मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

बड़वानी के ब्लाइंड टीचर कपल, आंखे नहीं फिर भी समाज में फैला रहे शिक्षा का उजियारा, जाने संघर्ष की कहानी - BARWANI BLIND TEACHER COUPLE

मध्य प्रदेश के बड़वानी के दृष्टिहीन शिक्षक दंपत्ति के संघर्ष की कहानी. जाने कैसे आंखों की रोशनी जाने के बाद भी उन्होंने नहीं मानी हार.

BARWANI BLIND TEACHER COUPLE
बड़वानी के दृष्टिहीन टीचर कपल (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 30, 2024, 9:56 PM IST

बड़वानी: मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के शिक्षक दंपत्ति के संघर्ष की कहानी इन दिनों चर्चा में है. जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर पहाड़ी आंचल में पदस्थ शिक्षक दंपती जिनकी आंखों में रोशनी नहीं है, लेकिन उन्होंने अपनी इस कमजोरी को ही अपनी ताकत बना डाला. अब ये दंपती आदिवासी अंचल में गरीब बच्चों को शिक्षा की रोशनी देकर उनकी अज्ञानता के अंधेरे को खत्म कर रहे हैं. यह शिक्षक दंपति ग्राम पंचायत डोंगरगांव के शासकीय एकीकृत माध्यमिक विद्यालय अम्बाफलिया में 2008 से पदस्थ हैं.

आंखों में बारूद जाने से चली गई रोशनी

शिक्षक वर्दी चंद पाटीदार (50) मूलरूप से रतलाम के रहने वाले हैं. वे अपने जीवन की कहानी बताते हुए कहते हैं कि "मेरा जीवन बहुत संघर्षों भरा रहा है. मेरा परिवार खेती किसानी का काम करता है. एक हादसे में मरी आंखों की रोशनी चली गई थी. दरअसल, मेरे खेत में एक कुआं खोदा जा रहा था जिसके लिए उसमें बारूद से सुरंग लगाई गई थी. वहीं पर बारूद उड़ कर मेरी आखों में आ गई थी, जिससे करीब 16 साल की उम्र में मेरी आंखों की रोशनी चली गई. इलाज के लिए काफी कुछ किया गया. डॉक्टर ने भी जवाब दे दिया कि आंखों की रोशनी नहीं लौट सकती.

बड़वानी के ब्लाइंड टीचर कपल संघर्ष भरी कहानी (ETV Bharat)

मेरे अंकल की सलाह पर घर वालों ने मेरा एडमिशन इंदौर में करवा दिया. शुरुआत में मैं टेप रिकॉर्डर से सुनकर पढ़ाई करता था. परीक्षा में हमें एक राइटर मिलता था जिसके जरिए मैंने परीक्षा दी. मैंने कक्षा 12वीं के बाद बीएड और डीएड पूरा किया, साथ ही व्यापम की परीक्षा भी दी. इसके बाद 2008 में मेरी पहली नियुक्ति शासकीय एकीकृत माध्यमिक विद्यालय अम्बाफलिया डोंगरगांव में हुई. जहां आज भी मैं नियुक्त हूं."

सीमा पाटीदार बच्चों में जगा रही शिक्षा की अलख (ETV Bharat)

विकलांगों के सम्मेलन में हुई शादी

वर्दी चंद पाटीदार ने अपनी पत्नी के बारे में बात करते हुए बताया कि "मेरी पत्नी सीमा का भी मामला कुछ ऐसा ही है. वह जन्म से दृष्टिबाधित नहीं थी. एक रात जब मेरी पत्नी सोई तो सुबह उठी और उनकी आंखों की रोशनी जा चुकी थी. मेरी पत्नी सीमा से मेरी मुलाकात हमारे दृष्टिहीन विकलांग संगठन के माध्यम से हुई. विकलांगों के सम्मेलन में मेरी शादी हुई." उन्होंने बताया कि "हमारे द्वारा पढ़ाया गया कोई बच्चा एमबीबीएस है, कोई ग्राम पंचायत का सचिव है. कोई टीचर है तो कोई इंजीनियर है."

बच्चों को पढ़ाते हुए वर्दी चंद पाटीदार (ETV Bharat)

बेटी पढ़ लिखकर बनना चाहती है डॉक्टर

कक्षा 11वीं में पढ़ाई करने वाले नेत्रहीन शिक्षक दंपति की बेटी देविका पाटीदार ने बताया कि "मैं बड़ी होकर मेरे नेत्रहीन माता-पिता के लिए कुछ करना चाहती हूं. मैं पढ़ लिख कर एमबीबीएस डॉक्टर बनाना चाहती हूं. मैंने बचपन से मेरे मम्मी-पापा का जीवन देखा है, जो संघर्षों से भरा है. उनसे मुझे प्रेरणा भी मिलती है, कि आंखें नहीं होने के बाद भी वो दोनों कितना कुछ कर रहे हैं. आंखे नहीं होने के बाद भी घर का सारा काम मम्मी ही करती हैं. खाना बनाना, झाड़ू लगाना, बर्तन साफ करने जैसे काम अधिकतर मम्मी ही करती है. फिर स्कूल हम तीनों साथ में आते हैं.

दोनों दंपतियों को पुस्तकों के सारे पाठ हैं याद

शिक्षिका सुलोचना सस्ते ने बताया कि "हमारे यहां नेत्रहीन शिक्षक दंपति हैं, जो देख नहीं पाते मगर बच्चों को अच्छे से पढ़ाते हैं. दोनों दंपतियों को पुस्तकों के सारे पाठ याद हैं. ये दोनों दंपत्ति कक्षा तीसरी से कक्षा 5वीं तक के बच्चों को हिंदी और पर्यावरण का विषय पढ़ाते हैं." उन्होंने बताया कि "इस विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि दोनों शिक्षक दंपति के होने की वजह से उन्‍हें बच्‍चों के भविष्‍य को लेकर चिंता नहीं है." शिक्षिका ने बताया कि "दोनों दंपत्ति अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभा रहे हैं. उनकी निष्ठा देख अन्‍य शिक्षक भी पूरी लगन से बच्‍चों को शिक्षा दे रहे हैं."

ABOUT THE AUTHOR

...view details