क्या इंजीनियरिंग से स्टूडेंट्स का मोहभंग, कोर ब्रांंच में जीरो एडमिशन, डाटा साइंस और AI में रुझान - MP BE and BTech Admission 2024 - MP BE AND BTECH ADMISSION 2024
मध्य प्रदेश के 141 इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश के लिए ऑनलाइन काउंसलिंग का पहला चरण समाप्त हो गया है. पहले राउंड में इंजीनियरिंग की 72,000 सीटों पर सिर्फ 18,000 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश लिया है. 75% सीट खाली रह गई. वहीं 10 ब्रांच ऐसी हैं जिनमें एक भी स्टूडेंट्स ने प्रवेश नहीं लिया है.
मध्य प्रदेश में इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश जारी (ETV Bharat)
सागर: प्रदेश के सरकारी-गैर सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन के लिए काउंसलिंग चल रही है. जिसका पहला चरण समाप्त हो गया है. इसके बाद एडमिशन के जो आंकड़े सामने आए हैं उससे कॉलेज संचालक और सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें आ गई हैं. पहली काउंसलिंग में एमपी की कुल सीटों में से महज 25% सीट पर ही एडमिशन हुए हैं. वहीं, सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाली कंप्यूटर साइंस और इलेक्ट्रॉनिक में एडमिशन सबसे ज्यादा हुए हैं. लेकिन दो तिहाई सीट अभी भी खाली हैं.
एडमिशन को लेकर जानकारी देते हुए काउंसिलिंग प्रभारी (ETV Bharat)
पहली काउंसलिंग के आंकड़ों ने चौंकाया
इंजीनियरिंग की पहली काउंसलिंग के आंकड़ों पर गौर करें तो, प्रदेश के 141 इंजीनियरिंग कॉलेज में ऑनलाइन काउंसलिंग का पहला राउंड पूरा हो चुका है. इंजीनियरिंग की 72 हजार सीटों पर सिर्फ करीब 18 हजार स्टूडेंट्स ने एडमिशन लिया है. यानी अभी 75 फीसदी सीट खाली हैं. 7235 स्टूडेंट्स ने अपग्रेडेशन के बाद भी सीट छोड़ दी. हर साल की तरह इस साल भी कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीएसई) ब्रांच में स्टूडेंट्स ने सबसे ज्यादा रुचि दिखाई है. फिर भी सीएसई की दो तिहाई सीटें अभी भी खाली है. सीएसई की 21 हजार सीटों में सिर्फ 7 हजार स्टूडेंट्स ने सीट कंफर्म की है.
कई ब्रांच में एक भी एडमिशन नहीं
बच्चों का इंजीनियरिंग के प्रति कम हुए रुझान से हालत ये है कि इंजीनियरिंग की पहली काउंसलिंग में कई ब्रांचों में एक भी एडमिशन नहीं हुआ. जिनमें बायो टेक्नोलॉजी, एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग, सिविल विथ कंप्यूटर एप्लीकेशन, माइनिंग एंड मिनरल्स प्रोसेसिंग, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस, एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, सीएस इंटरनेट ऑफ थिंग्स और साइबर सिक्योरिटी जैसी ब्रांच शामिल हैं.
पहली काउंसलिंग में कोर ब्रांच में ना के बराबर एडमिशन
हर साल की तरह सबसे ज्यादा कंप्यूटर साइंस में कुल 21063 सीट में से 6969 एडमिशन हुए हैं. मैकेनिकल में 9229 सीटों में से कुल 744 सीटों पर ही एडमिशन हुए हैं. सिविल में 7861 सीटों में से 718 सीट, आईटी में 3386 सीटों मे से 1134 सीटें ही अभी तक भरी जा सकी हैं. इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक्स कम्युनिकेशन की 6207 सीटों में से 995 सीट और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की 3608 सीटों पर महज 215 बच्चों ने प्रवेश लिया है. प्रवेश के इस गिरते ग्राफ को देखते हुए कहा जा सकता है कि इंजीनियरिंग की कोर ब्रांच, सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल में स्टूडेंट्स का रुझान कम हो रहा है.
शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के काउंसिलिंग प्रभारी गोविंद राय कहते हैं कि, "पहले राउंड में जेईई मेन्स से चुने गए स्टूडेंट्स आते हैं. इसमें उनको च्वाइस करने का मौका होता है. पहले राउंड में स्टूडेंट्स चाहते हैं कि बढ़िया से बढ़िया कॉलेज मिले. सबसे ज्यादा कंप्यूटर साइंस की तरफ स्टूडेंट्स का रुझान है. डाटा साइंस के अलावा एआई में बच्चों का जबरदस्त रुझान देखा जा रहा है. पहले राउंड में टॉप कॉलेज न मिलने पर दूसरे राउंड का इंतजार करते हैं. जेईई मेन्स में जिस स्टूडेंट्स का अच्छा पर्सेंटाइल रहता है, वो अच्छे कॉलेज में जाएगा. इनको अगर मनपसंद कालेज नहीं मिलता तो कोशिश करते हैं कि सेंकेड राउंड में अच्छा कॉलेज मिल जाए.
सेंकेड राउंड के बाद ज्यादातर कॉलेज की 80 फीसदी तक सीटें भर जाती हैं. इसके बाद सीएलसी राउंड ही बचता है. पिछले कुछ सालों में कोर ब्रांच सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल की तरफ रूझान कम हुआ है. क्योंकि इन ब्रांच की जाॅब लगातार कम हो रही है. इससे बच्चों में निराशा है. कम्प्यूटर साइंस, एआई और डाटा साइंस में नौकरियां मिल रही हैं. दूसरी तरफ फार्मेसी में बच्चों का रूझान बढ़ रहा है."