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मध्य प्रदेश के 20 लाख से ज्यादा कामगारों की बढ़ेगी सैलरी ? जुलाई महीने में होगा फैसला - MP MINIMUM WAGE RATES INCREASE CASE

मध्य प्रदेश में असंगठित क्षेत्र से जुड़े लाखों मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी दरों में बढ़ोत्तरी के बाद हाईकोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी. श्रम विभाग के आदेश के विरोध में मध्य प्रदेश मिल एसोसिएशन सहित कई संगठनों ने कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की थी. अब इस मामले में जुलाई में सुनवाई होने जा रही है.

MP MINIMUM WAGE RATES INCREASE CASE
मध्य प्रदेश में न्यूनतम मजदूरी के मामले में सुनवाई (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 30, 2024, 10:36 PM IST

Updated : Jul 1, 2024, 7:15 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में असंगठित क्षेत्र से जुड़े करीबन 23 लाख मजदूरों को हाईकोर्ट के निर्णय से बड़ा झटका लगा है. कोर्ट के आदेश के बाद मजदूरों को 25 फीसदी ज्यादा वेतन दिए जाने के आदेश पर रोक लग गई, हालांकि श्रम विभाग के रिटायर्ड अधिकारियों की मानें तो हाई कोर्ट द्वारा न्यूनतम मजदूरी की दरों में बढ़ोत्तरी पर दिए गए स्टे को खत्म करने के लिए सरकार द्वारा मजबूत पहल नहीं की गई. अब इस मामले की जुलाई माह में सुनवाई होने जा रही है, उम्मीद है कि कोर्ट से मजदूरों के लिए राहत की खबर आएगी.

5 साल के बाद बढ़ी थीं दरें

श्रम विभाग के रिटायर्ड एडिशनल कमिश्नर आरजी पांडे बताते हैं कि "न्यूनतम मजदूरी अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत हर 5 साल में न्यूनतम मजदूरी की दरों में पुनरीक्षण करना अनिवार्य है. मध्य प्रदेश में अक्टूबर 2014 के बाद अक्टूबर 2019 में मजदूरी की दरें बढ़ाई जानी थीं लेकिन 1 अप्रेल 2024 को इसे बढ़ाया गया था. इसके बाद मजदूरों के वेतन में 1625 रुपये से लेकर 2434 रुपये की बढ़ोत्तरी हुई थी."

इतनी बढ़ाई गई थी मजदूरी

श्रम विभाग के आदेश के बाद 1 अप्रैल 2024 को मजदूरी दरों में बढ़ोत्तरी के बाद अकुशल, अर्धकुशल, कुशल और उच्च कुशल मजदूरों की मजदूरी 391 रुपये प्रतिदिन से लेकर 527 रुपये प्रतिदिन की गई थी.
श्रेणी मासिक दैनिक
अकुशल 10174 391
अर्धकुशल 11032 424
कुशल 12410 477
उच्च कुशल 13710 527

विभिन्न संगठनों की अपील पर कोर्ट ने दिया स्टे

श्रम विभाग के आदेश के विरोध में मध्य प्रदेश मिल एसोसिएशन सहित अन्य संगठनों ने कोर्ट में याचिका प्रस्तुत कर इस आदेश पर रोक लगाए जाने की मांग की थी. रिटायर्ड एडिशनल कमिश्नर आरजी पांडेबताते हैं कि "याचिकाकर्ताओं द्वारा याचिका में प्रदेश में क्षेत्रवार न्यूनतम मजदूरी पुनरीक्षित कर निर्धारित नहीं करने का मुद्दा उठाया. जबकि यह विषय न तो न्यूनतम मजदूरी सलाहकार परिषद के सामने लाया गया और न ही सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी के संबंध में बुलाई गई आपत्तियों में उठाया गया. ऐसे में क्षेत्रवार न्यूनतम मजदूरी दरों के निर्धारण पर सवाल ही नहीं बनता है लेकिन इसके बाद भी सरकार द्वारा स्टे खत्म करने के लिए सार्थक कदम नहीं उठाया गया. हालांकि अब इस मामले में जुलाई माह में सुनवाई होने जा रही है. उम्मीद है कि मजदूरों के पक्ष में बेहतर नतीजा आएगा."

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'68 साल में पहली बार ऐसा हुआ'

ऑल डिपार्टमेंट आउटसोर्स संयुक्त संघर्ष मोर्चा के प्रांत संयोजक मनोज भार्गव कहते हैं कि "यह प्रदेश के इतिहास में पहला मौका है जब अंतिम पंक्ति के लोगों को दी जाने वाली न्यूनतम मजदूरी को रोका गया हो. मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद मजदूरों के वेतन को बढ़ाया गया था." मध्य प्रदेश कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष अशोक पांडेकहते हैं कि यदि जल्द ही दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को उनके बढ़ाए गए वेतनमान के हिसाब से भुगतान का रास्ता नहीं निकाला जाता तो मुख्यमंत्री के नाम प्रदेश भर से ज्ञापन भिजवाए जाएंगे."

Last Updated : Jul 1, 2024, 7:15 PM IST

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