लखनऊ: उत्तर प्रदेश सड़क हादसों के मामले में देश में पहले स्थान पर है. सड़क हादसे कम करने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री लगातार चुस्ती दिखा रहे हैं. सात माह पहले सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर निर्देश दिए थे कि हादसे रोकने के लिए सभी जिलों में एक-एक एआरटीओ सड़क सुरक्षा की तैनाती की जाए. इस पद का सृजन किया जाए. लेकिन परिवहन विभाग के अधिकारियों की सुस्ती से अब तक सभी जिलों में एआरटीओ रोड सेफ्टी पद का सृजन तक नहीं हो पाया है. मुख्यमंत्री के आदेश के बाद अब तक दर्जनों बड़े सड़क हादसे हो चुके हैं, जिसमें सैकड़ो लोगों की मौत हो चुकी है. इन मौतों के बाद भी शासन के अफसरों की नींद नहीं खुल रही है.
शासन स्तर पर नहीं दिखाई जा रही रुचि
साल 2023 के आखिरी माह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद कहा था कि परिवहन विभाग सड़क दुर्घटनाओं पर गंभीरता से ध्यान दे. इसके लिए एआरटीओ रोड सेफ्टी की हर जिले में तैनाती की जाए. कार्यालय पर एक-एक आरटीओ रोड सेफ्टी का पद सृजित किया जाए और इसका काम पूरी तरह से सड़क हादसों पर नियंत्रण स्थापित करने का होना चाहिए. ऐसे प्लान बनाएं और चेकिंग अभियान चलाएं, जिससे सड़कों पर हादसों को नियंत्रित किया जा सके. मुख्यमंत्री की इस घोषणा के बाद परिवहन विभाग ने तो अपनी तरफ से प्लान बना लिया और पदों को लेकर शासन को प्रस्ताव भी भेज दिया. लेकिन शासन स्तर पर अधिकारियों की लापरवाही से मुख्यमंत्री की योजना को ही अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका. अभी तक एआरटीओ रोड सेफ्टी पद के सृजन पर मुहर लगाने के लिए शासन दो कदम भी नहीं बढ़ पाया है.
351 एएमवीआई की भी होनी है तैनाती
उत्तर प्रदेश के विभिन्न तहसीलों में भी सड़क हादसों पर ध्यान देने के लिए अस्सिटेंट मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर के पदों पर भी तैनाती की जानी है. 351 अस्सिटेंट मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर का प्रस्ताव के शासन को परिवहन विभाग की तरफ से भेजा गया है. इस पर भी शासन ने खामोशी की चादर ओढ़ ली है. उत्तर प्रदेश में तैनात 66 आरआई के पद को एमवीआई में बदलना है, जिससे यह अधिकारी भी तकनीकी रूप से सड़क पर अनफिट चल रहे वाहनों की जांच कर उन पर नियंत्रण स्थापित कर सकें और हादसों में कमी आए.