुनकर लोग मंत्रमुग्ध हो गए. इस आयोजन में कलाकारों का स्वागत शिखर सम्मान प्राप्त वरिष्ठ बैगा जनजातीय कलाकार सावनी बाई बैगा एवं नायब तहसीलदार राजनगर प्रतीक रजक द्वारा किया गया. आयोजन की शुरूआत अंशिका राजोतिया एवं साथियां द्वारा बुंदेली संस्कार गीत से की गई. प्रस्तुति के दौरान कलाकारों ने देवीगीत, बुन्देली भजनों की प्रस्तुति दी.

खजुराहो में गूंजी राई और ढिमरयाई लोकगीत (ETV BHARAT)

इन गायक कलाकारों ने किया मंत्रमुग्ध

मंच पर प्रस्तुति के दौरान अंशिका राजौतिया, अशंक राजौतिया, गोपाल तिवारी, जीतेन्द्र नागर, वीरेन्द्र सिंह, रुपेश श्रीवास्तव कलाकारों ने इनका साथ दिया. वहीं दूसरी प्रस्तुति अश्वनी कुशवाहा छतरपुर द्वारा बुंदेली लोकगीत प्रस्तुति दी गई. प्रस्तुति के दौरान कलाकारों ने चेतावनी भजन, बिलवारी, लेद, ढिमरियाई, राई, भगत की प्रस्तुति दी, जिसने धूम मचा दी. मंच पर प्रस्तुति के दौरान अश्वनी कुशवाहा, धीरज अहिरवार, देवांश खरे, पट्टू खरे, कमलाकान्त अहिरवार, सचिन परिहार, हल्के कुशवाहा कलाकारों ने संगत की.

अशोक कुमार मार्को की टीम की लाजवाब प्रस्तुति

इसी क्रम मे अंतिम प्रस्तुति अशोक कुमार मार्को एवं साथी द्वारा गुदुमबाजा नृत्य की प्रस्तुति की गई. गुदुमबाजा नृत्य गोंड जनजाति की उपजाति ढुलिया का पारम्परिक नृत्य है. ढुलिया जनजाति के कलाकारों द्वारा गुदुम, ढफ, मंजीरा, शहनाई, टिमकी आदि वाद्यों के साथ जनजातियों के पारम्परिक गीतों की धुनों पर वादन एवं नृत्य किया जाता है. विशेषकर विवाह के अवसर पर इस जाति के कलाकारों को मांगलिक वादन के लिए अनिवार्य रूप से आमंत्रित करते हैं एवं अन्य आनुष्ठानिक अवसरों पर भी इन्हें वादन के लिए आमंत्रित किया जाता है.

बुंदेली लोकगीत और भजनों की शानदार प्रस्तुति (ETV BHARAT)

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अगले रविवार को जवारे नृत्य और बुंदेली लोकगीत

इस संबंध में तहसीलदार राजनगर प्रतीक रजक ने बताया "पुरानी जनजातीय सभ्यता और संस्कृति को बढ़वा ओर विदेशी लोगों से इनको रूबरू करवाने के उद्देश्य से आयोजन किये ज रहे हैं. अगले रविवार 13 अक्टूबर 2024 को इन्द्रजीत दीक्षित एवं साथी खजुराहो द्वारा जवारे नृत्य, बलीराम पटेल साथी दमोह द्वारा बुन्देली लोकगीत, पूजा श्रीवास्तव, सागर द्वारा अखाड़ा नृत्य एवं बेदिका मिश्रा, पन्ना द्वारा बुन्देली लोकगीत एवं भजन की प्रस्तुती दी जायेगी."

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