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गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त, भूलकर भी ना करें ये गलती, वरना क्रोधित हो जाएंगे लंबोदर - Ganesh Chaturthi 2024

Auspicious time of Ganesh Chaturthi छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश में गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है. भारत में गणपति पंडालों के अलावा लोग अपने घरों में भी गणेश प्रतिमा की स्थापना करते हैं.लेकिन गणपति स्थापना के वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना जरुरी है.नहीं तो विध्नहर्ता गणपति रुष्ठ हो सकते हैं.Ganesh Sthapana 2024

Auspicious time of Ganesh Chaturthi
गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त, भूलकर भी ना करें ये गलती (ETV Bharat Chhattisgarh)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 1, 2024, 10:02 AM IST

रायपुर :रायपुर सहित पूरे देश में गणेश चतुर्थी का पावन पर्व बड़े धूमधाम और उत्साह से मनाया जाएगा. गणेश चतुर्थी का यह पर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन मनाया जाएगा.इस बार ये तिथि 7 सितंबर को आएगी.इस दिन लोग अपने घरों में चौक चौराहों पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करके 11 दिनों तक विधि विधान से पूजा करते हैं. 11 दिनों के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है.

कब शुरु हुआ गणपति पूजन ? :ज्योतिष एवं वास्तुविद् पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने बताया कि "गणेश जी के जन्म दिवस को ही गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. गणेश चतुर्थी मनाने की परंपरा स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी हुई है. उस दौरान अंग्रेजों ने धारा 144 लगाई हुई थी. कांग्रेसियों ने उत्सव मनाने की सोची और गणेश चतुर्थी की शुरुआत हुई. गणेश चतुर्थी भाद्रपद महीने की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है. क्योंकि चतुर्थी के दिन ही भगवान गणेश का जन्म हुआ था.

गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त, भूलकर भी ना करें ये गलती (ETV Bharat Chhattisgarh)

गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त :7 सितंबर को शाम को 5 बजकर 38 मिनट तक चतुर्थी तिथि है. विधिवत्त भद्रा समाप्ति के बाद गणेश चतुर्थी मनाई जा सकती है. भद्रा की निवृत्ति शाम 5:38 के बाद होगी. उदयातिथि के मुताबिक संपूर्ण दिन चतुर्थी मानी जाएगी. 7 सितंबर को ही गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी. गणेश की स्थापना भी की जाएगी. गणेश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त अमृत बेला में शाम 5 बजकर 38 मिनट से 7 बजकर 40 शाम तक रहेगा. शुभ की बेला रात को 9 बजकर 07 मिनट से रात 10 बजकर 34 मिनट तक रहेगा.

''चतुर्थी के दिन गणपति का पूजन करते हैं और यह सिलसिला अनंत चतुर्दशी तक चलता है. चंद्रमा को अर्ध्य देकर ही चतुर्थी का चांद देखा जा सकता है. चतुर्थी का चांद देखने से अपयश होता है. वहीं दूसरी बात जब चंद्रमा उदित होता है तो गणपति की स्थापना होती है. इसलिए भगवान गणपति की पूजा सभी प्रकार के कष्टों और दुखों को दूर करने के लिए होती है. इसलिए गणेश के व्रत को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं."- पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी, ज्योतिष एवं वास्तुविद्


कैसे करें गणपति की स्थापना ?:गणेश चतुर्थी की शुरुआत 6 सितंबर को दोपहर में 3:01 से शुरू होगी और उसके बाद 7 सितंबर को शाम 5:37 पर समाप्त होगी. उदयातिथि के मुताबिक गणेश चतुर्थी का पर्व 7 सितंबर को मनाया जाएगा. इस दिन आप अपने घर और चौक चौराहा में गणेश जी की स्थापना कर सकते हैं. गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक रोजाना भगवान गणेश की पूजा आराधना करें. भगवान गणपति पार्थिव क्यों पूजे जाते हैं इसके पीछे कारण यह है कि माता पार्वती ने पहली बार अपने मैल से गणपति की स्थापना की थी. ऐसे में गणेश चतुर्थी के दिन व्रत उपवास रखकर भगवान गणेश की स्थापना करें.

गणपति स्थापना में ना करें ये गलती :गणपति की पूजा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. अगर आप अपने घर पर गणेश जी की स्थापना किए हैं तो पूजा के कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है. गणेश जी की मूर्ति के सामने रोजाना सुबह शाम दीपक जलाएं और पूजा करें. गणेश जी जितने दिन आपके घर में या चौक चौराहों पर रखते हैं तो कम से कम दिन में तीन बार भोग लगाना चाहिए. गणेश जी की स्थापना के बाद गणपति बप्पा को आप अपने घर में स्थापना करते हैं तो सात्विक भोजन करना चाहिए. गणेश चतुर्थी के दिन पूजा करें और व्रत करें. भगवान गणेश को मोदक का भोग जरूर लगाए. गणेश जी की मूर्ति सही दिशा देखकर स्थापित करें और रोजाना उसे स्थान को गंगाजल से पवित्र करें. इसके साथ ही गणेश जी की पूजा में साफ सफाई और पवित्रता का खास ध्यान रखें.

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