कुल्लू: सेब के बागवानों के लिए अच्छी खबर है. कुल्लू घाटी (kullu valley) में सेब के बगीचों (apple orchard) में विदेशी मधुमक्खी मेलिफेरा(Apis mellifera bees) अब परागण करेगी. जिला कुल्लू के बागवान इस मधुमक्खी को हरियाणा से लाएंगे और इसके लिए बागवानों के द्वारा ऑर्डर कर दिए गए हैं. घाटी में अब मौसम के खुलने के बाद तापमान बढ़ने लगा है. इस कारण अप्रैल में सेब के पेड़ों पर फ्लावरिंग शुरू हो गई है. फ्लावरिंग के दौर में फलों की सेटिंग के लिए परागण प्रक्रिया अहम रहती है.
सेब के फल की सेटिंग अच्छी होने से आगामी समय मे बंपर फसल की उम्मीद बढ़ जाती है. घाटी के ऊपरी इलाको में परागण प्रक्रिया के लिए बागवानों को मधुमक्खियों के करीब 20,000 बॉक्स लगते हैं. 50 प्रतिशत बागवानों को स्थानीय मधुमक्खी पालक बॉक्स मुहैया करवा देते हैं, जबकि 50 प्रतिशत बॉक्स हरियाणा से मंगवाए गए है. ऐसे में घाटी के बागवानों के द्वारा तक 10,000 बॉक्सों के आर्डर किए जा चुके हैं.
एपिस मेलिफेरा मधुमक्खियां (ETV Bharat) फसलों के उत्पादन को बढ़ाती है एपिस मेलिफेरा
बता दें कि मधुमक्खी की एपिस मेलिफेरा प्रजाति को इतालवी (इटालियन) मधुमक्खी के नाम से भी जाना जाता है. इसका मूल भारत है, लेकिन यूरोपीय देशों से इसे मंगवाया जाता है. ये मधुमक्खियां सब्जियों वाली फसलें बंदगोभी, धनिया, शलगम, खरबूजा, मूली, गाजर, कद्दू, प्याज, फूल गोभी में परागण के लिए अच्छी मानी जाती हैं. फल और गिरी वाली फसलें जैसे सेब, खुबानी बादाम, सिट्रस आड़ू, स्ट्रॉबेरी, लीची के साथ साथ सरसोस सूरजमुखी में परागण की प्रक्रिया को बढ़ाकर फसल उत्पादन को बढ़ा देती हैं.
फलों की सेटिंग होती है बेहतर
जिला कुल्लू में अब जैसे-जैसे मौसम गर्म होगा तो वैसे ही पॉलीनेशन के लिए बगीचों में मधुमक्खियों नजर आएंगी. बगीचों में मेलिफेरा, सिराना (लोकल मधुमक्खी) प्रजाति की मधुमक्खी परागण का काम करेंगी. मधुमक्खी परागण प्रक्रिया के लिए सहायक होती हैं, इससे फलों की सेटिंग बेहतर होती है. हरियाणा से अब मधुमक्खियां कुल्लू पहुंच रही हैं. इसके अलावा कई बागवानों ने मधुमक्खियों के लिए मधुमक्खी पालकों से खुद भी संपर्क किया है.
क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र, बजौरा के सहायक निदेशक डॉ. भूपेंद्र ठाकुर ने कहा 'इन दिनों सेब के फूलों पर किसी तरह के कीटनाशक का छिड़काव न करें. कीटनाशक से परागण प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाने वाले कीट, मधुमक्खी आदि मर जाते हैं. इससे फसल की सेटिंग प्रभावित होती है. मधुमक्खियों का परागण में काफी अहम रोल रहता है'.