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1971 युद्ध के सैनिकों ने खानसामा विजय दिवस मनाया, जवानों ने सुनाए अपने-अपने बहादुरी के किस्से - KHANSAMA VIJAY DIWAS

1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद बांग्लादेश का उदय हुआ था. इस युद्ध ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की शक्ति का परिचय कराया था.

Khansama Vijay Diwas
भिवानी में खानसामा विजय दिवस मनाते पूर्व सैनिक (Etv Bharat)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Dec 14, 2024, 11:02 PM IST

Updated : Dec 16, 2024, 12:03 PM IST

भिवानीः 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ भारत को मिली ऐतिहासिक जीत की याद में हर साल 13 दिसंबर को खानसामा विजय दिवस मनाया जाता है. भारत-पाक के युद्ध में 16 दिसंबर 1971 को भारतीय सेना के सामने पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने आत्मसर्मपण कर दिया था. इसी युद्ध के बाद ना केवल एक नए राष्ट्र बांग्लादेश का जन्म हुआ था, बल्कि दक्षिण एशिया की भू-राजनीति भी बदल गई थी. वर्ष 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ भारत को मिली ऐतिहासिक जीत की याद में पूर्व सैनिकों ने स्थानीय हुड्डा पार्क के समीप एक निजी रेस्तरां में खानसामा विजय दिवस मनाया और भारतीय जवानों की बहादुरी के किस्से सुनाएं.


11 दिनों के युद्ध का परिणाम था बंगलादेशःमौके पर 1971 के भारत-पाक युद्ध के चश्मदीद सूबेदार जगदीश सिंह पाली ने बताया कि ये युद्ध तीन दिसंबर 1971 से लेकर 16 दिसंबर 1971 तक चला था. 11 दिनों तक चले इस युद्ध में 13 दिसंबर का दिन महत्वपूर्ण था. उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना ने खानसामा में एक पक्का डिफेंस बनाकर भारतीय जवानों को खानसामा से पहले रोक दिया था. उस समय 21 राजपूत रेजिमेंट को आदेश मिला था कि वे खानसामा पर कब्जा करें.

भिवानी में खानसामा विजय दिवस मनाते पूर्व सैनिक (Etv Bharat)

रात की बजाय दिन में किया हमलाःसूबेदार जगदीश सिंह पाली ने बताया कि ये हमला 13 दिसंबर की रात में होना था, लेकिन 21 राजपूत के जवानों ने कहा कि राजपूत विजय या वीरगति के निशान पर लड़ाई लड़ता है. इसके बाद बजरंगबली का जयकारा लगाते हुए रात की बजाए दिन में हमला करने का निर्णय लिया गया. रात से पहले ही खानसामा को अपने कब्जे में ले लिया गया. उन्होंने बताया कि इसके बाद पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था.

अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में देश की शक्ति का प्रदर्शन था 1971 युद्धःसूबेदार जगदीश सिंह पाली ने बताया कि इस युद्ध के परिणाम ने पाकिस्तान का विभाजन और पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) की स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया. मौके पर 21 राजपूत के पूर्व सैनिक महेश चौहान ने कहा कि ये युद्ध ना केवल सैन्य शक्ति के प्रदर्शन का उदाहरण था, बल्कि मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में उसके प्रभाव को भी दर्शाता है.

भिवानी में खानसामा विजय दिवस मनाते पूर्व सैनिक (Etv Bharat)

रिजर्व जवानों को महज 10 हजार मासिक पेंशनःमहेश चौहान ने कहा कि भारत-पाक युद्ध के बाद 1972 में भेजे गए रिजर्व जवानों को अभी तक भी केवल 10 हजार रूपये मासिक पेंशन दी जाती है, जो कि बहुत कम है. ऐसे में वे सरकार से मांग करते है कि भारत-पाक युद्ध के बाद 1972 में भेजे गए रिजर्व जवानों को भी बराबर पेंशन देकर मान सम्मान दिया जाए.

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Last Updated : Dec 16, 2024, 12:03 PM IST

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