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मवेशियों ने खेत में घुसकर छककर खाई गोभी, सब्जी की खेती ने बड़वानी के किसानों को रुलाया - BARWANI CATTLE FEEDING CAULIFLOWER

बड़वानी के बाजारों में फूल गोभी का उचित भाव नहीं मिलने से किसान परेशान. मवेशियों को खिला रहे फसल.

BARWANI CATTLE FEEDING Cauliflower CROP
गोभी की फसल को चर रहे मवेशी (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 5, 2025, 10:34 PM IST

बड़वानी: जिले में इन दिनों किसानों के खेतों में लगे फूल गोभी के उचित दाम नहीं मिल रहे हैं. किसानों को मात्र दो से तीन रुपए प्रतिकिलो के भाव मिल रहे हैं. इससे निराश ग्राम ऊंची के किसान रामलाल पंचोले ने फूल गोभी को मवेशियों को खिलाना शुरू कर दिया है. फूल गोभी की फसल से खेत अटे पड़े हुए हैं, लेकिन बाजारों में उचित दाम ना मिलने से परेशान किसान ने खड़ी फसल को जानवरों को चरवा दिया है.

'हम मजबूर हैं क्या करे साहेब'

राजपुर विकासखंड के ग्राम ऊंची के किसान रामलाल पंचोले ने बताया कि "मैंने 2 एकड़ में फूल गोभी लगाई थी. फसल अच्छी हुई पर दाम पांच रुपए किलो भी नसीब नहीं हो रहे. इसलिए मैंने फसल मवेशियों के हवाले कर दी. बता दें कि बाजार में फूल गोभी दो से तीन रुपए किलो में बिक रही है. ऐसे में किसानों को खेत से गोभी काटकर बाजार लेकर जाना भी महंगा साबित हो रहा है. बाजार में उचित दाम नहीं मिलने से किसान परेशान हैं."

सब्जी के खेती ने बड़वानी के किसानों को रुलाया (ETV Bharat)

फसल से नहीं निकल रही मजदूरी

किसान रामलाल ने बताया कि "एक एकड़ में फूल गोभी लगाने में 45 से 50 हजार रुपए तक खर्च आता है. गोभी उत्पादक किसानों को खरीदार नहीं मिल रहे हैं. मैंने अपने खेत में करीब दो एकड़ में फूल गोभी की फसल लगाई थी. मजबूरी में अपनी तैयार फसल को मवेशियों को खिलाकर नष्ट करना पड़ रहा है. बाजार में फसल के इतने दाम भी नहीं मिल रहे हैं कि फसल को तोड़ने की लागत भी निकल आए. मजदूरों को अपनी जेब से पैसा देना पड़ रहा है."

किसानों पर बढ़ा कर्ज का बोझ

बता दें कि, ग्राम ऊंची में ज्यादातर किसान सब्जी की खेती करते हैं. किसान मंशाराम पंचोले ने बताया कि "किसान कर्ज लेकर सब्जियों की खेती करते हैं, लेकिन बाजार में फसल के उचित दाम नहीं मिलने से किसान परेशान हैं. क्योंकि किसानों पर लगातार कर्ज बढ़ रहा है, जिले लौटाना मुश्किल हो गया है. फूल गोभी की फसल करने में खर्चा भी खूब आता है, लेकिन इस बार फसल को बाजार ले जाने में लगने वाली मजदूरी भी नहीं निकल रही है."

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