काेरिया :रीपा प्रदेश में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किए गए थे.जहां गोबर पेंट इकाई, पेबर ब्लाक, फ्लाई एस ब्रिक्स, पेपर कप, बोरी बैग समेत अन्य उत्पादों का निर्माण स्व सहायता समूहों की मदद से कराया जाता था.लेकिन सरकार बदलने के बाद ग्रामीण औद्योगिक पार्क अब सफेद हाथी बने हुए हैं. ईटीवी भारत की टीम ने रिपा प्रोजेक्ट का जायजा लिया.
करोड़ों की मशीनें बन रही कबाड़:कोरिया और एमसीबी में जिन ग्रामीण औद्योगिक पार्कों की स्थापना की गई थी,वो तो खुले मिले.लेकिन इन पार्कों के प्रोडक्शन यूनिट बंद मिले. आसपास के ग्रामीणों ने बताया कि रिपा केंद्रों में प्रोडक्शन का काम ठप है.कई महीनों से कोई काम नहीं हुआ. रिपा केंद्रों में काम करने वाली गांव की स्व सहायता समूह की महिलाओं ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा कि उन्होंने शुरू के दिनों में काम किया, लेकिन अब अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. आनी, पिपरिया और मझगवां में ब्रेड यूनिट, पेबर ब्लॉक, फ्लाई ऐश ब्रिक्स शुरू नहीं हो सका.वहीं, ग्राम पंचायत दुबछोला में रिपा प्रोजेक्ट शुरू ही नहीं हुआ. यहां लगी मशीनें इसी तरह पड़ीं रहीं तो धीरे-धीरे कबाड़ में तब्दील हो रही हैं.
आनी गांव के रिपा केंद्र में अव्यवस्था :ठीक इसी तरह से ग्राम पंचायत आनी में रिपा परिक्षेत्र में मसाला उत्पादन यूनिट, दूध, बेकरी और मिलेट यूनिट 6 माह से बंद है.ग्रामीणों ने कहा कि यहां क्या होता है, क्या बनता है, उन्हें इसकी जानकारी नहीं है. जानवरों के लिए बने नाद खाली पड़े थे. स्व सहायता समूह मशरूम शेड, मुर्गी, बकरी पालन शेड बंद हैं.बकरी शेड में कबाड़ रखा हुआ था. केवीके दुग्ध यूनिट भी शिफ्ट नहीं हो सका.
पिपरिया के रिपा केंद्र में ताला :ग्राम पंचायत पिपरिया के रीपा प्रोजेक्ट में सभी यूनिट में ताला लगा हुआ है. फ्लाई ऐश, ईंट, गोबर पेंट से लेकर हर तरह का निर्माण बंद पड़ा है. अन्य उत्पाद भी तैयार नहीं हो रहे हैं. देखने पर लगा कि यहां लंबे समय से कार्य नहीं चल रहा है. सरपंच ललिता बाई से सवाल करने पर उन्होंने कहा कि खेती का समय है, इसलिए बारिश के शुरुआत से ही रिपा बंद है. कांग्रेस ने इसके लिए बीजेपी को जिम्मेदार माना है.
ग्राम पंचायत मझगवां में रीपा प्रोजेक्ट के तहत गोबर पेंट इकाई, पेबर ब्लाक, फ्लाई एस ब्रिक्स, पेपर कप, बोरी बैग समेत अन्य उत्पाद शुरू किए गए थे, लेकिन यहां भी सब कुछ बंद पड़ा है. यहां सभी कक्षों में ताला लगा हुआ है. पार्क का मुख्य गेट तो खुला था, लेकिन अंदर सुरक्षा के लिए चौकीदार तक नहीं है.यहां स्वीकृत निर्माण भी अधूरे पड़े हैं.