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संगीत शिक्षक की अंतिम यात्रा में गूंजे वाद्ययंत्र, सुर-संगीत के बीच अंतिम संस्कार - SEHORE MUSICAL TRIBUTE TO TEACHER

सीहोर में गुरु-शिष्य परंपरा के अनूठे दृष्य देखने को मिले. संगीत गुरु को संगीत की लहरियों के बीच अंतिम विदाई.

SEHORE MUSICAL TRIBUTE TO TEACHER
संगीत शिक्षक की अंतिम यात्रा में गूंजे वाद्ययंत्र (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 23, 2025, 10:49 AM IST

सीहोर : सीहोर में गुरु और शिष्य परंपरा की अनूठी मिसाल देखने को मिली. संगीत शिक्षक के अंतिम संस्कार के बाद श्मशान स्थल पर शिष्यों ने अपने गुरुजी को संगीतमय श्रद्धांजलि दी. दरअसल, संगीत शिक्षक वासुदेव मिश्रा का 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उनका अंतिम संस्कार छावनी स्थित विश्राम घाट पर हुआ. शवयात्रा में संगीत शिक्षक के सैकड़ों शिष्य शामिल हुए. अंतिम यात्रा में सैकड़ों शिष्य अपने हाथों में विभिन्न वाद्ययंत्र थामे हुए चले. पूरे रास्ते सुर लहरी चलती रही.

अंतिम यात्रा के दौरान शिष्य वाद्य यंत्रों से सुर सजाते रहे

अंतिम यात्रा के लिए सजाए गए शव वाहन में संगीत के शिष्य अपने साजोसामान लेकर बैठे और गुरुजी की याद में सुर छेड़ते रहे. इस दौरान माहौल कई बार बहुत भावुक भी हो गया. इसके बाद इंद्रानगर स्थित श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के बाद शिष्यों ने संगीतमय श्रद्धांजलि दी. बता दें कि वासुदेव मिश्रा के निर्देशन में संचालित संगीत महाविद्यालय ने अलग पहचान बनाई है. वासुदेव मिश्रा के ऐसे सैकड़ों शिष्य हैं, जो देश और विदेश में विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे हैं.कई शिष्य संगीत के क्षेत्र में अच्छा मुकाम हासिल कर चुके हैं.

अंतिम यात्रा के दौरान शिष्य वाद्य यंत्रों से सुर सजाते रहे (ETV BHARAT)
sehore musical tribute to teacher
संगीत शिक्षक वासुदेव मिश्रा का 85 वर्ष की आयु में निधन (ETV BHARAT)
sehore musical tribute to teacher
अंतिम संस्कार के बाद शिष्यों ने संगीतमय श्रद्धांजलि दी (ETV BHARAT)
sehore musical tribute to teacher
सीहोर में संगीत शिक्षक की अंतिम यात्रा (ETV BHARAT)

पूरा जीवन संगीत को समर्पित किया वासुदेव मिश्रा ने

बता दें कि प्रसिद्ध संगीत शिक्षक वासुदेव मिश्रा सीहोर की अवधपुरी कॉलोनी में निवासरत थे. यहीं से उनकी अंतिम यात्रा शुरू हुई. सैकड़ों संगीत शिष्यों ने अपने गुरु को अंतिम विदाई भी संगीत के साथ दी. जिस वाहन में उनकी अंतिम यात्रा निकाली जा रही थी, उसमें अपने हाथों में विभिन्न वाद्ययंत्र थामे उनके शिष्य सुरमय प्रस्तुतियां दे रहे थे. साथ ही इंद्रानगर स्थित श्मशान घाट पर शिष्यों ने अपने गुरु के सम्मान में अनूठी अंतिम विदाई दी. यहां पर एक मंच सजाया गया, जहां पर विभिन्न वाद्ययंत्रों के साथ भाव पूर्ण दी गई. वरिष्ठ पत्रकार रामनारायण ताम्रकार ने बताया "वासुदेव मिश्रा ख्यातिप्राप्त संगीत आचार्य थे. उनके देश व विदेश में शिष्य हैं. उन्होंने संगीत को ही जीवन माना. पूरा जीवन संगीत को समर्पित कर दिया."

सीहोर : सीहोर में गुरु और शिष्य परंपरा की अनूठी मिसाल देखने को मिली. संगीत शिक्षक के अंतिम संस्कार के बाद श्मशान स्थल पर शिष्यों ने अपने गुरुजी को संगीतमय श्रद्धांजलि दी. दरअसल, संगीत शिक्षक वासुदेव मिश्रा का 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उनका अंतिम संस्कार छावनी स्थित विश्राम घाट पर हुआ. शवयात्रा में संगीत शिक्षक के सैकड़ों शिष्य शामिल हुए. अंतिम यात्रा में सैकड़ों शिष्य अपने हाथों में विभिन्न वाद्ययंत्र थामे हुए चले. पूरे रास्ते सुर लहरी चलती रही.

अंतिम यात्रा के दौरान शिष्य वाद्य यंत्रों से सुर सजाते रहे

अंतिम यात्रा के लिए सजाए गए शव वाहन में संगीत के शिष्य अपने साजोसामान लेकर बैठे और गुरुजी की याद में सुर छेड़ते रहे. इस दौरान माहौल कई बार बहुत भावुक भी हो गया. इसके बाद इंद्रानगर स्थित श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के बाद शिष्यों ने संगीतमय श्रद्धांजलि दी. बता दें कि वासुदेव मिश्रा के निर्देशन में संचालित संगीत महाविद्यालय ने अलग पहचान बनाई है. वासुदेव मिश्रा के ऐसे सैकड़ों शिष्य हैं, जो देश और विदेश में विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे हैं.कई शिष्य संगीत के क्षेत्र में अच्छा मुकाम हासिल कर चुके हैं.

अंतिम यात्रा के दौरान शिष्य वाद्य यंत्रों से सुर सजाते रहे (ETV BHARAT)
sehore musical tribute to teacher
संगीत शिक्षक वासुदेव मिश्रा का 85 वर्ष की आयु में निधन (ETV BHARAT)
sehore musical tribute to teacher
अंतिम संस्कार के बाद शिष्यों ने संगीतमय श्रद्धांजलि दी (ETV BHARAT)
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सीहोर में संगीत शिक्षक की अंतिम यात्रा (ETV BHARAT)

पूरा जीवन संगीत को समर्पित किया वासुदेव मिश्रा ने

बता दें कि प्रसिद्ध संगीत शिक्षक वासुदेव मिश्रा सीहोर की अवधपुरी कॉलोनी में निवासरत थे. यहीं से उनकी अंतिम यात्रा शुरू हुई. सैकड़ों संगीत शिष्यों ने अपने गुरु को अंतिम विदाई भी संगीत के साथ दी. जिस वाहन में उनकी अंतिम यात्रा निकाली जा रही थी, उसमें अपने हाथों में विभिन्न वाद्ययंत्र थामे उनके शिष्य सुरमय प्रस्तुतियां दे रहे थे. साथ ही इंद्रानगर स्थित श्मशान घाट पर शिष्यों ने अपने गुरु के सम्मान में अनूठी अंतिम विदाई दी. यहां पर एक मंच सजाया गया, जहां पर विभिन्न वाद्ययंत्रों के साथ भाव पूर्ण दी गई. वरिष्ठ पत्रकार रामनारायण ताम्रकार ने बताया "वासुदेव मिश्रा ख्यातिप्राप्त संगीत आचार्य थे. उनके देश व विदेश में शिष्य हैं. उन्होंने संगीत को ही जीवन माना. पूरा जीवन संगीत को समर्पित कर दिया."

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