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कंगारू मदर केयर ने जुड़वा को दिया जीवनदान, मां नहीं दादी-नानी का प्यार बना सहारा - BHOPAL AIIMS KANGAROO MOTHER CARE

भोपाल एम्स में कंगारु मदर केयर से जुड़वा बच्चों को मिला नया जीवन. एनीमिया से पीड़ित थी मां. समय से 2 महीने पहले हुआ डिलीवरी.

BHOPAL AIIMS KANGAROO MOTHER CARE
कंगारु मदर केयर से स्वस्थ हुए जुड़वा बच्चे (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 20, 2025, 8:55 PM IST

भोपाल: एम्स भोपाल में पारिवारिक सहयोग के कारण 2 जुड़वा बच्चों को नया जीवन मिला है. दरअसल, इन बच्चों का जन्म तय समय से करीब 2 महीने पहले हुआ था. इन बच्चों की मां सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित थी. इस कारण डॉक्टरों ने मां के स्वास्थ्य को देखते हुए महिला की डिलीवरी कराई थी. जिसमें 2 जुड़वा बच्चों को जन्म हुआ. चूंकि मां खुद बीमार थी, ऐसे में वो बच्चों की सेवा नहीं कर सकती थी और न ही स्तनपान करा सकती थी. ऐसे में दोनों बच्चों को पालने की जिम्मेदारी दादी और नानी को दी गई. एम्स में चले इलाज के कारण सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित मां और दोनों जुड़वा बच्चे अब पूर्ण रुप से स्वस्थ हैं.

कंगारु मदर केयर से स्वस्थ हुए बच्चे

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. अजय सिंह ने बताया कि "भारतीय संस्कृति गहरे रूप से परिवार केंद्रित है, जो अस्पताल में भर्ती शिशुओं और माताओं के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होती है. दादी-नानी की उपस्थिति न केवल भावनात्मक बल्कि शारीरिक सहायता भी प्रदान करती है. जिससे नवजातों को निरंतर देखभाल और प्रेम मिलता है. एम्स भोपाल में हम दादी-नानी को कंगारू मदर केयर में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.

दादी नानी का प्यार जुड़वा बच्चों को दिया नया जीवन (ETV Bharat)

एम्स भोपाल में ऐसी ही सिकल सेल से पीड़ित एक मां ने निर्धारित समय से 2 महीने पहले जुड़वा बच्चों को जन्म दिया, लेकिन कंगारु मदर केयर के माध्यम से और अस्पताल की देखभाल एवं परिजन के सहयोग से बच्चे व मां पूरी तरह स्वस्थ हैं."

क्या है कंगारु मदर केयर विधि

कंगारू मदर केयर (केएमसी) एक ऐसी विधि है, जिसमें मां और नवजात शिशु के बीच त्वचा-से-त्वचा का संपर्क होता है. यह विधि विशेष रूप से समय से पहले जन्मे या कम वजन वाले बच्चों के लिए प्रयोग की जाती है. यह पद्धति शिशु मृत्यु दर को कम करने और बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार लाने में सहायक होती है. चूंकि मां खुद बीमार थी, इसलिए दादी और नानी दोनों को बच्चों की देखभाल के लिए पूर्णकालिक प्रवेश की अनुमति दी गई. इस मामले में परिवार ने इस सुविधा का पूरा लाभ उठाया.

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