बगहा : वाल्मिकी टाइगर रिजर्व में नए पर्यटन सत्र चल रहा है. वन विभाग इस वर्ष मुख्य टूरिज्म सेंटर वाल्मिकीनगर, मंगुराहा समेत गोवर्धना में पर्यटकों के लिए कई सुविधाएं मुहैया करा रहा है. यहां आने वाले पर्यटकों को बैंबू हट खूब भाता है. पर्यटक बांस के बने इको फ्रेंडली बेड पर सोना ज्यादा पसंद करते हैं.
पर्यटकों की पसंद बैंबू हट : वाल्मीकि टाइगर रिजर्व पर्यटकों के लिए जन्नत से कम नहीं है. देशी या विदेशी पर्यटक यहां एक बार आने के बाद दोबारा आने की ख्वाहिश लिए लौटते हैं. दरअसल, बिहार के इस इकलौते टाइगर रिजर्व को ' मिनी कश्मीर ' कहा जाता है. यह पर्यटन स्थल जल, जंगल और पहाड़ की खूबसूरती को खुद में समेटे हुए है. लिहाजा पर्यटक और प्रकृति प्रेमी यहां के प्रकृति की मनोरम छटा का आनंद लेने और प्रदूषण मुक्त हिमालय पर्वतमाला का दीदार करने पहुंचते हैं.
टूरिज्म सेंटर में सुविधाओं का इजाफा: इस वर्ष 2024-2025 के पर्यटन सेवा सत्र का शुभारंभ सोमवार 21 अक्टूबर से हो चुका है, जो कि अगले साल जुलाई तक चलेगा. पर्यटकों को ठहरने के लिए गेस्ट हाउस, ट्री हट और बंबू हट खास आकर्षण के केंद्र हैं. वन संरक्षक सह उपनिदेशक नेशामणि के ने बताया कि प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में पर्यटक वीटीआर का भ्रमण करने पहुंचते हैं. यह संख्या विगत एक दशक में साल दर साल बढ़ी है. लिहाजा पर्यटकों के लिए हमारे वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के तीनों मुख्य टूरिज्म सेंटर में कई सुविधाओं का इजाफा किया गया है.
जंगल सफारी रूट पर साइटिंग: पर्यटक वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में अधिकांशतः जंगल सफारी का लुफ्त उठाने आते हैं, इसलिए वन विभाग प्रशासन ने जंगल सफारी रूट पर बेहतर साइटिंग करवाया है, ताकि पर्यटकों को आसानी से वन्य जीवों का दीदार हो सके. इसके अलावा सैलानियों के रहने खाने और घूमने के लिए सुलभ संसाधनों की व्यवस्था की गई है.
बैंबू बेड के फायदे : बता दें कि वाल्मिकी टाइगर रिजर्व में आने वाले देशी और विदेशी पर्यटक ठहरने के लिए बैंबू हट को ज्यादा पसंद करते हैं. दरअसल, बांस से बने कमरे और बेड पर्यटकों को खूब भाते हैं. वनस्पति विभाग के शिक्षक रत्नेश कुमार का कहना है कि ''एक तो बांस का पौराणिक महत्व बहुत ज्यादा है, और दूसरा यह प्राकृतिक रूप से जीवाणुरोधी और एंटी-फंगल होता है. जिस कारण नींद बहुत अच्छी आती है.''