हल्द्वानी:नैनीताल जिले में कई छोटी-बड़ी झीलें हैं. नैनीताल की पहचान झीलों से की जाती है, लेकिन यहां के ऐतिहासिक झील नैनीझील हो या भीमताल झील सूखने के कगार पर हैं. भीमताल के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. स्थानीय लोग इस झील के अस्तित्व को बचाने के लिए कई दशकों से संघर्ष करते आ रहे हैं, उसके बावजूद भी सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है. ऐसे में हालत धीरे-धीरे खराब हो रहे हैं.
भीमताल झील को बचाने की दरकार:भीमताल एक खूबसूरत जगह है, जो अपनी खूबसूरत वादियों और झीलों की वजह से पहचानी जाती है, लेकिन अब धीरे-धीरे पर्यटक अपना मुंह मोड़ रहे हैं. जिसकी वजह है भीमताल झील की हालत. अप्रैल के महीने में भीमताल झील ऐसी ही भयावह तस्वीर पेश कर रही है, जो चिंताजनक है. ऐतिहासिक एवं पौराणिक झील के संरक्षण की कोताही का ही नतीजा है कि भीमताल सरोवर अस्तित्व बचाने को जूझ रहा है.
तेजी से घट रहा भीमताल झील का क्षेत्रफल: बताया जाता है कि साल 1904 में भीमताल झील का क्षेत्रफल 60 हेक्टेयर था, जो साल 1984 में घटकर 46.26 हेक्टेयर रह गया है. इंडिया वॉटर रिसोर्सेस के मुताबिक, साल 1871 में भीमताल झील की गहराई 39 मीटर थी, जो साल 1975 में घटकर 27 मीटर हो गई. इसके बाद 1985 में 22 मीटर हुई. जबकि, वर्तमान में झील की गहराई घटकर 17 मीटर ही रह गई है.
सामाजिक कार्यकर्ता पूरन चंद्र बृजवासी ने बताया कि भीमताल झील के अस्तित्व को बचाने के लिए पिछले कई सालों से लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन सरकार उदासीनता भीमताल झील पर भारी पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि झील में गिरने वाले मलबा, गंदगी, सीवर से पानी से दूषित हो रहा है. वहीं, मलबे के चलते झील का आकार भी लगातार छोटा हो रहा है.
पूरन चंद्र का कहना है कि झील में जगह-जगह डेल्टा देखने को मिल रहा है. ऐसे में सरकार और शासन को इस झील की अस्तित्व बचाने के लिए सफाई करानी चाहिए. चारों ओर सुंदर हरियाली पहाड़ी के बीच बने प्राकृतिक भीमताल झील कभी पर्यटकों के लिए पहली पसंद हुआ करती थी, लेकिन अब धीरे-धीरे झील का अस्तित्व खत्म हो रहा है.