भोपाल।देशभर में एनटीए यानि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा कराई नीट 2024 में भ्रष्टाचार सामने आने के केंद्र सरकार कटघरे में खड़ी है. विपक्ष इसे मुद्दा बना रहा है. वहीं नीट 2024 की परीक्षा देने वाले लाखों छात्र चिंतित है. इसी बीच मध्यप्रदेश में साल 2009 में हुए एमपी पीएससी प्रोफेसर भर्ती घोटाले की चर्चाएं भी तेज हो गई हैं. इसका कारण दोनों परीक्षाओं में एक ही चेयरमैन का होना है.
डॉ प्रदीप जोशी थे एमपी पीएससी के तत्कालीन चेयरमैन
वर्तमान में एनटीए के चेयरमैन डॉ प्रदीप जोशी प्रोफेसर भर्ती घोटाले के दौरान एमपी पीएससी के चेयरमैन थे. इनका कार्यकाल जून 2006 से सितंबर 2011 के बीच रहा. इसी दौरान एमपी में 350 प्रोफेसरों की भर्ती की गई लेकिन इनमें से 103 प्रोफेसरों के द्वारा तय पात्रता पूरी नहीं करने के बाद भी नियक्ति देने का आरोप लगाया गया था.
जांच कमेटी ने भी माना, भर्ती प्रक्रिया में हुई अनियमितता
साल 2009 में प्रोफेसर भर्ती घोटाले पर जब शोर मचा तो मामला हाईकोर्ट पहुंचा, जिसके बाद एमपी सरकार ने एक जांच कमेटी बनाई. इस कमेटी ने भी स्वीकार किया था कि कई भर्तियां गलत हुई हैं. इनकी जांच लोकायुक्त, एसटीफ या ईओडब्ल्यू जैसी एजेंसियों से करानी चाहिए. नियुक्ति के बाद चयनितों के पात्रता प्रमाण पत्र, पीएचडी और टीचिंग अनुभव के बीच पर्याप्त अंतर नहीं होने के गंभीर आरोप लगे थे.
पूर्व कुलपति की बेटी को बनाया प्रोफेसर
2009 की प्रोफेसर भर्ती में आरडीवीवी जबलपुर के पूर्व कुलपति एस. शर्मा की बेटी अंकिता बोहरे को भी गलत तरीके से प्रोफेसर बनाया था. दरअसल एस. शर्मा के कुलपति रहने के दौरान ही डॉ प्रदीप जोशी प्रोफेसर बने थे. यह मामला भी हाईकोर्ट पहुंचा था, जिसके बाद इनकी नियुक्ति गलत पाई गई थी, हालांकि बाद में अंकिता सुप्रीम कोर्ट चली गई थी. जहां से उन्हें राहत मिल गई थी.