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गैंगरीन से पीड़ित 70 वर्षीय मरीज, निजी अस्पतालों ने दी पैर काटने की सलाह, फिर AIIMS के डॉक्टर बने 'भगवान' - Gangreen Treatment In AIIMS Bhopal

राजधानी भोपाल के एम्स में आए दिन डॉक्टरों द्वारा चमत्कार की खबरें सामने आती रहती है. जब दूसरे अस्पतालों से निराश होकर परिजन उम्मीद छोड़ देते हैं, ऐसे में एम्स डॉक्टर हार नहीं मानते और पूरी जान लगाकर ट्रीटमेंट करते हैं. ऐसा ही मामला एक बार फिर राजधानी भोपाल एम्स से आया है.

GANGREEN TREATMENT IN AIIMS BHOPAL
एम्स डॉक्टरों ने मरीज की बचाई जान (AIIMS Twitter Image)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 19, 2024, 3:10 PM IST

भोपाल। गैंगरीन से पीड़ित 70 वर्षीय मरीज के पैर की एड़ी और अंगूठा सड़ने लगा था. जब परिजनों ने मरीज को निजी अस्पतालों में दिखाया, तो डाक्टरों ने पैर काटने की सलाह दी. इसके बाद परिजन मरीज को लेकर एम्स पहुंचे. जहां इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी तकनीकी से तकनीकी से मरीज की बीमारी का निदान किया गया. एम्स से ईलाज कराने के बाद मरीज के पैर का अंगूठा और एड़ी फिर से पहले की तरह हो गई.

गैंगरीन की वजह से हो गई थी जानलेवा बीमारी

एम्स में भर्ती होने के बाद मरीज की विशेष जांच की गई. इस दौरान एंजियोग्राफी जांच में सामने आया, कि मरीज के पैर की धमनियों में कई रुकावटें हो गई हैं. एक ऐसी गंभीर स्थिति, जिसे क्रिटिकल लिम्ब इस्केमिया (सीएलआई) के रूप में जाना जाता है. सीएलआई एक गंभीर, जानलेवा बीमारी है, जो आमतौर पर क्रोनिक डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और क्रोनिक रीनल फेल्योर वाले मरीजों में देखी जाती है, जिसमें एथेरोस्क्लेरोटिक प्लेक के जमाव की विशेषता होती है, जिससे महत्वपूर्ण धमनी में रुकावटें होती हैं.

असहनीय दर्द से पीड़ित था मरीज, नहीं मिल रहा था आराम

एम्स के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) अजय सिंह ने बताया कि एम्स भोपाल के वैस्कुलर और इंटरवेंशनल क्लिनिक ने हाल ही में उन्नत इंटरवेंशनल रेडियोलाजी तकनीकों की बदौलत एक 70 वर्षीय मरीज के पैर को काटने से सफलतापूर्वक बचाया है. मरीज पैर के अंगूठे और एड़ी में गंभीर गैंग्रीन से पीड़ित था, जिसमें लगातार दर्द हो रहा था, तमाम कोशिशों के बावजूद लक्षणों के बिगड़ने के कारण पैर को काटने की सिफारिश की गई थी.

गैंगरीन पीड़ित मरीज का सफल ऑपरेशन (ETV Bharat)

लेग एंजियोप्लास्टी से दर्द से मिली राहत, घाव में भी सुधार

एम्स भोपाल के इंटरवेंशनल रेडियोलाजी ट्रीटमेंट सेंटर में मरीज को एंडोवैस्कुलर ट्रीटमेंट, विशेष रूप से लेग एंजियोप्लास्टी दी गई. इस न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया से मेडिकल टीम को बड़ी सर्जरी के बिना पैर की अवरुद्ध धमनियों को खोला गया. रोगी को तुरंत दर्द से राहत मिली और घाव भी जल्दी भरने लगा. इस पूरी प्रक्रिया के अगले दिन ही उसे छुट्टी दे दी गई. अगले कुछ महीनों में घाव की उचित देखभाल और प्रबंधन के साथ, रोगी के घाव लगभग पूरी तरह से ठीक हो गए. रोगी के पैर को काटने से बचा लिया गया. यह सफल प्रक्रिया एंडोवैस्कुलर विशेषज्ञों और इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट की एक टीम द्वारा किया गया था.

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सीएलआई जैसी बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए एम्स बना वरदान

एम्स में रेडियोलाजी विभाग के प्रमुख डॉ. राजेश मलिक ने बताया कि समय पर हस्तक्षेप, सीएलआई के प्रबंधन और उपचार में इंटरवेंशनल रेडियोलाजी की महत्वपूर्ण भूमिका रही. समय पर निदान और न्यूनतम एंडोवैस्कुलर उपचार के द्वारा रक्त प्रवाह को बहाल करने, दर्द को कम करने, घाव भरने को बढ़ावा देने और अंग-विच्छेदन के जोखिम को कम किया जा सकता है. एम्स भोपाल उन्नत चिकित्सा उपचारों में अग्रणी बना हुआ है, जो सीएलआई जैसी गंभीर स्थितियों से पीड़ित रोगियों को आशा और बेहतर जीवन की गुणवत्ता प्रदान करता है.

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