उत्तराखंड: 20 नवंबर को उत्तराखंड में केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव है. जब तक बीजेपी ने टिकट की घोषणा नहीं की थी, तब तक कई उम्मीदवार नजर आ रहे थे. दो लोगों ने तो अपनी दावेदारी भी खुलकर पेश कर दी थी. मंगलौर और बदरीनाथ उपचुनाव हार चुकी बीजेपी के लिए केदारनाथ उपचुनाव नाक का सवाल बना हुआ है. ऐसे में टिकट के लिए 'एक अनार सौ बीमार' वाली स्थिति से बीजेपी कैसे निपटेगी, ये देखने की राजनीतिक विश्लेषकों में उत्सुकता थी.
टिकट के लिए थे कई दावेदार: बीजेपी ने बड़ी ही कुशलता से टिकट की दावेदारी कर रहे दो दावेदारों को मनाकर तीसरे नेता को चुनाव मैदान में उतार दिया. आशा नौटियाल को टिकट देकर बीजेपी हाईकमान ने साफ कर दिया कि उनकी पार्टी में मनमानी और बगावत के लिए कोई स्थान नहीं है. टिकट की घोषणा होने के बाद किसी ने भी असंतोष जाहिर नहीं किया और न ही निर्दलीय या दूसरी पार्टी यानी कांग्रेस से चुनाव लड़ने का प्रयास किया. दरअसल उत्तराखंड के राजनीतिक हलकों में ये चर्चा जोरों पर थी कि दिवंगत विधायक शैलारानी रावत की बेटी को अगर बीजेपी टिकट नहीं देती है तो सिंपैथी वोट के जरिए केदारनाथ विधानसभा सीट उपचुनाव जीतने के लिए कांग्रेस उन्हें अपना उम्मीदवार बना सकती है.
ऐसा बन रहा था गणित: हालांकि बीजेपी ने शैलारानी रावत की बेटी को टिकट नहीं दिया, लेकिन उनकी महत्वाकांक्षा को भी शांति से शांत कर दिया. अंदरखाने खबर है कि ऐश्वर्या रावत से पार्टी ने बड़े पद का वादा किया है. इसकी पुष्टि इससे होती है कि बीजेपी से टिकट की घोषणा होने के बाद उनकी कोई ऐसी प्रतिक्रिया नहीं आई, जिससे पता चलता हो कि वो बगावती तेवर अपना चुकी हैं. पहले उन्होंने नामांकन पत्र भी ले लिया था. सोशल मीडिया पर पोस्ट भी की थी, जो बाद में हटा दी.