राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

शील की डूंगरी शीतला माता मंदिर पर लगा बूढा बास्योड़ा का मेला - buda Basyoda fair

शील की डूंगरी स्थित शीलतामाता मंदिर में बूढ़ी बास्योड़ा मनाया गया. इस अवसर पर मंदिर में महिलाओं की भीड़ उमड़ी. महिलाओं ने परिवार में सुख शांति की कामना की. इस अवसर पर मेला भी भरा.

buda Basyoda's fair held at Sheel's Dungri Shitala Mata Temple
शील की डूंगरी शीतला माता मंदिर पर लगा बूढा बास्योड़ा का मेला

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 1, 2024, 3:57 PM IST

चाकसू (जयपुर). शील की डूंगरी स्थित प्रसिद्ध शीतला माता मंदिर पर बुधवार को बूढ़ा बास्योड़ा के मेले का आयोजन हुआ, जिसे छोटा मेला भी कहा जाता है. यह शीतलाष्टमी के लक्खी मेले के ठीक एक माह बाद छोटे मेले के नाम से भरता है. मेले को लेकर सुबह से ही दूर दराज से बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने मंदिर पहुंचे और माता को ठंडे पकवान पुआ, पुड़ी राबड़ी, दही का भोग लगाकर अपने परिवार के लिए सुख शांति की कामना की. बड़ी संख्या में महिलाओं ने माता को भोग लगाने के बाद मंदिर परिसर में बनी धर्मशाला व बारहदरी में भोजन ग्रहण किया.

मेला परिसर में बड़ी संख्या में छोटी बड़ी दुकानें भी सजी. यहां से बच्चों के खिलौने, महिला सौन्दर्य की बड़ी संख्या में छोटी-छोटी दुकानों से विभिन्न प्रकार के सामानों की जमकर खरीदारी की गई. मेले को लेकर स्थानीय प्रशासन द्वारा माकूल व्यवस्थाएं भी की गई. मेले में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चाकसू एसीपी सुरेंद्र सिंह व थानाधिकारी कैलाश दान सहित अन्य पुलिसकर्मी तैनात रहे.

पढ़ें: चेचक की देवी है शीतला माता, चाकसू में आमेर राजवंश ने बनाया था मंदिर, लगाते हैं बास्योड़ा पर पहला भोग

इधर, क्षेत्रीय विधायक रामावतार बैरवा व पालिका चेयरमैन कमलेश बैरवा ने सभी श्रद्धालुओं को बूढ़ा बास्योडा मेले की शुभकामनाएं दी. वहीं, आचार्य पं. जगदीश शर्मा ने बताया कि चैत्र कृष्ण अष्टमी के एक महीने बाद वैशाख कृष्ण अष्टमी काे बूढ़ा बास्योड़ा मनाया जाता है. महिलाएं शीतला माता का पूजन कर ठंडे व्यंजन दही, राबड़ी, लापसी, पुआ, पूरी का भाेग लगाया जाता है, जिससे मातारानी प्रसन्न होती हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं. मान्यता के अनुसार बास्योड़ा पर एक दिन पहले बनाया गया भोजन ही खाया जाता है. स्कंद पुराण के अनुसार ब्रह्माजी ने सृष्टि को रोगमुक्त रखने का कार्यभार देवी शीतला को सौंपा था. ये स्वच्छता की अधिष्ठात्री देवी भी हैं.

ज्योतिष के अनुसार, शीतला अष्टमी के दिन आप कुछ सरल उपाय करके माता को प्रसन्न कर सकते हैं. माता शीतला को चेचक या खसरा जैसे रोगों से मुक्ति दिलाने वाली देवी माना जाता है. इस मौके पर शीलकी डूंगरी पर सुख व आरोग्य की देवी शीतला माता मंदिर पर मेले का आयोजन होता हैं. पहाड़ी पर स्थित मंदिर में विराजमान शीतला माता की चौखट पर मत्था टेककर हजारों भक्त अपनी मन्नते पूरी करते हैं.

यह भी पढ़े:माता शीतला ने अजमेर के सेठ को सपने में दर्शन दे दिया था मंदिर बनाने का आदेश, अब है जनआस्था का बड़ा केंद्र

बुजुर्गों के कथानुसार सन् 1912 में जयपुर के महाराजा माधोसिंह के पुत्र गंगासिंह और गोपाल सिंह को चेचक निकली थी. उस समय शीतला माता की पूजा-पाठ करने से यह रोग ठीक हो गया था. इसके बाद शील की डूंगरी पर मंदिर व बारहदरी का निर्माण करवाकर पूजा-अर्चना की गई.

ABOUT THE AUTHOR

...view details