राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

50 वर्ष की आयु के बाद पुरुषों में होने वाले प्रोस्टेट रोग का आयुर्वेद में है कारगर उपचार - HEALTH TIPS - HEALTH TIPS

प्रोस्टेट 50 साल की उम्र के बाद पुरुषों में होने वाला सबसे आम रोग का प्रकार है. यदि समय पर इस बीमारी का पता चल जाता है, तो विभिन्न दवाइयों और उपचारों के माध्यम से इसके बढ़ने की गति पर लगाम लगाई जा सकती है. आयुर्वेदिक चिकित्सा में कुछ परहेज और औषधियों के सेवन से प्रोस्टेट को नियंत्रण किया जा सकता है.

आयुर्वेद में है कारगर उपचार
आयुर्वेद में है कारगर उपचार (फोटो ईटीवी भारत अजमेर)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 20, 2024, 9:28 AM IST

प्रोस्टेट रोग का आयुर्वेद में है कारगर उपचार (वीडियो ईटीवी भारत अजमेर)

अजमेर.प्रोस्टेट पुरुषों में होने वाला रोग है. 50 वर्ष से अधिक उम्र के बाद कई पुरुष प्रोस्टेट रोग से ग्रसित हो जाते हैं. यह काफी तकलीफ दायक रोग है. इसके बढ़ने पर सर्जरी ही एक मात्र इलाज है. जबकि आयुर्वेदिक चिकित्सा में कुछ परहेज और ओषधियों के सेवन से प्रोस्टेट को नियंत्रण किया जा सकता है. इस बारे में जानने के लिए ETV भारत की टीम ने अजमेर संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल में आयुर्वेद चिकित्सा विभाग में वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बीएल मिश्रा से बात की.

प्रोस्टेट के कारण लक्षण और उपचार संबंधी हेल्थ टिप्स:50 वर्ष की आयु के बाद व्यक्ति बुढापे की और बढ़ने लगता है. ऐसे में स्वास्थ से संबंधित कई तरह की समस्याएं आने लगती है. इसके कई कारण हो सकते है ढलती हुई उम्र के अलावा श्रम बीना दैनिक जीवन, अनियमित जीवन शैली, अनियमित खान पान, खान पान में पौष्ठिक तत्वों की कमी आदि कारण स्वास्थ पर विपरीत प्रभाव डालते हैं. इस कारण से शरीर में कई रोग जन्म लेने लगते हैं. इनमें प्रोस्टेट रोग भी है जो पुरुषों में 50 वर्ष की आयु के बाद नजर आता है. आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. बीएल मिश्रा बताते हैं कि प्रोस्टेट एक प्रकार की ग्रंथि है जो केवल पुरुषों में ही पाई जाती है. आयुर्वेद में प्रोस्टेट को 'अष्ठीला ग्रंथि' कहा जाता है. यह ग्रंथि मूत्राशय के पास होती है. डॉ. मिश्रा बताते है कि आयुर्वेद में पाचक पित्त की कमी या अधिकता और अपान वायु की अधिकता से कफ के साथ मिलने से मूत्र मार्ग के समय पर स्थित प्रोस्टेट ग्रंथि में सूजन आ जाती है. उन्होंने बताया कि अगर वायु की अधिकता रहती है तो तेज दर्द होता है. पित्त की अधिकता में जलन होती है. वहीं कफ की अधिकता से ग्रंथि में सूजन बढ़ने लगती है जिससे जलन के साथ मूत्र करने में परेशानी होती है. पेशाब बूंद- बूंद या पतली धार में रुक रुक कर आता है. इस कारण रोगी को मूत्र त्यागने में काफी समय लग जाता है.

पढ़ें: 40 के बाद प्रोस्टेट कैंसर की जांच जरूरी

प्रोस्टेट होने पर यह होती है शारारिक समस्याएं : डॉ. मिश्रा बताते हैं कि प्रोस्टेट से जिम्मेदारियों के कारण पेशाब को अधिक समय तक रोकने, अधिक बैठक करने, देर रात तक जागने, संक्रमण, अनियमित जीवन शैली खासकर भोजन में लापरवाही के कारण पाचन क्रिया के विकृत होने से यह रोग होता है, जिससे प्रोस्टेट ग्रंथि में सूजन आ जाती है. साथ ही लंबे समय तक सूजन बनी रहने पर मूत्र त्याग करने पर कई बार खून भी आने लगता है. इतना ही नहीं चेहरे पर या पेट के नीचे के हिस्से में सूजन आने लगती है। प्रोस्टेट ग्रंथि में सूजन के कारण अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी उत्पन्न होने लगती है. मसलन मूत्र ठीक से त्याग नहीं होने पर सिर दर्द, हाई ब्लड प्रेशर, अनिंद्रा, बुखार मानसिक तनाव आदि रोग होने लगते हैं. ग्रंथि में सूजन के कारण मूत्र त्यागने में नियंत्रण नहीं रहता है. बुजुर्ग कपड़ों में मूत्र त्याग देते हैं. रात्रि को मूत्र त्याग के लिए कई बार उठाना पड़ता है जिस कारण रोगी ठीक तरीके से नींद नहीं ले पता है. जिससे उसका स्वभाव में चिडचिड़ापन होने लगता है.

35 ग्राम तक बिना सर्जरी हो सकता है इलाज :उन्होंने बताया कि आयुर्वेद पद्धति के अनुसार यदि तीनों दोष ( पित्त, वायु और कफ ) को नियंत्रित करते हुए पौष्टिक आहार, हल्का व्यायाम के साथ-साथ आयुर्वेद चिकित्सक की परामर्श से औषधीय का सेवन किया जाए तो 6 से 8 माह में प्रोस्टेट रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि 35 ग्राम तक प्रोस्टेट में आयुर्वेद इलाज से इसे नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन इसके बढ़ने पर अन्य शारीरिक समस्याएं भी होने लगती है जिसके कारण रोगी को एलोपैथी की सलाह दी जाती है. एलोपैथी में सर्जरी से ही उपचार किया जाता है. बता दें की सामान्यतः प्रोस्टेट ग्रंथि का वजन 18 से 20 ग्राम होता है. सूजन आने पर इसका साइज बढ़ने लगता है और कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने लगती है.

पढ़ें: इन देशों में प्रोस्टेट कैंसर के मामले दोगुने हो जाएंगे

यह घरेलू नुस्खे भी है नियंत्रण करने में सहायक :

  • सूखा हरा धनिया, नारियल गिरी और मिश्री को काटकर अच्छे से मिलाकर सुबह शाम खाने से राहत मिलती है.
  • रात्रि में किशमिश भिगोकर सुबह चबा-चबा कर खाने और उसका पानी पीने से भी लाभ मिलता है.
  • ताज टमाटर का रस हरे धनिए पत्ती के साथ पीना भी फायदेमंद है.
  • ताजा गोखरू कांटी को पानी में भिगोकर 1 घंटे रख दें। इसके बाद उसे पानी को पीने से भी लाभ मिलता है.
  • त्रिकुट चूर्ण को खाने में मिलाकर सेवन करने से भी फायदा मिलता है.
  • पुदीना या हरे धनिए की चटनी बिल्कुल कम मसाले में बनाकर उसका सेवन करने से भी लाभ होता है.
  • भोजन में गाय का घी और बकरी का दूध का सेवन भी गुणकारी है.
  • कब्ज को रोकने के लिए वायु नाशक और स्निग्ध ( चिकना ) भोजन या फाइबर युक्त भोजन का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना भी गुणकारी होता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details