लातेहार: चतरा संसदीय क्षेत्र में जातिगत आधार पर वोट देने की परंपरा नहीं है. परंतु यहां कई ऐसे वर्ग के लोग हैं जो अपने मतदान से चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं. भोक्ता समाज भी एक ऐसा ही वर्ग है जिसकी जनसंख्या चतरा संसदीय क्षेत्र में अच्छी खासी है. इसी कारण तमाम राजनीतिक पार्टियों की नजर इस वर्ग के मतदाताओं पर टिकी हुई है.
दरअसल, चतरा संसदीय क्षेत्र के तीन विधानसभा क्षेत्र में भोक्ता (गंझू) समाज की जनसंख्या काफी अधिक है. कुछ वर्ष पूर्व तक भोक्ता समाज अनुसूचित जाति वर्ग में आता था. परंतु अब इस समाज को अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल कर लिया गया है. लातेहार विधानसभा क्षेत्र में भोक्ता समाज के कम से कम 60,000 मतदाता हैं.
सिमरिया विधानसभा क्षेत्र में भी भोक्ता समाज के मतदाताओं की संख्या 50,000 के करीब होगी. चतरा विधानसभा क्षेत्र में भी भोक्ता समाज के मतदाताओं की संख्या 35000 से 40000 के करीब है. हालांकि यह आंकड़ा अनुमानित है. भोक्ता समाज के मतदाताओं की संख्या इससे भी अधिक हो सकती है.
चतरा और सिमरिया विधानसभा क्षेत्र में तो कई बार भोक्ता समाज के लोग विधायक भी बन चुके हैं. कुल मिलाकर कहा जाए तो चतरा संसदीय क्षेत्र में भोक्ता समाज के मतदाताओं की संख्या कम से कम डेढ़ लाख के करीब है. खास बात यह भी है कि इस समाज के मतदाता विधानसभा स्तर पर आपसी सामंजस्य बनाकर मतदान करते हैं. जिस कारण जिस भी प्रत्याशी को इनका समर्थन मिलता है, उन्हें अच्छा खासा वोट मिल जाता है. जिससे उनकी जीत की संभावना भी काफी प्रबल हो जाती है. इसी कारण सभी राजनीतिक पार्टियों के लोग भोक्ता समाज के लोगों को रिझाने के लिए लगे रहते हैं.
पूर्व विधायक जयप्रकाश भोक्ता के नाम वापसी से भाजपा ने ली राहत की सांस
इधर, चतरा और सिमरिया दोनों विधानसभा क्षेत्र के विधायक रह चुके पूर्व विधायक जयप्रकाश भोक्ता के द्वारा लोकसभा चुनाव में नाम वापसी कर लिए जाने से भारतीय जनता पार्टी राहत की सांस ली है. पूर्व के लोकसभा चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि लोकसभा चुनाव 2019 में भोक्ता समाज के मतदाता बड़ी संख्या में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को समर्थन दिए थे. इसी का परिणाम था कि 2019 में भाजपा की बंपर जीत हुई थी. 2024 में जयप्रकाश भोक्ता का बागी उम्मीदवार के रूप में नामांकन करने के बाद भाजपा नेताओं के पसीने छूटने लगे थे.
पहले देते थे एकमुश्त वोट, इस बार होगा बटवारा!