कौन बनेगा बिहार का मुख्य सचिव. (ETV Bharat) पटना: बिहार के मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा अगस्त महीने में रिटायर हो रहे हैं. नए मुख्य सचिव को लेकर कई नामों पर चर्चा शुरू है. ऐसे तो दावेदार कई हैं, लेकिन विकास आयुक्त चैतन्य प्रसाद का नाम मुख्य सचिव के लिए पहले स्थान पर है. ऐसे भी मुख्य सचिव के बाद विकास आयुक्त को बिहार सरकार में दो नंबर का पद माना जाता है. ब्रजेश मेहरोत्रा के रिटायर होने के बाद 8 आईएएस अधिकारी मुख्य सचिव स्तर के बिहार में बच जाएंगे. जिसमें चैतन्य प्रसाद पहले नंबर पर हैं.
चहेते अधिकारी बनते हैं मुख्य सचिवः राजनीतिक विश्लेषक सुनील पांडे का कहना है कि कई बार वरिष्ठ होने के बावजूद यदि तालमेल नहीं बैठता है तो मुख्य सचिव के लिए वैसे आईएएस अधिकारियों को नजर अंदाज किया जाता रहा है. नीतीश कुमार अपने चहेते अधिकारियों को ही मुख्य सचिव बनाते रहे हैं. अंजनी सिंह, दीपक कुमार, आमिर सुबहानी, ब्रजेश मेहरोत्रा इसके उदाहरण हैं. ब्रजेश मेहरोत्रा का एक्सटेंशन नहीं होता है इसकी संभावना अधिक दिख रही है.
केके पाठक. (फाइल फोटो) (ETV Bharat) "चैतन्य प्रसाद साफ छवि वाले अधिकारी हैं. कभी विवाद में नहीं रहे हैं. नीतीश कुमार के निर्देश के अनुसार काम करते रहे हैं. इसलिए उनकी संभावना इस कुर्सी पर अधिक दिख रही है. ऐसे प्रत्यय अमृत और एस सिद्धार्थ भी दावेदार हैं, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता है."- सुनील पांडे, राजनीतिक विश्लेषक
बिहार में 359 पद है आईएएस काः बिहार में प्रशासनिक स्तर पर 359 पद स्वीकृत है, उसमें से अभी मुख्य सचिव स्तर के 10 पदाधिकारी हैं. जिसमें विवेक कुमार सिंह बीआरएस ले चुके हैं. नीतीश कुमार ने उन्हें रेरा अध्यक्ष बनाया है. ऐसे में नौ मुख्य सचिव स्तर के पदाधिकारी बचे हैं. ब्रजेश मेहरोत्रा अगस्त में रिटायर हो रहे हैं. उनके अलावा चैतन्य प्रसाद 1990 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. जुलाई, 2025 में इनका कार्यकाल पूरा हो रहा है. केके पाठक भी 1990 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. 31 जनवरी, 2028 में इनका कार्यकाल पूरा होगा.
नीतीश के हैं चहेतेः 1991 बैच के अधिकारियों में प्रत्यय अमृत और एस सिद्धार्थ हैं, दोनों नीतीश कुमार के चेहते हैं. प्रत्यय अमृत का कार्यकाल 31 जुलाई 2027 में समाप्त होगा. एस सिद्धार्थ का कार्यकाल 30 नवंबर, 2025 में समाप्त होगा. 1993 बैच के दीपक कुमार सिंह और उनकी पत्नी हरजोत कौर हैं. दीपक कुमार सिंह का कार्यकाल 31 जुलाई, 2028 में पूरा होगा तो हरजोत कौर का 31 मई, 2027 में पूरा होगा.1993 बैच के अधिकारियों में संदीप पौंडरीक और मिहिर कुमार सिंह है. दोनों का कार्यकाल 2028 में पूरा होने वाला है.
एस सिद्धार्थ. (फाइल फोटो) (ETV Bharat) विकास आयुक्त हैं चैतन्य प्रसादः 1990 बैच के आईएएस अधिकारी चैतन्य प्रसाद गृह विभाग, सामान प्रशासन विभाग, जल संसाधन विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभागों के साथ कई विभागों में प्रमुख भूमिका निभा चुके हैं. अभी विकास आयुक्त जैसे महत्वपूर्ण पद पर हैं. कभी विवादों में नहीं रहे हैं. अभी हाल में जब लगातार पुल गिरने की घटना सामने आ रही थी तो पहले जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव के रूप में और फिर विकास आयुक्त के तौर पर सरकार का बचाव करने की कोशिश की.
विवादों में रहते हैं केके पाठकः 1990 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. तेज तर्रार अधिकारी के तौर पर इनकी पहचान होती है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन्हें कई बड़ी जिम्मेदारी दे चुके हैं. बिहार में पूर्ण शराबबंदी जब लागू की गई थी तो इन्हीं के कंधों पर सफल बनाने की जिम्मेदारी थी. स्वास्थ्य विभाग शिक्षा विभाग सहित कहीं विभागों में केके पाठक अपनी बड़ी भूमिका निभा चुके हैं और प्रभावशाली ढंग से कई काम किए हैं. लेकिन कड़क मिजाज के कारण विवादों में भी रहे हैं. 2028 में रिटायर होंगे तो अभी लंबा समय इनके पास है.
