Budhni By Election: शिवराज सिंह चौहान के गढ़ बुधनी में उप चुनाव का बिगुल बच चुका है. बीजेपी ने पार्टी प्रत्याशी का ऐलान भी कर दिया है लेकिन यहां के बीजेपी कार्यकर्ताओं ने अब खुलकर मोर्चा खोल दिया है. यदि ये कहा जाए कि यहां बगावत के सुर गूंज रहे हैं तो गलत नहीं होगा. बीजेपी प्रत्याशी का विरोध कौन कर रहा है और क्यों हो रहा है. जानिए बुधनी का पूरा समीकरण इस खबर में.
बुधनी में बगावत के सुर
शिवराज सिंह चौहान के गृह क्षेत्र बुधनी की सीट उनके इस्तीफे के बाद खाली हुई और उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़कर केन्द्र में कृषि मंत्री का पद संभाला. अब जब यहां उप चुनाव हो रहे हैं और इस विधानसभआ सीट से उम्मीदवार के नाम का ऐलान हुआ तो विरोध के स्वर उठ खड़े हुए हैं. दरअसल इस सीट से पूर्व विधायक राजेन्द्र सिंह राजपूत सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे थे लेकिन पार्टी ने पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव को टिकट दे दिया. इसी बात से राजेन्द्र सिंह राजपूत खासे नाराज बताए जा रहे हैं. राजेन्द्र सिंह राजपूत ने बुधनी के भेरूंदा में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की. कार्यकर्ताओं ने राजेन्द्र सिंह राजपूत को उम्मीदवार बनाए जाने की मांग की है. उधर पार्टी ने डैमेज कंट्रोल की जिम्मेदारी पूर्व मंत्री रामपाल सिंह को दी है.
राजेन्द्र सिंह राजपूत की नाराजगी का कारण
2003 के बुधनी विधानसभा चुनाव में राजेन्द्र सिंह राजपूत ने जीत हासिल की थी लेकिन शिवराज के मुख्यमंत्री बनने के बाद 2005 में उन्होंने शिवराज सिंह के लिए ये सीट खाली कर दी थी. इसके बाद यहां से लगातार शिवराज सिंह चुनाव लड़ते रहे. राजेन्द्र सिंह राजपूत की शिवराज के करीबियों में गिनती होती है और जब शिवराज ने केन्द्र में जाने के लिए ये सीट छोड़ी तो राजेन्द्र सिंह राजपूत को पूरी उम्मीद थी कि टिकट उन्हें ही मिलेगा लेकिन जब पार्टी ने प्रत्याशी घोषित किया तो इस लिस्ट में उनका नहीं रमाकांत भार्गव का नाम निकला. बस इसी बात से शिवराज के गढ़ में बगावत के सुर गूंज रहे हैं. विधानसभा उपचुनाव के मैदान में उतरे बीजेपी प्रत्याशी का विरोध शुरू हो गया है.
पूर्व विधायक ने पार्टी के सामने रखी शर्त
पत्रकारों से चर्चा के दौरान पूर्व विधायक राजेन्द्र सिंह राजपूतने पार्टी के सामने शर्त रखी है. उन्होंने कहा कि "मेरे सभी समर्थक कार्यकर्ताओं को बैठक के लिए बुलाया गया था. कार्यकर्ताओं की इच्छा है कि मैं चुनाव लडूं. मैं जनता से जुड़ा हुआ हूं और पार्टी मेरी जान है. मेरे पिता ने पार्टी के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी. मैं कोशिश करूंगा कि मेरे कारण पार्टी कलंकित न हो और मेरे पिता का नाम खराब न हो. मैंने कार्यकर्ताओं के सामने हाथ जोड़े हैं. मुझे विश्वास है कि पार्टी में मेरे पक्ष में कुछ न कुछ बात होगी. मैंने सभी कार्यकर्ताओं से हाथ जोड़कर कहा है कि पार्टी का निर्णय ही अंतिम होगा. मेरी उम्र 70 साल हो गई है यदि पार्टी कहेगी तो चुनाव लडूंगा. यदि पार्टी किसी और को ही चुनाव लड़ाना चाहती है तो मैं वादा कराऊंगा कि मेरे कार्यकर्ताओं को आंच नहीं आनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह बैठक मैंने नहीं, बल्कि कार्यकर्ताओं ने बुलाई थी."
पूर्व मंत्री रामपाल सिंह को डैमेज कंट्रोल की जिम्मेदारी
बुधनी में बगावत के सुर पार्टी मुख्यालय तक पहुंच चुके हैं और यहां डैमेज कंट्रोल के लिए पूर्व मंत्री रामपाल सिंह को भेजा गया है. रामपाल सिंह ने पूर्व विधायक राजेन्द्र सिंह राजपूत से चर्चा की है. इस चर्चा में पूर्व विधायक राजेन्द्र सिंह राजपूत ने साफ कर दिया कि वह निर्दलीय चुनाव नहीं लड़ेंगे. उन्होंने कहा कि मेरी उम्र 70 साल हो गई है यदि पार्टी कहेगी तो चुनाव लडूंगा. मेरे जिम्मेदारी है पार्टी की रक्षा करना. उधर पूर्व मंत्री रामपाल सिंह ने कहा कि कार्यकर्ताओं और राजेन्द्र सिंह की बात को संगठन के सामने रखा जाएगा. फैसला संगठन को लेना है, जो फैसला होगा वह संगठन करेगा. रामपाल सिंह ने जब यहां आकर बातचीत शुरू की तो कार्यकर्ताओं के मन का गुबार भी सामने आया है.