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मलाई मक्खन...सर्दियों की खास मिठाई; मुंह में रखते ही घुल जाए, बनाने का है स्पेशल लखनवी अंदाज - MALAI MAKKHAN

मलाई मक्खन की खास बात ये है कि इसे सिर्फ सर्दियों में ही बनाया जा सकता है. इसीलिए इसे सर्दियों का व्यंजन कहा जाता है.

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ऐसे पीतल के खास बर्तनों में बिकता है लखनवी मलाई मक्खन. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 27, 2024, 2:23 PM IST

लखनऊ: सर्दियां शुरू होते ही लखनऊ की गलियों में मलाई मक्खन...मलाई मक्खन...का शोर रात 12 बजे तक गूंजता हुआ कानों तक पहुंचता है. खास बात ये है कि मलाई मक्खन...का सुर जितना सुरीला होता है, उससे कहीं ज्यादा इसके स्वाद में मिठास होती है. यही स्वाद मलाई मक्खन...की आवाज कान में पड़ते ही मुंह में पानी ला देती है. इसे बनाने का अपना एक खास लखनवी अंदाज है.

मलाई मक्खन की खास बात ये है कि इसे सिर्फ सर्दियों में ही बनाया जा सकता है. इसीलिए इसे सर्दियों का खास व्यंजन या मिठाई कहा जाता है. यह नायाब व्यंजन, दूध, ओस की बूंदों और केसर के मेल से तैयार किया जाता है. इसमें लखनवी अंदाज पिरोने के लिए चांदी के बर्क, बादाम के टुकड़े मिला दिए जाते हैं. लखनऊ के चौक क्षेत्र में ये खास मिठास लिए मलाई मक्खन पीतल के बर्तनों जगह-जगह बिकते दिख जाएंगे.

लखनवी मिठास मलाई मक्खन पर संवाददाता की खास रिपोर्ट. (Video Credit; ETV Bharat)

सर्दियों के तीन महीने में लोगों की जुबान पर इसका स्वाद चढ़ा रहता है. साल भर इस अनूठे स्वाद का इंतजार करने वाले लखनवी लोग चौक क्षेत्र का रुख करते हैं. जहां इस खास मिठास का आनंद लिया जा सकता है. मलाई मक्खन का स्वाद इतना लाजवाब है कि इसे चखने के लिए न केवल स्थानीय, बल्कि दूर-दराज के इलाकों से भी लोग लखनऊ पहुंचते हैं.

चार पीढ़ी से मलाई मक्खन बेचने वाले दीपक शर्मा बताते हैं कि लखनऊ आने वाले तमाम मेहमान बगैर इस मिठास का स्वाद चखे नहीं जाते हैं. पिछले दिनों प्रसिद्ध सिंगर दिलजीत दोसांझ आए थे. उन्होंने भी लखनऊ के मलाई मक्खन का स्वाद लिया था. दीपक बताते हैं कि अब लखनऊ आने वाले तमाम नेता, अभिनेता मलाई मक्खन का जरूर स्वाद लेते हैं. लखनऊ की यह पहचान है.

सिंगर दिलजीत दोसांझ जब लखनऊ आए तो उन्होंने भी मलाई मक्खन का स्वाद लिया.
सिंगर दिलजीत दोसांझ जब लखनऊ आए तो उन्होंने भी मलाई मक्खन का स्वाद लिया. (Photo Credit; ETV Bharat Archive)

दीपक बताते हैं कि इस मिठाई को जादू की छड़ी भी कहा जाता है. यह नवाबों के दौर से चली आई है. मुंह में रखते ही यह मिठाई घुल जाती है. रात में दूध को ओस में रखकर सुबह इसको मथा जाता है. इसके बाद यह मलाई मक्खन तैयार होता है. इसे बनाने में पारंपरिक तरीके का इस्तेमाल किया जाए, तो यह न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक साबित होता है. आंखों के लिए यह बेहद फायदेमंद होता है.

दिल्ली से लखनऊ घूमने आए शाकिर अली कहते हैं कि आप लखनऊ आए और मलाई मक्खन ना खाएं तो आपका आना अधूरा रह जाएगा. हम चौक आए और यहां मलाई मक्खन का स्वाद लिया जो बेहद शानदार है. मैं आइसक्रीम और बाजार का मक्खन-घी खाने से परहेज करता हूं लेकिन लखनऊ के मलाई मक्खन का जायका बेहद शानदार है. यह बेहद मुलायम, हल्का मीठा और स्वाद से भरपूर है.

हालांकि, हाल के वर्षों में बाजार में मलाई मक्खन की कई नई किस्में आई हैं. इनमें से कुछ में केमिकल्स का इस्तेमाल भी किया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. लेकिन, प्राचीन विधि से बने मलाई मक्खन की लोकप्रियता आज भी बरकरार है. विशेषज्ञों का कहना है कि पारंपरिक तरीके से तैयार यह व्यंजन स्वाद और पोषण का बेजोड़ मेल है. लखनऊ का यह अनूठा व्यंजन न केवल एक स्वाद का अनुभव है, बल्कि शहर की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा भी है.

