पटनाःबिहार एमएलसी उपचुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टिया मैदान में उतर गयी है. तिरहुत स्नातक निर्वाचन उपचुनाव के लिए अभी तक 9 प्रत्याशियों ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है जिसमें जदयू से अभिषेक झा, राजद से गोपी किशन, राकेश रोशन निर्दलीय, राजीव भूषण निर्दलीय, राजेश कुमार रोशन निर्दलीय, शिक्षक नेता रह चुके वंशीधर बृजवासी निर्दलीय, ऋषि कुमार अग्रवाल निर्दलीय, प्रणय कुमार निर्दलीय हैं. जन सुराज से डॉ विनायक गौतम नामांकन कराएंगे.
उप चुनाव की लड़ाई दिलचस्पःतिरहुत स्नातक उप चुनाव में मुख्य मुकाबला जेडीयू और आरजेडी के बीच होने की संभावना थी, लेकिन प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज के आने से लड़ाई त्रिकोणात्मक बना दी है. डॉ. विनायक गौतम पूर्व एमएलसी रामकुमार सिंह के बेटे और बिहार सरकार में पूर्व मंत्री रघुनाथ पांडे के नाती हैं. इसलिए यह मुकाबला दिलचस्प होने वाला है.
वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय (ETV Bharat) राजनीतिक दलों का जाति कार्डःतिरहुत एनडीए का मजबूत गढ़ है. इससे पहले जदयू से देवेश चंद्र ठाकुर एमएलसी थे. लगातार 22 वर्षों से जदयू का कब्जा रहा है. इसबार जेडीयू अभिषेक झा के रूप में एक ब्राह्मण कैंडिडेट को अपना उम्मीदवार बनाया है. राजद ने वैश्य समुदाय से तालुक रखने वाले गोपी किशन और जन सुराज ने भी भूमिहार जाति से आने वाले डॉ विनायक गौतम को अपना उम्मीदवार बनाया है.
जदयू प्रत्याशी का दावा: जदयू प्रत्याशी अभिषेक झा ने ईटीवी भारत के संवाददाता से फोन पर बातचीत की. कहा कि पूरा तिरहुत का क्षेत्र एनडीए का मजबूत जन आधार वाला क्षेत्र रहा है. यहां के सभी 7 सांसद एनडीए के हैं. इस निर्वाचन क्षेत्र में देवेश चंद्र ठाकुर ने दो दशकों तक लगातार जनता के लिए काम किया है. उन्हें इस बात का गौरव है कि उनके इस सीट पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन पर भरोसा जताया है.
नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद जदयू प्रत्याशी (ETV Bharat) "जीतने के बाद स्नातक बेरोजगारों को नौकरी, विश्वविद्यालय सेशन समय पर चले, स्नातकोत्तर की पढ़ाई सुचारू ढंग से हो आदि प्राथमिकता होगी. उच्च शिक्षा के लिए बिहार सरकार के द्वारा लोन दिया जा रहा है. यह कैसे आसानी से मिल सके उसे पर भी उनका काम होगा. कोई भी प्रत्याशी बहुत बड़ी चुनौती नहीं है, लेकिन मुख्य मुकाबला महागठबंधन के प्रत्याशी से है. अन्य वोट कटवा के रूप में मैदान में हैं."-अभिषेक झा, जदयू प्रत्याशी
प्रशांत किशोर पर तंजः अभिषेक झा ने प्रशांत किशोर के बयान को याद किया. प्रशांत किशोर ने पद यात्रा कर रहे थे तो कि 1200 परिवार के लोगों को टिकट नहीं देंगे जिनमें से विधायक, विधान पार्षद या सांसद चुने जाते रहे हैं. लेकिन तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से उन्होंने डॉ. विनायक गौतम को उम्मीदवार बनाया है. बात रही सारण की तो वहां निर्दलीय चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. इसमें प्रशांत किशोर का कोई बड़ा फैक्टर नहीं था.
