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बायोटेक लैब ने सरगुजा को दी नई पहचान, साइंटिस्ट ने वेस्ट मैनेजमेंट को बनाया अव्वल

छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद सरगुजा में बायोटेक लैब की स्थापना हुई.इस लैब के बनने के बाद दो बड़े इनोवेशन हुए.

new identity to Surguja
बायोटेक लैब ने सरगुजा को दी नई पहचान (ETV Bharat Chhattisgarh)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 30, 2024, 7:10 PM IST

सरगुजा :छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद उत्तर छत्तीसगढ़ को स्वास्थ्य, शिक्षा कनेक्टिविटी के साथ एक और बड़ी सौगात मिली. ये सौगात थी प्रदेश के एकलौते बायोटेक लैब की. इस बायोटेक लैब में एक साइंटिस्ट की पदस्थापना की गई. इस वजह से राज्य निर्माण के 25 वर्षों में सरगुजा और अम्बिकापुर ने कई इनोवेशन के जरिए कीर्तिमान स्थापित किए. अम्बिकापुर के बायोटेक लैब के इस साइंटिस्ट के आविष्कार देश भर में सराहे जा रहे हैं.

साइंटिस्ट ने दी नई पहचान :बायोटेक के साइंटिस्ट प्रशांत शर्मा की इनोवेशन ने सरगुजा को नई पहचान दिलाने में बड़ा योगदान दिया है. प्रशांत शर्मा ने ई बॉल, कंपोस्ट का कल्चर, वर्मी वास जैसे अविष्कार देकर सरगुजा और प्रदेश का नाम रोशन किया. इतना ही नही बायोटेक लैब के माध्यम से प्रदेश में सबसे पहले किसानों को ऑयस्टर मशरूम की खेती का प्रशिक्षण देकर, बीज तैयार कर उन्हें मशरूम की खेती से लाभ पहुंचाने में मदद की. वर्मी कंपोस्ट में उच्च गुणवत्ता वाले केचुओं का उपयोग, स्वाइल परीक्षण कर किसानों को उन्नत सलाह और भी कई काम सरगुजा में इस माध्यम से किए गए.


दो इनोवेशन बेहद हैं खास : साइंटिस्ट प्रशांत शर्मा द्वारा किये गये कार्यो में दो काम काफी बड़े हैं, पहला कंपोस्ट कल्चर जिसके वजह से केंद्र सरकार से अम्बिकापुर नगर निगम को बेस्ट इनोवेशन का खिताब मिला और दूसरा अविष्कार है ई बॉल जिसने देश भर में धूम मचा दी है. तालाब या नाली में गंदे पानी को कम खर्चे में बेहद आसानी से साफ कर इस बॉल ने सबको हैरत में डाल दिया. नतीजा ये हुआ कि देश भर की 200 से अधिक नगरीय निकायों ने अपने शहर के तालाब इनसे साफ कराए हैं. जी 20 समिट के दौरान जिन शहरों में समिट होना था वहां के तालाबों को ई बॉल टेक्नोलॉजी से ही साफ किया गया था. फिलहाल इन्होंने बस्तर के दलपत सागर और रांची के बड़ा तालाब को भी साफ करने का जिम्मा उठाया है.



इस बारे में अम्बिकापुर स्वच्छ भारत मिशन के नोडल अफसर रितेश सैनी बताते हैं "सरगुजा में बायोटेक लैब खुलने से कई शासकीय विभागों को इसका फायदा हुआ. पहले जब हम लोग कम्पोस्टिंग पर काम करते थे. तो किस तरह के बैक्टीरियल कल्चर में काम करना है. मिट्टी कैसी होगी, खाद कैसा होगा, ये पता नही था. तकनीक का अभाव था. कोई अनुभवी व्यक्ति यहां नही थे, लेकिन इस लैब में जब साइंटिस्ट की पदस्थापना हुई.

बायोटेक लैब ने सरगुजा को दी नई पहचान (ETV Bharat Chhattisgarh)

अम्बिकापुर में जब हम लोगों ने डोर टू डोर कचरा कलेक्शन शुरू किया. तो किस तरह से कचरे को जल्दी से जल्दी खाद में बदलना है, इसके लिए इन्होंने ही बैक्टीरियल कल्चर तैयार कर के दिया, जिसका उपयोग होम कम्पोस्टिंग के लिए भी किया जा रहा है. इसके अलावा शहर के तालाब, नाले या जहां पानी रुकता है. उसको साफ करने के लिये इन्होंने ई बॉल टेक्निक दी इसका भी उपयोग हम लोगों ने किया जिसके परिणाम सकारात्मक देखने को मिले थे- रितेश सैनी,नोडल अफसर,स्वच्छ भारत मिशन

साइंटिस्ट डॉ. प्रशांत बताते हैं " राज्य स्थापना के बाद 2002 में यहां पर छत्तीसगढ़ का पहला बायोटेक लैब स्थापित किया गया. और इसके 1 साल बाद 2003 में मेरी यहां पर पदस्थापना हुई. शुरु में जब यहां काम शुरू हुआ तो सबसे बड़ा चैलेंज था, कृषि और उद्यानिकी क्षेत्र में प्रशिक्षण और काम करने का. तो सबसे पहले हम लोगो ने कृषि अपशिष्ट पर काम शुरू किया और छत्तीसगढ़ में सबसे पहले ऑयस्टर मशरूम की खेती शुरू कराई गई. इसके बाद किसानों को उन्न्त पैदावार के लिए स्थापना से अब तक 24 से 25 हजार किसानों की जमीन का मिट्टी परीक्षण कर उनको खेती और मिट्टी के अनुसार सलाह दी गई"




कल्चर के माध्यम से कचरा निपटान :वहीं डॉक्टर प्रशांत के मुताबिक जब नगर निगम में कचरा के निपटान की बात आई तो लैब के माध्यम से टेक्निकल सहयोग कर कल्चर उपलब्ध कराया गया. घर के आर्गेनिक कचरे या जहां कचरा लेने रिक्शा नहीं जा सकते ऐसे स्थानों में ही कचरे को खाद्य में बदलने के लिए ये कल्चर तैयार किया गया.

छत्तीसगढ़ में पहली बार ये काम यहीं शुरू हुआ. 2017 में इसके लिए नगर निगम को बेस्ट इनोवेशन अवार्ड केन्द्र सरकार से मिला. इसके बाद तालाब और नालियों को साफ करने के लिये ई बॉल का निर्माण और इसका अंतरराष्ट्रीय पेटेंट करवाकर देश भर के कई तालाबों को साफ करने का काम किया जा रहा है- डॉक्टर प्रशांत

क्या है ई बॉल ?:ई बॉल लाभदायक बैक्टीरिया और फंगस का कंसोटिया या मिश्रण है. इसमें टी 64 और एलएबी 2 बैक्टीरिया का उपयोग किया गया है. यह किसी भी पीएच और 45 से ज्यादा तापमान पर भी काम करता है. बॉल में मौजूद सूक्ष्मजीव नाली और तालाब के वॉटर में जाकर ऑर्गेनिक वेस्ट से पोषण लेना शुरु कर संख्या बढ़ाते हैं, जिससे पानी साफ हो जाता है. एक ई बाल लगभग 150 मीटर लंबी नाली के लिए प्रभावी होती है. एक बार ई बॉल उपयोग करने के बाद 90 दिन तक वह प्रभावी होती है. ई बॉल के उपयोग से बार-बार नाली जाम और नाली से आने वाली दुर्गंध से छुटकारा मिल रहा है.


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