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51 में से 47 सीटों पर भाजपा ने रिपीट किए उम्मीदवार, अगली 23 सीटों में होगा बड़ा बदलाव

भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 51 सीटों पर जो उम्मीदवार घोषित किए हैं, उनमें से 47 वही उम्मीदवार हैं, जो 2019 में भी भारतीय जनता पार्टी से दावेदारी ठोक रहे थे.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 2, 2024, 9:29 PM IST

Updated : Mar 3, 2024, 6:41 AM IST

लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 51 सीटों पर जो उम्मीदवार घोषित किए हैं, उनमें से 47 वही उम्मीदवार हैं, जो 2019 में भी भारतीय जनता पार्टी से दावेदारी ठोक रहे थे. भाजपा अब 23 उम्मीदवारों की घोषणा और करेगी और छह उम्मीदवार सहयोगी दलों के होंगे. बचे हुए 23 उम्मीदवारों में भाजपा बड़ा परिवर्तन करेगी.

भाजपा उम्मीदवार.
खासतौर पर कैसरगंज लोकसभा सीट पर बदलाव करने का मन बना लिया है. हाल ही में पहलवान विवाद को लेकर विवादित रहे बृजभूषण शरण सिंह का नाम पहली सूची में न देकर भाजपा ने बड़ा संकेत दिया. दूसरी और कानपुर लोकसभा सीट पर भी नाम न दिए जाने से यह तय हो गया है कि वहां कोई नया चेहरा सामने आएगा. इसी तरह से मेनका गांधी की सीट सुल्तानपुर और उनके पुत्र वरुण गांधी की सीट पीलीभीत पर भी उम्मीदवार न घोषित करके भारतीय जनता पार्टी ने नकारात्मक संकेत दोनों नेताओं के लिए दे दिए हैं. पीलीभीत से वरुण गांधी और सुल्तानपुर से मेनका गांधी दोनों के टिकट कटने की प्रबल संभावना व्यक्त की जा रही है.

इसी तरह से भारतीय जनता पार्टी ने प्रयागराज सेट की भी घोषणा नहीं की है. बदायूं सीट की भी घोषणा नहीं हुई है. संभवत भारतीय जनता पार्टी संघमित्रा मौर्य का भी कोई विकल्प तलाश रही है. प्रयागराज सीट पर रीता बहुगुणा जोशी सांसद हैं, जिनका रुख 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की ओर गया था और उनके बेटे ने समाजवादी पार्टी की सदस्यता भी ले ली थी. माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी के भीतर रीता बहुगुणा जोशी को लेकर पॉजिटिव वाइब्रेशंस नहीं है.

इसी तरह से बदायूं सीट की संसद संघमित्रा मौर्य के पिता स्वामी प्रसाद मौर्य सनातन विरोधी धारा में बह रहे हैं. ऐसे में वहां भी बदलाव की पूरी संभावना व्यक्त की जा रही है. कानपुर सीट पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और वर्तमान सांसद सत्यदेव पचौरी के बीच जो कशमकश चल रही है, उसी का परिणाम है कि यहां टिकट नहीं घोषित किया गया है.यहां पर उत्तर प्रदेश सरकार के किसी मंत्री को खड़ा किया जा सकता है. भारतीय जनता पार्टी की राजनीति के लिहाज से रायबरेली सीट पर भी अभी उम्मीदवार न घोषित किए जाने का सीधा अर्थ है कि यहां भी कोई नया नाम सामने आएगा. इस सीट पर हाल ही में समाजवादी पार्टी से मनोज कुमार पांडे ने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन करने की हामीकारी भर दी है.

स्टार उम्मीदवारों पर पार्टी ने किया भरोसा

भारतीय जनता पार्टी ने अपने स्तर उम्मीदवारों पर पूरा भरोसा किया है. वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लखनऊ से राजनाथ सिंह, मथुरा से हेमा मालिनी, गोरखपुर से रवि किशन, फैजाबाद से लल्लू सिंह, लखीमपुर से अजय मिश्रा टेनी और अमेठी से स्मृति ईरानी जैसे चर्चित नाम को भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर से बड़ा मौका दे दिया है.