बदलाव के मूड में जनताःगोपी किशन की भी प्राथमिकता जदयू के जैसा ही है. गोपी किशन का मानना है कि छात्र संघ का चुनाव नाम मात्र के लिए होता है, लेकिन छात्रों की समस्या ऊपर तक पहुंचने वाला कोई नहीं है. यदि वह जीतते हैं तो वह सरकार और छात्रों के बीच उनकी आवाज बनने का प्रयास करेंगे. इसके अलावा छात्रों को रोजगार मिले इसको लेकर काम करने की जरूरत है. राजद प्रत्याशी का दावा है कि उनका किसी भी कैंडिडेट से मुकाबला नहीं है.
नामांकन पत्र दाखिल करते राजद प्रत्याशी (ETV Bharat) "पहले स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के लिए वोटर बनने की प्रक्रिया बहुत ही जटिल थी. बहुत लोगों को जानकारी भी नहीं हो पाती थी कि कैसे इसका वोटर बनाया जाता है. लेकिन अब लोग जागरूक हुए हैं. और इस बार स्वत: युवा आगे आकर वोटर बनने का काम किए हैं. नए मतदाता मेरे पक्ष में मतदान करेंगे. इस बार विपक्षी दल नहीं यहां के बेरोजगार स्नातक मतदाता चुनाव लड़ रहे हैं."-गोपी किशन, राजद प्रत्याशी
निर्दलीय भी मैदान मेंः जन सुराज के प्रत्याशी डॉ विनायक गौतम का पुराना राजनीतिक परिवार रहा है. भूमिहार समाज में उनके परिवार की अच्छी पकड़ है. 6 निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है, जिसमें बीजेपी से ताल्लुक रखने वाले राजेश रोशन व शिक्षक नेता रह चुके बंशीधर बृजवासी हैं, राजेश रोशन मुजफ्फरपुर के रहने वाले हैं और स्वामी सहजानंद सरस्वती विचार मंच चलाते हैं. भूमिहार वोटरों के बीच उनकी अलग पहचान है. वंशीधर बृजवासी लगातार शिक्षकों के मुद्दे पर आंदोलन करते रहे हैं. केके पाठक के साथ तकरार के बाद बर्खास्त कर दिया गया था.
जनसुराज से डॉ. विनायक करेंगे पर्चा दाखिल (ETV Bharat) क्या कहते है विशेषज्ञःवरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का मानना है कि इसका टेन्योर बहुत ज्यादा दिनों का नहीं है, फिर भी राजनीतिक दल इस उप चुनाव में पूरे दमखम के साथ उतरे हैं. तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से देवेश चंद्र ठाकुर लगातार चुनाव जीते रहे हैं. तीन प्रत्याशी के अलावे एक-दो ऐसे निर्दलीय उम्मीदवार खड़े हो गए हैं जो कुछ ना कुछ वोट काटते दिख रहे हैं.
"पहले जदयू और राजद के प्रत्याशियों के बीच में मुकाबला दिख रहा था, लेकिन प्रशांत किशोर की उम्मीदवार देने के बाद यह मुकाबला दिलचस्प हो गया है. विधान परिषद के चुनाव में वरीयता के आधार पर वोटिंग होती है. पहली प्राथमिकता दूसरी प्राथमिकता एवं तीसरी प्राथमिकता तक वोटर कैंडिडेट को वोट दे सकते हैं. यही कारण है कि इस यह चुनाव हमेशा से दिलचस्प होता रहा है."-रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
क्यों हो रहा चुनावः बता दें कि देवेश चंद्र ठाकुर के सांसद बनने के बाद यह सीट खाली थी. 5 दिसंबर को वोटिंग होगी. इसके लिए नामांकन प्रक्रिया 18 नवंबर तक चलेगी. 19 को स्क्रूटनी और 21 नवंबर तक नाम वापसी की तिथि निर्धारित है. मुजफ्फरपुर, वैशाली, सीतामढ़ी और शिवहर के एक लाख 58 हजार 828 स्नातक मतदाता वोट करेंगे. कुल पुरुष मतदाताओं की संख्या एक लाख सात हजार 401 और महिला मतदाताओं की संख्या 47 हजार 419 है.
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