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नाबालिगों पर शराब सिगरेट पी हत्या का आरोप, पानवाड़ी-शराब ठेकेदार पर FIR, एमपी का केस बना मिसाल - BHOPAL MURDER CASE

मध्य प्रदेश में एक बड़ा ही दिलचस्प मामला सामने आया है. यहां चार नाबालिगों पर एक युवक की हत्या का आरोप है. पुलिस ने इस घटना में शिकायत तो चार नाबालिगों के खिलाफ दर्ज की लेकिन आरोपी किसी ओर को बनाया. पुलिस की ये कार्रवाई चर्चा में बनी हुई है. आपको बता दें इस तरह का यह मध्य प्रदेश का पहला मामला है. यह केस मिसाल बन रहा है.

BHOPAL POLICE FIR
पुलिस ने दो दुकान संचालकों को बना दिया आरोपी (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 26, 2024, 4:29 PM IST

Updated : Sep 26, 2024, 6:10 PM IST

भोपाल:राजधानी भोपाल में एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है. आरोप है कि चार नाबालिगों ने शराब के नशे और सिगरेट के नशे में एक अन्य व्यक्ति की हत्या कर दी. यह मध्य प्रदेश का पहला मामला है, जब हत्या के अपराध में इस प्रकार की घटना में शराब ठेकेदार और पान दुकान संचालक को आरोपी बनाया गया है. दोनों के खिलाफ बागसेवनिया थाने में एफआईआर भी दर्ज की गई है.

नाबालिगों ने बताया नशे के कारण हुआ मर्डर

दरअसल, यह घटना बीते 6 सितंबर 2024 की है. बागसेवनिया थाना क्षेत्र में 4 नाबालिगों ने शराब के नशे में 26 साल के युवक की हत्या की थी. चाकू मारने वाला 15 साल का था, बाकी 13 से 16 साल के थे. पुलिस जांच में पता चला उन्होंने शराब व सिगरेट खरीदी. पूछताछ में नाबालिगों ने बताया कि वो ज्यादा नशे में थे, इस कारण उन्हें समझ में नहीं आया.

इसलिए शराब ठेकेदार और पान दुकान संचालक पर FIR

18 साल से कम उम्र वालों को शराब या तंबाकू बेचने पर धारा 76, 77 और किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) नियम 2016 के नियम 57 में सजा का प्रावधान है. व्यापारियों के लिए दुकान पर बोर्ड लगाकर सूचना देने का भी नियम है कि यहां 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को शराब या तंबाकू उत्पाद नहीं बेची जाती है. बिक्री करने पर विक्रेताओं पर आपराधिक केस और दोषी पाए जाने पर 7 साल सजा व एक लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है. डीसीपी जोन 2 श्रद्धा तिवारी ने बताया कि बागसेवनिया में एक शराब दुकान और सिगरेट बेचने वाले पर एफआइआर दर्ज की गई है. दुकानदारों ने अवैध तरीके से नाबालिगों को नशे की सामग्री बेची थी.'

किशोर न्याय बोर्ड (ETV Bharat)

यह है पूरा मामला

पुलिस ने बताया कि डिंडौरी निवासी गजेंद्र यादव (26) अरविंद विहार कॉलोनी में रहते हुए निजी काम करता था. बीती 6 सितंबर की रात वह अपने मामा राज यादव के साथ सामान खरीदने राजाभोज तिराहे पर गया था. राज यादव एक किराने की दुकान पर सामान खरीदने चला गया, जबकि गजेंद्र शर्मा थोड़ी दूरी पर ही एक दुकान के पटिए पर बैठ गया था. उसकी थोड़ी दूरी पर ही करीब 6 नाबालिग लड़के बैठै हुए थे. वह सभी एक दोस्त की बर्थडे पार्टी मनाने के बाद वापस लौटे थे.

नाबालिगों का पटिये पर बैठे गजेंद्र से घूरने की बात पर कहासुनी हो गई थी. विवाद बढ़ने पर किशोरों ने गजेंद्र पर चाकू से हमला कर दिया. उसके साथ मौजूद मामा राज यादव उसे गंभीर हालत में इलाज के लिए एम्स अस्पताल लेकर पहुंचा, जहां उसकी मौत हो गई थी. पुलिस ने नाबालिग लड़कों को गिरफ्तार किया था.

नाबालिग को शराब देने वाले कर्मचारी की नहीं हुई पहचान

आरोपी किशोरों में से एक ने काउंसलिंग के दौरान बताया कि 'उसने खुद ही शराब दुकान से बीयर की बोतल खरीदी थी. इसके साथ ही पास में ही स्थित दुकानदार रिषिकांत साहू से सिगरेट और गुटखा खरीदा था. पुलिस ने नाबालिग को नशे का सामान बेचने पर रिषिकांत के खिलाफ जेजे एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया है. बताया गया है कि फिलहाल यह साफ नहीं हो सका है कि शराब दुकान के किस कर्मचारी ने किशोरों को शराब दी थी. उसकी पहचान जुटाने के बाद उसे भी आरोपी बनाया जाएगा.

किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य कृपा शंकर चौबेने कहा बोर्ड की तरफ से लगातार इस बात के प्रयास किए जा रहे हैं, कि समाज में ये जागरुकता आए और किशोरों को नशे से दूर रखने में सब सहभागी बने. इन किशोरों ने काउंसिलंग के दौरान जब स्वीकार किया कि नशे की वजह से उनसे ये अपराध हुआ है. तो पहली बार इस तरह की कार्रवाई की गई. जिसमें पान की दुकान और शराब ठेकेदार के खिलाफ मामला दर्ज हुआ. बोर्ड के सदस्य कृपा शंकर चौबे ने बताया कि किशोर न्याय बोर्ड की प्रधान मजिस्ट्रेट श्रुति जैन के नेतृत्व में ये कार्रवाई की गई. जिसमें बाग सेवनिया थाने के एडिशनल डीसीपी महावीर सिंह, एसीपी रजनीश कश्यप, टीआई अमित सोनी समेत उनकी पूरी टीम ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया.'

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प्रदेश में अपनी तरह का ये पहला मामला

किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य कृपा शंकर चौबे ने बताया कि 'प्रदेश में ये अपनी तरह का पहला मामला है. जिसमें धारा 77 के तहत किशोर न्याय यानि बालकों की देखरेख एवं संरक्षण नियम 2016 के नियम 57 के तहत ऐसे व्यक्ति भी सजा के दायरे में है. जो नाबालिग किशोरों को शराब या तंबाकु बेच रहे थे. उन्होंने बताया कि जेजे एक्ट की 77 में एफआईआर के बाद सात साल की सजा का प्रावधान है और करीब एक लाख रुपए का जुर्माना है.

Last Updated : Sep 26, 2024, 6:10 PM IST

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