महत्वपूर्ण विभाग पर रहे हैं प्रत्यय अमृतः 1991 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. नीतीश कुमार के पसंदीदा अधिकारियों में से एक माने जाते हैं. नीतीश कुमार इन्हें एक से अधिक विभागों की जिम्मेदारी हमेशा देते रहे हैं. पथ निर्माण विभाग में प्रत्यय अमृत ने लंबा समय दिया है. स्वास्थ्य विभाग, आपदा विभाग , ऊर्जा विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभागों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं. अभी भी इनके पास पथ निर्माण विभाग स्वास्थ्य विभाग और आपदा विभाग है. 2027 में प्रत्यय अमृत रिटायर होंगे तो अभी इनके पास समय है.
ब्रजेश मेहरोत्रा. (फाइल फोटो) (ETV Bharat) सादगी के लिए जाने जाते हैं एस सिद्धार्थः1991 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. बिहार के प्रशासनिक महकमे में अब तक कई जिम्मेदारियों को निभा चुके हैं. सिद्धार्थ, 6 मई 2008 से 27 अगस्त 2012 तक नीतीश कुमार के सचिव रह चुके हैं. गृह विभाग वित्त विभाग उद्योग विभाग सहित कई विभागों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं. अभी मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव हैं. कैबिनेट विभाग में अपर मुख्य सचिव हैं. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव भी हैं. एस सिद्धार्थ सादगी के लिए चर्चा में रहते हैं. नवंबर 2025 में रिटायर्ड होने वाले हैं. "कई बार जिनकी चर्चा सबसे अधिक होती है वह भी रेस से बाहर हो जाते हैं. बिहार कैडर के कई अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं और उसमें से कुछ मुख्यमंत्री के काफी करीबी भी रह चुके हैं. यह तो तय है कि मुख्यमंत्री उसी नाम पर मुहर लगाएंगे जो उनके इशारों पर ही काम करते रहे हैं."- प्रिय रंजन भारती, वरिष्ठ पत्रकार
केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं कई दावेदारः मुख्य सचिव अस्तर के अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भी हैं, जो विभिन्न मंत्रालयों में सचिव के पद पर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं. जिसमें 1989 बैच के सुनील बर्थवाल, सुजाता चतुर्वेदी और अमृत लाल मीणा 2025 में सेवानिवृत्त होंगे. 1990 बैच के आइएएस संजय कुमार जून 2026, 1992 बैच के अरुणीश चावला जुलाई और चंचल कुमार जुलाई 2029 में सेवानिवृत्त होंगे. संजय कुमार और चंचल कुमार नीतीश कुमार के पसंदीदा अधिकारियों में माने जाते हैं.
इनके नाम पर भी चर्चाः संजय कुमार स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग सहित कई विभागों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. 2022 में केंद्रीय प्रति नियुक्ति पर गए हैं. संजय कुमार 2025 यानी कि अगले साल रिटायर होने वाले हैं. दावेदारों में इनका नाम भी है. वहीं चंचल कुमार नीतीश कुमार के खासम खास अधिकारियों में से एक माने जाते हैं. नीतीश कुमार के प्रधान सचिव भी रह चुके हैं. हालांकि चंचल कुमार के पास अभी लंबा समय है. 2029 में रिटायर होंगे.
चैतन्य प्रसाद. (फाइल फोटो) (ETV Bharat) कैसे होता है मुख्य सचिव का चयनःइसका फैसला मुख्यमंत्री को फैसला लेना होता है. इसमें तीन बातों का ध्यान रखा जाता है. एक तो वरिष्ठता, दूसरा परफॉर्मेंस और तीसरा मुख्यमंत्री का मूल्यांकन. मुख्यमंत्री अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों से भी इस पर राय ले सकते हैं. लेकिन गठबंधन में महत्वपूर्ण सहयोगियों की भी बड़ी भूमिका होती है. केंद्र सरकार भी कई बार इसमें बड़ी भूमिका निभाती है, फिलहाल सारी परिस्थितियां नीतीश कुमार के पक्ष में है. इसलिए फैसला उन्हीं को लेना है.
डीजीपी को लेकर भी चर्चा शुरू: बिहार के मुख्य सचिव के साथ बिहार के डीजीपी को लेकर भी चर्चा है. डीजीपी लगातार दिल्ली का दौरा कर रहे हैं जो चर्चा है कि सीआईएसएफ के डीजीपी का पद केंद्र में खाली हो रहा है. उस पर उनकी नजर है ऐसे डीजीपी का कार्यकाल अगले साल समाप्त हो रहा है. इसलिए बिहार के प्रशासनिक और पुलिस महकमा में दोनों महत्वपूर्ण पदों को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई है.
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