पुराने महारथियों को भी उतार रही भाजपा

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने अपने पुराने महारथियों पर ही भरोसा किया है. जिसमें सबसे बड़ा नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वाराणसी से है. दूसरे नंबर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ से हैं. जबकि स्मृति ईरानी जिन्होंने अमेठी से भाजपा के लिए ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी, उनको भी लगातार तीसरा मौका मिल रहा है. मथुरा से हेमा मालिनी भी अपना भरोसा पार्टी के प्रति कायम रख सकी हैं. ऐसे ही अनेक नाम हैं जो भारतीय जनता पार्टी लगातार तीसरी बार मैदान में उतर रही है.

इन प्रमुख नेताओं के अलावा भाजपा इस बार मुजफ्फरनगर से डॉक्टर संजीव बालियान, नोएडा से डॉक्टर महेश शर्मा, एटा सीट से राजवीर सिंह राजू भैया, फैजाबाद से लल्लू सिंह, मोहनलालगंज से कौशल किशोर, लखीमपुर से अजय मिश्रा टेनी, गोरखपुर से रवि किशन और आजमगढ़ से दिनेश लाल यादव निरहुआ, कन्नौज से सुब्रत पाठक को भी लगातार दूसरी बार मौका मिला है. इनके अलावा भी कई ऐसे नाम है जिनको लगातार तीसरी बार या दूसरी बार मौका दिया जा रहा है. स्पष्ट है कि भारतीय जनता पार्टी मिशन 80 के अपने कार्यक्रम में किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती है.

भारतीय जनता पार्टी ने कुल 51 सीटों में से 47 सांसदों को लगातार दूसरी बार मौका दिया है. इनमें से लगभग एक दर्जन ऐसे उम्मीदवार हैं जिनको तीसरी बार मौका मिल रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजनाथ सिंह ने अपनी अपनी लोकसभा सीटों से 2019 में रिकार्ड मतों से जीत दर्ज की थी. गोरखपुर से रवि किशन ने भी करीब 4 लाख वोटो से जीत दर्ज की थी. जबकि सबसे बड़ी जीत अमेठी में स्मृति ईरानी को मिली थी, जिन्होंने कांग्रेस के प्रधानमंत्री पद के चेहरे राहुल गांधी को 50000 से अधिक वोटो से हराकर पहली बार अमेठी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था. मथुरा से हेमा मालिनी ने भी जोरदार जीत दर्ज की थी. उनको भी एक और मौका देकर पार्टी ने अपने स्तर चेहरे पर ही भरोसा किया है.

महेंद्रनाथ ने कहा- पीएम मोदी के संकल्प को पूरा करने का समय

चंदौली से टिकट मिलने के बाद केंद्रीय मंत्री डॉ महेंद्र नाथ पांडेय का पहला बयान आया है. वाराणसी से सटी चन्दौली सीट से केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने कहा कि पार्टी ने एक बार फिर भरोसा जताया, इसके लिए धन्यवाद. पीएम मोदी समेत शीर्ष नेतृत्व को धन्यवाद दिया. कहा कि मोदी के संकल्प को पूरा करने का समय आ गया है. जनता इस बार 400 सीट के संकल्प को पूरा करेगी. बता दें कि केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय चन्दौली से तीसरी बार भाजपा से चुनाव लड़ेंगे.

