भोपाल: बीते 3-4 दिनों से मध्य प्रदेश में चल रहे ईडी, आईटी और लोकायुक्त के छापों को लेकर शनिवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा "अब तक की रेड में 50 करोड़ रुपये का सोना और लगभग 20 से 25 करोड़ समेत करीब 100 करोड़ रुपये की संपत्ति सामने आ चुकी है. ये पकड़ी गई रकम करप्शन की है." पटवारी ने कहा कि "इससे ये पता चलता है कि मध्य प्रदेश कितना करप्ट है. समझ लो कि ये समुद्र की सबसे छोटी मछली नहीं सबसे छोटा कीड़ा है.
"इन्हीं पैसे से लोकसभा प्रत्याशियों को बांटे गए 6-6 करोड़ रुपये
जीतू पटवारी ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि "आरटीओ के एक अधिकारी ने मुझे बताया कि विभाग में हर महीने 35 से 45 करोड़ रुपये इकट्ठा होता है. इस हिसाब से हर साल 550 से 600 करोड़ रुपये का घोटाला होता है. वहीं बीते 20 सालों का गुणा भाग करें तो यह हिसाब 13 हजार करोड़ रुपये से 18 हजार करोड़ रुपये तक होता है.
मतलब भारतीय जनता पार्टी ने बीते 20 साल में 15 हजार करोड़ रुपये से अधिक का करप्शन किया." पटवारी ने आगे कहा "उन्हें आरटीओ के उसी अधिकारी ने बताया कि इसी पैसे से लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों को 6-6 करोड़ रुपये दिए गए. ये पैसा हेलीकॉप्टर से ट्रांसपोर्ट हुआ था."
'बीजेपी में चोरी के माल का लेकर झगड़ा'
पटवारी ने आरोप लगाया कि "जब लोकायुक्त ने छापामार कार्रवाई शुरू की तो ये दो दिन पहले विदेश कैसे चले गए. मतलब बीच में ही कोई था, वरना कैसे पता चलता कि घर पर छापा पड़ने वाला है. मतलब बीजेपी के राज में चोरी के माल का झगड़ा चल रहा है." पटवारी ने कहा "भाजपा का एक नेता कहता है कि ये जो कांग्रेस से परिवहन मंत्री आया है, वो बीजेपी को समाप्त करने वाला है. वहीं दूसरा कह रहा है जो पूर्व का है वो भी भाजपा को समाप्त करने वाला है. आखिर झगड़ा क्या है. ये झगड़ा बीजेपी का नहीं माल का है. नोटों की लूट का है."
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सीबीआई या रिटायर्ड जज से कराएं जांच
पटवारी ने कहा कि "सुमित्रा महाजन अभी जिंदा हैं. बुजुर्ग हैं, सबसे सीनियर नेता हैं. रघुनंदन शर्मा से मिलने का मौका नहीं मिला. वो कई बार सवाल उठाते हैं. कहते हैं हमने बीजेपी को खून से सींचा. ऐसे और भी लोग हैं." बकौल पटवारी "कांग्रेस पार्टी ने निर्णय लिया है कि हमारा दायित्व सिर्फ बयान देना नहीं, इस प्रदेश को करप्शन से आजादी दिलाना है. जनता ने हमसे कहा है कि आप लड़ो, विपक्ष में रहो, हम अपना धर्म निभाएंगे.
इस मामले को लेकर परिवहन विभाग की 15 से 20 सालों की जांच सीबीआई के माध्यम से या कोई रिटायर्ड जज द्वारा कराई जानी चाहिए. जो हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट का रिटायर्ड जज हो."