देवघरः जिला का एक ऐसा अस्पताल जो वर्षों पहले बनकर तैयार है लेकिन लोगों को इसका लाभ अब तक नहीं मिल पाया है. क्योंकि मरीजों के इलाज के लिए वहां पर किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं की गयी है. स्वास्थ्य उपकेंद्र का हाल ऐसा है कि वर्षों से ताला बंद होने के कारण जंगल-झाड़ियां उग आई हैं और वहां सांप-बिच्छूओं ने अपना बसेरा बना लिया है.
झारखंड सरकार का स्वास्थ्य विभाग ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भले ही तत्पर दिखता हो. लेकिन विभाग का यह दावा लोगों की नजर में खोखला ही साबित होता दिख रहा है. ऐसा हम नहीं बल्कि ईटीवी भारत के कैमरे में दिख रही तस्वीर और देवघर की जनता इन दावों की पोल खोल रहे हैं.
देवघर के कोठिया गांव में बना स्वास्थ्य उपकेंद्र वर्षों से बन कर तैयार है. लेकिन स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की उदासीनता की वजह से वहां पर ताला बंद पड़ा है. वर्षों से ताला जड़े रहने के कारण स्वास्थ्य केंद्र में जंगल उपज गए हैं. जंगल भी इतना घना कि उसमें सांप बिच्छूओ का डेरा हो गया है. लेकिन जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की उस पर नजर नहीं जा रही है.
श्रावणी मेला शुरू होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं. सावन के महीने में इसी रास्ते से श्रद्धालु सुल्तानगंज से जल भरकर देवघर में प्रवेश करते हैं. भारी-भरकम कांवर उठाते हुए श्रद्धालु दर्दमारा से होकर कोठिया के रास्ते भूत बंगला और देवघर रेलवे स्टेशन के पास से बाबा धाम पहुंचते हैं. इन रास्तों और क्षेत्र से समझा जा सकता है कि भक्तों के लिए इस मार्ग पर बना ये स्वास्थ्य उपकेंद्र कितना लाभकारी साबित होता.
किसी प्रकार की दुर्घटना होने की स्थिति में उन्हें तत्काल स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकती थी. आज अगर कोई भी श्रद्धालु दुर्घटना के शिकार होते हैं तो उन्हें वहां से कई किलोमीटर दूर सदर अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है. जिससे उनकी जान पर भी खतरा बना रहता है. यह स्वास्थ्य उपकेंद्र चालू होता तो यह सिर्फ स्थानीय लोगों के लिए ही लाभदायी नहीं होता बल्कि श्रावण मास में आने वाले कांवरियों को भी तत्काल और सीधा लाभ मिल पाता. लेकिन सरकारी तंत्र की कागजी कार्रवाई और प्रशासन की उदासीनता के कारण ये स्वास्थ्य उपकेंद्र आज जंगल में बदल गया है.