भोपाल।बुधनी विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार भले ही रमाकांत भार्गव हों, लेकिन ये चुनाव बुधनी में भविष्य देख रहे कार्तिकेय सिंह चौहान का लिटमस टेस्ट भी है. असल में ये 20 साल बाद पहला चुनाव होगा कि जिसमें शिवराज सिंह चौहान का चेहरा उम्मीदवार के तौर पर नहीं है. वहीं, बीजेपी प्रत्याशी के प्रचार की कमान कार्तिकेय ने संभाली हुई है. जिस तरह से शुरुआती प्रचार में कार्तिकेय के बयान आए. क्या बुधनी का उपचुनाव कार्तिकेय की नेट प्रैक्टिस का मैदान बन चुका है.
बुधनी में कार्तिकेय का चुनाव प्रचार जोरों पर
बुधनी विधानसभा सीट के उपचुनाव में कार्तिकेय सिंह चौहान केवल एक कार्यकर्ता के रूप में ही हैं. वह खुद को जनता के सामने प्रोजेक्ट भी इसी रूप में करते हैं. लेकिन अपने पिता शिवराज सिंह चौहान की राजनीतिक विरासत को संभालने की तैयारी कर रहे कार्तिकेय के लिए बुधनी वह मैदान है, जहां पर नेट प्रैक्टिस के साथ वह सियासत के फाइनल मैच का अभ्यास कर रहे हैं. बुधनी में बीजेपी उम्मीदवार के ऐलान से लेकर अब तक कार्तिकेय के बयानों पर गौर कीजिए तो अंदाजा लगेगा कि कैसे उम्मीदवार भले रामांकात भार्गव हों लेकिन पूरा चुनाव कार्तिकेय के बयानों पर दौड़ रहा है.
खुद को साबित करने में जुटे कार्तिकेय सिंह चौहान
वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर शिवराज सिंह की सियासत को लंबे समय से देखते आए हैं और अब कार्तिकेय की राजनीति को परख रहे हैं. वे कहते हैं "इसमें दो राय नहीं कि कार्तिकेय राजनीतिक परिवार से आने के बावजूद उस अंदाज में एंट्री नहीं ले रहे जैसे आमतौर पर नेतापुत्रों के साथ होता है. उनकी स्काईलैब लैंडिग नहीं है. शिवराज सिंंह चौहान के चुनाव में खड़े होने तक उनका प्रचार करना और बुधनी में कमान संभालना बेटे होने की वजह से नैतिक जवाबदारी थी. लेकिन अब जिस तरह से कार्तिकेय ने रमाकांत भार्गव का प्रचार संभाला है. इस चुनाव के जरिए वे खुद को साबित कर रहे हैं."