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भीमताल झील पर मंडरा रहा संकट! गहराई और क्षेत्रफल में आई कमी, जानिए क्या है वजह - BHIMTAL LAKE Water Level

Bhimtal Lake Uttarakhand नैनीताल जिले का भीमताल झील पर खतरा मंडरा रहा है. लगातार झील की गहराई और क्षेत्रफल में कमी आ रही है. जिसकी वजह झील में मलबा और गंदगी बताई जा रही है. ऐसे में भीमताल के अस्तित्व को बचाने की मांग हो रही है.

Bhimtal Lake Uttarakhand
भीमताल झील का हाल

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 24, 2024, 6:14 PM IST

Updated : Apr 24, 2024, 6:48 PM IST

भीमताल झील पर मंडरा रहा संकट

हल्द्वानी:नैनीताल जिले में कई छोटी-बड़ी झीलें हैं. नैनीताल की पहचान झीलों से की जाती है, लेकिन यहां के ऐतिहासिक झील नैनीझील हो या भीमताल झील सूखने के कगार पर हैं. भीमताल के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. स्थानीय लोग इस झील के अस्तित्व को बचाने के लिए कई दशकों से संघर्ष करते आ रहे हैं, उसके बावजूद भी सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है. ऐसे में हालत धीरे-धीरे खराब हो रहे हैं.

भीमताल झील को बचाने की दरकार:भीमताल एक खूबसूरत जगह है, जो अपनी खूबसूरत वादियों और झीलों की वजह से पहचानी जाती है, लेकिन अब धीरे-धीरे पर्यटक अपना मुंह मोड़ रहे हैं. जिसकी वजह है भीमताल झील की हालत. अप्रैल के महीने में भीमताल झील ऐसी ही भयावह तस्वीर पेश कर रही है, जो चिंताजनक है. ऐतिहासिक एवं पौराणिक झील के संरक्षण की कोताही का ही नतीजा है कि भीमताल सरोवर अस्तित्व बचाने को जूझ रहा है.

भीमताल झील का हाल

तेजी से घट रहा भीमताल झील का क्षेत्रफल: बताया जाता है कि साल 1904 में भीमताल झील का क्षेत्रफल 60 हेक्टेयर था, जो साल 1984 में घटकर 46.26 हेक्टेयर रह गया है. इंडिया वॉटर रिसोर्सेस के मुताबिक, साल 1871 में भीमताल झील की गहराई 39 मीटर थी, जो साल 1975 में घटकर 27 मीटर हो गई. इसके बाद 1985 में 22 मीटर हुई. जबकि, वर्तमान में झील की गहराई घटकर 17 मीटर ही रह गई है.

सामाजिक कार्यकर्ता पूरन चंद्र बृजवासी ने बताया कि भीमताल झील के अस्तित्व को बचाने के लिए पिछले कई सालों से लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन सरकार उदासीनता भीमताल झील पर भारी पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि झील में गिरने वाले मलबा, गंदगी, सीवर से पानी से दूषित हो रहा है. वहीं, मलबे के चलते झील का आकार भी लगातार छोटा हो रहा है.

पूरन चंद्र का कहना है कि झील में जगह-जगह डेल्टा देखने को मिल रहा है. ऐसे में सरकार और शासन को इस झील की अस्तित्व बचाने के लिए सफाई करानी चाहिए. चारों ओर सुंदर हरियाली पहाड़ी के बीच बने प्राकृतिक भीमताल झील कभी पर्यटकों के लिए पहली पसंद हुआ करती थी, लेकिन अब धीरे-धीरे झील का अस्तित्व खत्म हो रहा है.

भीमताल झील

सामाजिक कार्यकर्ता पूरन चंद्र ने बताया कि पिछले 30 सालों से झील के अस्तित्व को बचाने के लिए मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक गुहार लगा चुके हैं. नैनीताल जिला प्रशासन को भीमताल झील की इस मुख्य समस्या से अवगत करा चुके हैं, लेकिन सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. ऐसे में अगर सरकार भीमताल झीलों को बचाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाती है तो आने वाले समय इस झील के लिए और खतरा पैदा कर सकता है.

भीम ने अपनी गदा से बनाया था गड्ढा:मान्यता है कि भीमताल झील का नाम पांडवों के भीम के नाम पर रखा गया है. माना जाता है कि पुराने भीमेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण तब हुआ था, जब भीम ने पांडवों के निर्वासन के दौरान यहां पहुंचे थे. इतिहास और पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि पांडवों ने जंगल में अपने निर्वासन काल के दौरान इस झील का दौरा किया था.

पांडवों की पत्नी द्रौपदी को प्यास लगी, ऐसे में भीम ने अपनी गदा को जमीन पर इतनी ताकत से प्रहार किया, जिससे एक गड्ढा बन गया. जो बाद में चमत्कारिक रूप से पानी से भर गया. इस घटना के कारण ही झील का भीमताल नाम रखा गया. साल 1841 तक केवल पहाड़ के स्थानीय लोग इस झील के बारे में जानते थे, बाद में अंग्रेजों ने इसकी खोज की थी.

बरसात के समय पहाड़ों और उसके आसपास के क्षेत्र से भारी मात्रा में मलबा व गंदगी झील में चली जाती है. जिसके चलते झील में काफी मात्रा में मलबा और गंदगी जमा हो गई है. भीमताल झील से मलबा और गंदगी को हटाने के लिए सीवर ट्रीटमेंट पंपिंग के माध्यम से सफाई करने की योजना तैयार की जा रही है. जिसके लिए डीपीआर तैयार किया जा रहे हैं. डीपीआर तैयार कर शासन से बजट मिलते ही झीलों की सफाई कराई जाएगी.-संजय शुक्ला, मुख्य अभियंता, सिंचाई विभाग

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Last Updated : Apr 24, 2024, 6:48 PM IST

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