पटना:बिहार में शराब से मौत का सिलसिला नहीं थम रहा है. बिहार में कुल मौत की संख्या 65 हो गयी है, जिसमें सिवान में 48, सारण में 15, और गोपालगंज में 2 की मौत हुई. हालांकि प्रशासनिक पुष्टि 37 है जिसमें सिवान में 28, सारण में 7 और गोपालगंज में 2 मौत हुई है. छपरा और सिवान जिलों के 16 गांवों में इसका कहर देखने को मिल रहा है. 50 बीमार हैं, जिनका इलाज सदर अस्पताल, बसंपतपुर सीएचसी और पीएमसीएच पटना में चल रहा है.
सारण में 15 की मौतः सारण में 15 लोगों की मौत हुई है लेकिन सरकारी पुष्टि 7 की है. छपरा डीएम अमन समीर और एसपी डॉ. आशीष कुमार ने बताया कि सात लोगों की मौत की जानकारी है. छपरा पुलिस की एसआईटी टीम ने एक शराब कारोबारी को गिरफ्तार किया है. भगवानपुर हाट थाना क्षेत्र के बिलासपुर गांव का निवासी है. आरोपी रजनीकांत जहरीली शराब की सप्लाई चेन में एक कड़ी का काम करता था. सिवान में भी एसआईटी 10 लोगों को गिरफ्तार किया है.
"रजनीकांत नाम के व्यक्ति को शराब सप्लाई के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. इस पूरे कांड का एक छोटी सी कड़ी है. एसआईटी टीम लगातार छापेमारी कर रही है. पुलिस छोटे से बड़े सभी माफिया पर ध्यान दे रही है जो भी आरोपी हैं उन पर कार्रवाई की जाएगी."-डॉ कुमार आशीष, एसपी, सारण
गोपालगंज में 2 मौतः सिवान और छपरा के अलावे गोपालगंज में कुल दो लोगों की मौत हुई है. एक का इलाज चल रहा है. गोपालगंज के मोहम्मदपुर निवासी लाल बालू राय और बैकुंठपुर के बंधौली गांव में लालदेव मांझी की मौत हुई है. लालदेव मांझी का पुत्र प्रदीप कुमार अस्पताल में भर्ती है. बताया जाता है कि लालदेव मांझी पिता पुत्र मशरख में भैंस खरीदने के लिए गए थे, वहीं शराब पी थी.
शराबबंदी के 8 साल से ज्यादाः बता दें कि बिहार में शराबबंदी हुए 8 साल हो गए लेकिन अब तक पूर्ण रूप से यह लागू नहीं हुआ. राज्य के जिलों में खुलेआम शराब की बिक्री होती है. लोग पीते हैं और मरते हैं. पिछले 2016 से 2024 की बात करें तो इस बीच करीब 500 से ज्यादा लोगों की मौत हुई होगी, लेकिन सरकार इस ओर कोई सख्त कदम नहीं उठा पायी. इसका असर है कि एक बार फिर बिहार में जहरीली शराब से मौत हो रही है.
बंदी के बाद शराब बिक्री जारीः बिहार में 1 अप्रैल 2016 शराबबंदी लागू हुआ. 5 अप्रैल 2016 से सभी तरह की शराब पर प्रतिबंध लगा दिया था. इस कानून के तहत ना तो कोई शराब पी सकता है और ना ही इसे बेच सकता है, लेकिन बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद रोज शराब पीने वाले और शराब का कारोबार करने वाले पकड़े जा रहे हैं. आए दिन शराब की बड़ी खेप बरामद होती रही है. देसी शराब तो बिहार में खुलेआम बनायी जाती है.
कई फैक्ट्री का उद्भेदनः राजधानी पटना की बात करें तो 2018 में आर ब्लॉक चौराहा व हड़ताली मोड़ के बीच रेलवे ट्रैक के किनारे झुग्गी झोपड़ी में दर्जन भर से ज्यादा देसी शराब की भट्ठी पकड़ी गई थी. जनवरी 2020 में नगर चौराहे के पास पुलिस ने हजारों लीटर देसी शराब बरामद की थी. नाले के अंदर भट्टी बनायी गयी थी. 2022 में दानापुर रेलवे स्टेशन के पास शराब की दर्जनों भट्ठियां तोड़ी गई. रूपसपुर के जलालपुर नहर के नजदीक शराब बनाई जा रही थी. बहुमंजिली इमारत के पास शराब माफिया फैक्टरी लगा रखा था.
पटना में कई फैक्ट्री का भंडाफोड़ः 16 अक्टूबर 2024 को पटना के कांटी फैक्ट्री रोड में शराब बनाने के कारखाना का खुलासा हुआ. मद्य निषेध विभाग के छापेमारी में पैकिंग मशीन, ड्रायर, 800 खाली बोतल, 44 बोतल शराब, 200 पीस ढक्कन, 600 रैपर के साथ 2 लोगों को गिरफ्तार किया था. इतनी शराब बरामदगी और निर्माण का खुलासा होने के बावजूद सरकार मान रही है कि बिहार में शराबबंदी है.
जिलों में देसी शराब का कारोबारःसारण पुलिस ने सितंबर 2024 में सरयू नदी के सीमावर्ती दियरा क्षेत्र के तीन दर्जन देसी शराब की भट्ठी को ध्वस्त किया था. इस दौरान पुलिस ने लगभग दस हजार लीटर कच्चा जावा व शराब बनाने वाले उपकरण को नष्ट कर दिया. छापेमारी के दौरान पुलिस ने एक हजार लीटर देसी शराब भी बरामद की थी.