भाजपा ने प्रो. एसपी सिंह बघेल पर जताया भरोसा

भाजपा ने एक बार फिर आगरा सुरक्षित लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद केंद्रीय मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल पर भरोसा जताया है. एक सामान्य परिवार में जन्मे प्रो. एसपी सिंह बघेल ने यूपी पुलिस ज्वाॅइन की. यूपी के दो सीएम के सिक्योरिटी में तैनात रहे. फिर, राजनीति में आए तो सियासी करियर काफी उतार.चढ़ाव भरा रहा है. विधायक, सांसद, कैबिनेट मंत्री और केंद्रीय मंत्री तक पहुंचे हैं. एसपी सिंह बघेल का सियासी सफर समाजवादी पार्टी के साथ शुरू हुआ. सन 1998 और 1999 और 2004 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर जलेसर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े. सांसद बनें. इसके बाद सन 2009 में प्रो. एसपी सिंह बघेल ने बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया. जिस पर बसपा ने राज्यसभा भेजा था. सन 2017 में भाजपा का दामन थामा दरअसल, प्रो. एसपी सिंह बघेल ने बसपा छोड़कर भाजपा को अपना ठिकाना बनाया. भाजपा ने उन्हें ओबीसी मोर्चा का अध्यक्ष बनाया. फिर, सन 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रो. एसपी सिंह बघेल भाजपा के टिकट पर टूण्डला विधानसभा से चुनाव लड़कर विधायक बने. सीएम योगी की पहली सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने. फिर 2019 में भाजपा ने प्रो. एसपी सिंह बघेल को आगरा सुरक्षित लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा. तो उन्होंने जीत दर्ज की और पीएम मोदी के कैबिनेट में जगह मिली.

टिकट की दौड़ में साकेत मिश्र ने मारी बाजी

भारतीय जनता पार्टी ने श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र 58 से साकेत मिश्र को अपना प्रत्याशी बनाया है. साकेत मिश्र वर्तमान में विधान परिषद के सदस्य हैं. पिछले लोक सभा चुनाव में उनके नाम की बड़ी जोरशोर से चर्चा थी लेकिन अंत में उन्हे टिकट न देकर दद्दन मिश्र को प्रत्याशी बना दिया गया था. इस बार बीजेपी के कई दावेदार थे. लेकिन बीजेपी आलाकमान ने साकेत के नाम पर मोहर लगाई. साकेत पड़ोसी जनपद बहराइच जिले के मूल निवासी हैं तथा पिछले काफी समय से बीजेपी में सक्रिय राजनीति कर रहे हैं.

जीत की हैट्रिक लगाने उतरेंगे सांसद हरीश द्विवेदी

बस्ती लोकसभा सीट से एक बार फिर से मौजूदा सांसद और राष्ट्रीय मंत्री रहे हरीश द्विवेदी पर भरोसा जताते हुए बीजेपी ने टिकट दिया है. सांसद हरीश द्विवेदी ने कहा कि उनके सामने तमाम सारी चुनौतियां हैं मगर वह सिर्फ अपने 10 साल के कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों के बल पर एक बार फिर से जीत की हैट्रिक लगाएंगे. हरीश द्विवेदी 1991 से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संपर्क में आए. 1994 से 1996 तक प्रदेश सहमंत्री भी रहे. 1998 से 2000 तक प्रयाग में विभाग संगठन मंत्री रहे. वर्ष 2000 से 2003 तक प्रयागराज व सुल्तानपुर विभाग के संगठन मंत्री रहे. इसके बाद वे 2004 से भाजपा के सम्पर्क आये, 2005 से 2007 तक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशरीनाथ त्रिपाठी के राजनीतिक सलाहकार रहे. इस दौरान वह 2005 से 2007 तक भाजयुमो के प्रदेश महामंत्री भी रहे. 2007 से 2010 तक भाजयुमो के प्रदेश उपाध्यक्ष बने. 2010 से 2013 तक भाजयुमो की यूपी इकाई के प्रदेश अध्यक्ष रहे. 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हें बस्ती सदर विधान सभा क्षेत्र से टिकट मिला, जिसमे उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. 2014 व 2019 के आम चुनावों में भाजपा प्रत्याशी के रूप में बस्ती संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं.

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Last Updated : Mar 3, 2024, 6:41 AM IST

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