ये भी पढ़ेंः लज्जाराम अभी जिंदा हैं... फिरोजाबाद में फिल्म 'कागज' जैसी कहानी, बुजुर्ग को मुर्दा बताकर बंद किया राशन

लखनऊ: सर्दियां शुरू होते ही लखनऊ की गलियों में मलाई मक्खन...मलाई मक्खन...का शोर रात 12 बजे तक गूंजता हुआ कानों तक पहुंचता है. खास बात ये है कि मलाई मक्खन...का सुर जितना सुरीला होता है, उससे कहीं ज्यादा इसके स्वाद में मिठास होती है. यही स्वाद मलाई मक्खन...की आवाज कान में पड़ते ही मुंह में पानी ला देती है. इसे बनाने का अपना एक खास लखनवी अंदाज है.

मलाई मक्खन की खास बात ये है कि इसे सिर्फ सर्दियों में ही बनाया जा सकता है. इसीलिए इसे सर्दियों का खास व्यंजन या मिठाई कहा जाता है. यह नायाब व्यंजन, दूध, ओस की बूंदों और केसर के मेल से तैयार किया जाता है. इसमें लखनवी अंदाज पिरोने के लिए चांदी के बर्क, बादाम के टुकड़े मिला दिए जाते हैं. लखनऊ के चौक क्षेत्र में ये खास मिठास लिए मलाई मक्खन पीतल के बर्तनों जगह-जगह बिकते दिख जाएंगे.

लखनवी मिठास मलाई मक्खन पर संवाददाता की खास रिपोर्ट. (Video Credit; ETV Bharat)

सर्दियों के तीन महीने में लोगों की जुबान पर इसका स्वाद चढ़ा रहता है. साल भर इस अनूठे स्वाद का इंतजार करने वाले लखनवी लोग चौक क्षेत्र का रुख करते हैं. जहां इस खास मिठास का आनंद लिया जा सकता है. मलाई मक्खन का स्वाद इतना लाजवाब है कि इसे चखने के लिए न केवल स्थानीय, बल्कि दूर-दराज के इलाकों से भी लोग लखनऊ पहुंचते हैं.

चार पीढ़ी से मलाई मक्खन बेचने वाले दीपक शर्मा बताते हैं कि लखनऊ आने वाले तमाम मेहमान बगैर इस मिठास का स्वाद चखे नहीं जाते हैं. पिछले दिनों प्रसिद्ध सिंगर दिलजीत दोसांझ आए थे. उन्होंने भी लखनऊ के मलाई मक्खन का स्वाद लिया था. दीपक बताते हैं कि अब लखनऊ आने वाले तमाम नेता, अभिनेता मलाई मक्खन का जरूर स्वाद लेते हैं. लखनऊ की यह पहचान है.

सिंगर दिलजीत दोसांझ जब लखनऊ आए तो उन्होंने भी मलाई मक्खन का स्वाद लिया.
सिंगर दिलजीत दोसांझ जब लखनऊ आए तो उन्होंने भी मलाई मक्खन का स्वाद लिया. (Photo Credit; ETV Bharat Archive)

दीपक बताते हैं कि इस मिठाई को जादू की छड़ी भी कहा जाता है. यह नवाबों के दौर से चली आई है. मुंह में रखते ही यह मिठाई घुल जाती है. रात में दूध को ओस में रखकर सुबह इसको मथा जाता है. इसके बाद यह मलाई मक्खन तैयार होता है. इसे बनाने में पारंपरिक तरीके का इस्तेमाल किया जाए, तो यह न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक साबित होता है. आंखों के लिए यह बेहद फायदेमंद होता है.

दिल्ली से लखनऊ घूमने आए शाकिर अली कहते हैं कि आप लखनऊ आए और मलाई मक्खन ना खाएं तो आपका आना अधूरा रह जाएगा. हम चौक आए और यहां मलाई मक्खन का स्वाद लिया जो बेहद शानदार है. मैं आइसक्रीम और बाजार का मक्खन-घी खाने से परहेज करता हूं लेकिन लखनऊ के मलाई मक्खन का जायका बेहद शानदार है. यह बेहद मुलायम, हल्का मीठा और स्वाद से भरपूर है.

हालांकि, हाल के वर्षों में बाजार में मलाई मक्खन की कई नई किस्में आई हैं. इनमें से कुछ में केमिकल्स का इस्तेमाल भी किया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. लेकिन, प्राचीन विधि से बने मलाई मक्खन की लोकप्रियता आज भी बरकरार है. विशेषज्ञों का कहना है कि पारंपरिक तरीके से तैयार यह व्यंजन स्वाद और पोषण का बेजोड़ मेल है. लखनऊ का यह अनूठा व्यंजन न केवल एक स्वाद का अनुभव है, बल्कि शहर की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा भी है.

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