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सिस्टम की मार-कोठिया स्वास्थ्य उपकेंद्र बीमार! गांव के हेल्थ का हाल जानिए, इस रिपोर्ट से - Bad state of health system

Bad condition of Kothiya health sub centre. सरकार चाहे केंद्र की हो या राज्य की, आम लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने के लिए लगातार प्रयासरत है. इसके लिए बड़े-बड़े अस्पताल भवन या स्वास्थ्य केंद्र बनाए जाते हैं. बिल्डिंग तो तैयार हो जाते हैं लेकिन जब तक कागजी कार्रवाई होती है तब ये भवन जंगल में तब्दील हो जाते हैं. कुछ ऐसा ही हाल देवघर के कोठिया स्वास्थ्य उपकेंद्र का हुआ है, कारण जानिए ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट से.

Bad condition of Kothiya health sub centre of Deoghar
ग्राफिक्स इमेज (Etv Bharat)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 9, 2024, 4:07 PM IST

देवघरः जिला का एक ऐसा अस्पताल जो वर्षों पहले बनकर तैयार है लेकिन लोगों को इसका लाभ अब तक नहीं मिल पाया है. क्योंकि मरीजों के इलाज के लिए वहां पर किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं की गयी है. स्वास्थ्य उपकेंद्र का हाल ऐसा है कि वर्षों से ताला बंद होने के कारण जंगल-झाड़ियां उग आई हैं और वहां सांप-बिच्छूओं ने अपना बसेरा बना लिया है.

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्टः कोठिया स्वास्थ्य उपकेंद्र का हाल (ETV Bharat)

झारखंड सरकार का स्वास्थ्य विभाग ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भले ही तत्पर दिखता हो. लेकिन विभाग का यह दावा लोगों की नजर में खोखला ही साबित होता दिख रहा है. ऐसा हम नहीं बल्कि ईटीवी भारत के कैमरे में दिख रही तस्वीर और देवघर की जनता इन दावों की पोल खोल रहे हैं.

देवघर के कोठिया गांव में बना स्वास्थ्य उपकेंद्र वर्षों से बन कर तैयार है. लेकिन स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की उदासीनता की वजह से वहां पर ताला बंद पड़ा है. वर्षों से ताला जड़े रहने के कारण स्वास्थ्य केंद्र में जंगल उपज गए हैं. जंगल भी इतना घना कि उसमें सांप बिच्छूओ का डेरा हो गया है. लेकिन जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की उस पर नजर नहीं जा रही है.

श्रावणी मेला शुरू होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं. सावन के महीने में इसी रास्ते से श्रद्धालु सुल्तानगंज से जल भरकर देवघर में प्रवेश करते हैं. भारी-भरकम कांवर उठाते हुए श्रद्धालु दर्दमारा से होकर कोठिया के रास्ते भूत बंगला और देवघर रेलवे स्टेशन के पास से बाबा धाम पहुंचते हैं. इन रास्तों और क्षेत्र से समझा जा सकता है कि भक्तों के लिए इस मार्ग पर बना ये स्वास्थ्य उपकेंद्र कितना लाभकारी साबित होता.

किसी प्रकार की दुर्घटना होने की स्थिति में उन्हें तत्काल स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकती थी. आज अगर कोई भी श्रद्धालु दुर्घटना के शिकार होते हैं तो उन्हें वहां से कई किलोमीटर दूर सदर अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है. जिससे उनकी जान पर भी खतरा बना रहता है. यह स्वास्थ्य उपकेंद्र चालू होता तो यह सिर्फ स्थानीय लोगों के लिए ही लाभदायी नहीं होता बल्कि श्रावण मास में आने वाले कांवरियों को भी तत्काल और सीधा लाभ मिल पाता. लेकिन सरकारी तंत्र की कागजी कार्रवाई और प्रशासन की उदासीनता के कारण ये स्वास्थ्य उपकेंद्र आज जंगल में बदल गया है.

कोठिया स्वास्थ्य उपकेंद्र की दुर्दशा को लेकर स्थानीय बैकुंठ यादव बताते हैं कि इस अस्पताल को खुलवाने के लिए कई बार प्रयास किया गया. लेकिन स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन इसको लेकर कोई ठोस का दम नहीं उठा रहा है. इस उपकेंद्र की बदहाली के लिए आम लोगों ने प्रशासन को सीधे तौर पर जिम्मेदार बताया है.

वहीं कोठिया स्वास्थ्य उपकेंद्र की बदहाली पर देवघर सिविल सर्जन डॉ रंजन सिन्हा से ईटीवी भारत की टीम ने बात की. इस पर उन्होंने कहा कि संवेदक द्वारा इसे हैंडओवर करने में देरी की गयी है. लेकिन जल्द ही स्वास्थ्य उपकेंद्र को खोल दिया जाएगा. सिविल सर्जन ने कहा कि अभी श्रावणी मेला शुरू होने में 15 दिन है, आगामी हफ्ते में इसे व्यवस्थित करके चालू कर दिया जाएगा. जिससे सावन महीने में आने वाले श्रद्धालुओं को विपरीत परिस्थिति में इस अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ मिल सके.

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