भोपाल।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो अक्टूबर 2014 को ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की शुरुआत की थी. उन्होंने देश के सभी नागरिकों से इस अभियान से जुड़ने की अपील भी की थी. जिसके बाद शहर के सैफुद्दीन शाजापुरवाला इस अभियान को अपने जीवन से जोड़ दिया. अपनी एक्टिवा में भी वे स्वच्छता को लेकर कई संदेश लिख रखे हैं. वहीं गीले और सूखे कचरे के लिए थैला भी साथ लेकर चलते हैं. जहां भी गंदगी दिखती है, उसे अपने झोले में भर लेते हैं. अब तक वो देश व प्रदेश के 600 से अधिक गांव व शहरों में लोगों को स्वच्छता का संदेश दे चुके हैं.
सैफुद्दीन शाजापुरवाला बताते हैं कि 'हर मजहब में सफाई जरुरी है. लोग अपने घर, मंदिर व मस्जिद में सफाई करते हैं, लेकिन सार्वजनिक स्थलों पर धड़ल्ले से गंदगी करते हैं. हालांकि इसके लिए केंद्र सरकार व नगरीय निकाय काफी पैसा खर्च कर रहे हैं, लेकिन सफाई की जिम्मेदारी नागरिकों की भी है. सैफुद्दीन ने बताया कि दो अक्टूबर 2015 को धर्मगुरु सैयदना साहब, महात्मा गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रेरणा लेकर वो भोपाल में जहां कहीं भी उन्हें गंदगी दिखती है, वहां जाकर सफाई का कार्य करते हैं. इतना ही नहीं, वो हर संडे जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को सफाई के लिए जागरूक भी कर रहे हैं. इसलिए लोग उनको 'संडे मैन' के रूप में भी जानते हैं.
एक्टिवा से की 70 हजार किलोमीटर की यात्रा
सैफुद्दीन स्वच्छता का संदेश देने के लिए किसी से मदद नहीं लेते हैं. जहां भी जाते हैं, अपना पैसा खर्च करते हैं. अब तक वो अपनी एक्टिवा से देश भर में 70 हजार किलोमीटर से अधिक की यात्रा कर चुके हैं. इसमें प्रमुखता से इंदौर, उज्जैन, देवास, जबलपुर, सीहोर, सोनकच्छ समेत दो दर्जन जिले व इनके आसपास के गांव शामिल हैं. एमपी के बाहर मुंबई, अहमदाबाद, सूरत, रायपुर, हैदराबाद समेत 15 से अधिक बड़े शहरों में भी स्वच्छता की अलख जगा चुके हैं. अब 26 जनवरी के बाद फिर वो कोटा और उदयपुर की यात्रा पर निकलने वाले हैं.
झाड़ू और दो डस्टबिन रखते हैं साथ
पुराने शहर में एलबीएस अस्पताल के पास नूर मोहल्ले में रहने वाले सैफुद्दीन पेशे से व्यापारी हैं और वालपेपर की दुकान संचालित करते हैं. वैसे तो सैफुद्दीन प्रतिदिन स्वच्छता को लेकर लोगों को संदेश देते हैं, लेकिन रविवार को सुबह नौ से शाम छह बजे तक कचरा जमा कर उसे सही जगह फेंकते हैं, ताकि उसकी रीसाइक्लिंग हो सके. हमेशा एक्टिवा पर झाड़ू के साथ दो डस्टबिन गीला और सूखे कचरे के लिए रखते हैं. स्वच्छता का संदेश देने के लिए उन्होंने अपने कपड़ों और वाहनों का भी उपयोग किया है. जिस पर हम कब सुधरेंगे, गीला कचरा हरे डस्टबिन में व सूखा कचरा नीले डस्टबिन में डालें जैसे मैसेज लिखे हुए हैं.