कुरुक्षेत्र: धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024 चल रहा है. इस बीच शनिवार को ब्रह्मसरोवर के पुरुषोत्तमपुरा बाग के मुख्य मंच पर नाटक "हमारे राम" का शानदार मंचन हुआ. इस मंचन में अभिनेता आशुतोष राणा ने रावण की भूमिका अदा की. तकरीबन तीन घंटे के नाटक ने दर्शकों को भारतीय पौराणिक कथाओं के एक जटिल चरित्र रावण को नए दृष्टिकोण से समझने का मौका दिया. रावण के किरदार को लेकर राणा की गहरी समझ और उनके भावपूर्ण प्रदर्शन ने दर्शकों का मन मोह लिया.
आशुतोष राणा ने किया असली रावण को जीवंत:प्रसिद्ध अभिनेता आशुतोष राणा ने नाटक में रावण का किरदार बेहद प्रभावशाली ढंग से निभाया. उनके संवाद की शैली, उनकी भाव-भंगिमाएं और मंच पर उनकी एंट्री इतनी जबरदस्त थी कि दर्शक उनके साथ रावण के द्वंद्व, संघर्ष और अंतर्द्वंद को महसूस कर रहे थे. तीन घंटे के इस नाटक में आशुतोष राणा ने रावण के चरित्र की गहराईयों को काफी अच्छे से पेश किया. नाटक में एक ओर वह अत्यंत ज्ञानी, विद्वान और तपस्वी के रूप में दिखे. वहीं दूसरी ओर एक अहंकारी, क्रोधी और शक्ति के प्रतीक के तौर पर भी नजर आए. एक ओर वह श्रीराम को ललकार रहे थे, लेकिन दूसरी ओर अंदर ही अंदर इसी के जरिए वह अपने ज्ञान और पांडित्य के अहंकार से भी मुक्त होना चाह रहे थे.
खलनायक नहीं विद्वान था रावण:दरअसल रावण को हमेशा एक नकारात्मक चरित्र के रूप में देखा गया है, लेकिन उसके व्यक्तित्व में कई परतें है. वह सिर्फ एक खलनायक नहीं था, बल्कि वह एक महान विद्वान, शिव भक्त और तपस्वी था. उसकी नकारात्मकता उसके अहंकार और वासनाओं से आई, लेकिन उसके भीतर भी ज्ञान और सच्चाई की तलाश थी. आशुतोष राणा ने नाटक के जरिए रावण की गहराई और उसके प्रति अपने दृष्टिकोण पर खुलकर प्रकाश डाला. उन्होंने नाटक में दिखाया कि रावण को नकारात्मक रूप में देखना उसकी महानता को कम आंकने जैसा है.