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हेमंत सरकार में पांचवे डीजीपी बने अनुराग गुप्ता, क्यों रहे हैं चर्चा में, भाजपा ने उठाए सवाल - Jharkhand DGP Anurag Gupta

Anurag Gupta became fifth DGP in Hemant government. अनुराग गुप्ता झारखंड के नए डीजीपी बन गए हैं. चार साल में ये पांचवी बार है जब हेमंत सरकार में डीजीपी बदले गए हैं. हालांकि इनके डीजीपी बनने पर विपक्ष सवाल खड़े कर रहा है.

Anurag Gupta became fifth DGP in Hemant government
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 26, 2024, 6:54 PM IST

रांची:झारखंड में एक बार फिर डीजीपी बदल गये हैं. 1989 बैच के अजय कुमार सिंह की जगह सीआईडी के महानिदेशक अनुराग गुप्ता को अगले आदेश तक डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया है. 1990 बैच के अनुराग गुप्ता के पास पहले से एसीबी के महानिदेशक का भी अतिरिक्त प्रभार है. अजय कुमार सिंह को पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड का अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक बना दिया गया है. जबकि 1992 बैच के आईपीएस प्रशांत सिंह को पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन से स्थानांतरित कर संचार एवं तकनीकि सेवा का पुलिस महानिदेशक बनाया गया है. पुलिस के शीर्ष पद पर अचानक हुए इस तबादले पर राजनीति भी शुरु हो गई है.

इन वजहों से चर्चा में रहे अनुराग गुप्ता

1990 बैच के अनुराग गुप्ता 2016 के राज्य सभा चुनाव के वक्त चर्चा में आए थे. तब जेवीएम सुप्रीमो रहे बाबूलाल मरांडी ने साल 2017 में एक सीडी जारी की थी. उसमें पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और तत्कालीन एडीजी रहे अनुराग गुप्ता के बीच हुई बातचीत का जिक्र था. बाबूलाल मरांडी का आरोप था कि कांग्रेस विधायक निर्मला देवी को वोट देने से रोकने के लिए धमकी दे रहे थे. इसी मामले में चुनाव आयोग ने अनुराग गुप्ता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने को कहा था. उनके खिलाफ 29 मार्च 2018 को प्राथमिकी दर्ज हुई थी. 14 फरवरी 2020 को हेमंत सरकार ने अनुराग गुप्ता को निलंबित कर दिया था. वह करीब 26 माह तक निलंबित रहे थे. हालांकि बाद में कैट यानी सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल ने सुनवाई के बाद राज्य सरकार को निलंबन वापस लेने का आदेश दिया था. कैट ने अपने फैसले में कहा था कि नियमानुसार को दो साल से ज्यादा अवधि तक निलंबित नहीं रखा जा सकता. इसके बाद विभागीय कार्रवाई चली और अनुराग गुप्ता को क्लीन चिट मिल गया.

झारखंड में कैसे बदलते रहे डीजीपी

2019 के विस चुनाव के बाद हेमंत सोरेन के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनी थी. उस वक्त 1986 बैच के आईपीएस कमल नयन चौबे राज्य के डीजीपी थे. लेकिन सरकार बनने के तीन माह के भीतर केएन चौबे को हटाकर 1987 बैच के आईपीएस रहे एमवी राव को राज्य के डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया था. राज्य सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका के जरिए चुनौती भी दी गई थी. वह एक साल भी इस पद पर नहीं रह पाए. उनकी जगह 11 फरवरी 2021 को 1987 बैच के आईपीएस नीरज कुमार को नियमित डीजीपी बनाया गया. तब नीरज सिन्हा जैप डीजी थे. उनके पास एसीबी डीजी का भी प्रभार था. नीरज सिन्हा 31 जनवरी 2022 को ही सेवानिवृत्त होने वाले थे. लेकिन राज्य सरकार ने एक साल सेवा विस्तार दे दिया था. बाद में उन्हें झारखंड कर्मचारी चयन आयोग का चेयरमैन भी बनाया गया. नीरज सिन्हा का कार्यकाल पूरा होने के बाद 1989 बैच के अजय कुमार सिंह को फरवरी 2023 में डीजीपी बनाया गया था. इससे पहले वह पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड के सीएमडी थे.

हेमंत सरकार में किस डीजीपी का रहा कितना कार्यकाल

  • 1986 बैच के आईपीएस कमल नयन चौबे- जून, 2019 से 14 मार्च 2020 तक
  • 1987 बैच के आईपीएस एमवी राव- 15 मार्च 2020 से 12 फरवरी 2021 तक
  • 1987 बैच के आईपीएस नीरज कुमार- 11 फरवरी, 2021 से 11 फरवरी 2023 तक
  • 1989 बैच के अजय कुमार सिंह- 15 फरवरी 2023 से 26 जुलाई 2024 तक

विपक्ष ने उठाए सवाल

डीजीपी के बदले जाने पर भाजपा विधायक सह सदन में मुख्य सचेतक बिरंची नारायण ने सवाल उठाते हुए कहा है कि राज्य में विधि व्यवस्था का संकट है. यहां अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग की बोली लगती है. आश्चर्य नहीं होना चाहिए, जब आने वाले दिनों में कुछ और पुलिस अधिकारी बदल दिए जाएं. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार में भगवान ही राज्य का मालिक है, वैसे भी जिस राज्य में 4 साल में तीन-तीन बार मुख्यमंत्री शपथ लेता हो वहां चार बार डीजीपी का बदलना कोई आश्चर्य का विषय नहीं है.

जवाब में हेमंत कैबिनेट में कांग्रेस कोटे के मंत्री बन्ना गुप्ता का कहना है कि डीजीपी को बदलना सरकार का विशेषाधिकार है. क्या अब विशेषाधिकार पर भी हमला होगा. उन्होंने यहां तक कह दिया कि क्या बनिया (बैकवर्ड) डीजीपी नहीं बन सकता. क्या बैकवर्ड सिर्फ अंतिम पायदान पर खड़ा होकर सिसकते और भटकते रहे.

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