भिवानीः 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ भारत को मिली ऐतिहासिक जीत की याद में हर साल 13 दिसंबर को खानसामा विजय दिवस मनाया जाता है. भारत-पाक के युद्ध में 16 दिसंबर 1971 को भारतीय सेना के सामने पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने आत्मसर्मपण कर दिया था. इसी युद्ध के बाद ना केवल एक नए राष्ट्र बांग्लादेश का जन्म हुआ था, बल्कि दक्षिण एशिया की भू-राजनीति भी बदल गई थी. वर्ष 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ भारत को मिली ऐतिहासिक जीत की याद में पूर्व सैनिकों ने स्थानीय हुड्डा पार्क के समीप एक निजी रेस्तरां में खानसामा विजय दिवस मनाया और भारतीय जवानों की बहादुरी के किस्से सुनाएं.
11 दिनों के युद्ध का परिणाम था बंगलादेशःमौके पर 1971 के भारत-पाक युद्ध के चश्मदीद सूबेदार जगदीश सिंह पाली ने बताया कि ये युद्ध तीन दिसंबर 1971 से लेकर 16 दिसंबर 1971 तक चला था. 11 दिनों तक चले इस युद्ध में 13 दिसंबर का दिन महत्वपूर्ण था. उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना ने खानसामा में एक पक्का डिफेंस बनाकर भारतीय जवानों को खानसामा से पहले रोक दिया था. उस समय 21 राजपूत रेजिमेंट को आदेश मिला था कि वे खानसामा पर कब्जा करें.
रात की बजाय दिन में किया हमलाःसूबेदार जगदीश सिंह पाली ने बताया कि ये हमला 13 दिसंबर की रात में होना था, लेकिन 21 राजपूत के जवानों ने कहा कि राजपूत विजय या वीरगति के निशान पर लड़ाई लड़ता है. इसके बाद बजरंगबली का जयकारा लगाते हुए रात की बजाए दिन में हमला करने का निर्णय लिया गया. रात से पहले ही खानसामा को अपने कब्जे में ले लिया गया. उन्होंने बताया कि इसके बाद पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था.