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अपने प्यार से रूठ उल्टी दिशा में चल पड़ीं नर्मदा, दिलचस्प है सोन, जोहिला की प्रेम कहानी - NARMADA SON RIVER LOVE STORY

मंडप सज चुका था, दूल्हा बनकर सोनभद्र पहुंच चुके थे लेकिन इस बीच नर्मदा जी की सहेली ने धोखा दे दिया और वो रूठ गईं.

NARMADA SON RIVER LOVE STORY
नर्मदा-सोन की प्रेम कहानी (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 30, 2025, 4:18 PM IST

Updated : Jan 30, 2025, 9:21 PM IST

अनूपपुर(अखिलेश शुक्ला):शहडोल संभाग के अनूपपुर जिले में स्थित है अमरकंटक. अमरकंटक एक ऐसी जगह है जहां से नर्मदा, सोन और जोहिला इन तीन नदियों का उद्गम होता है. दिलचस्प बात ये भी है कि अमरकंटक से ही निकलने वाली नदियों में नर्मदा जहां पश्चिम की ओर बहती हैं, तो सोन नदी पूरब की ओर बहती है यानि दोनों विपरीत दिशा में जाते हैं.

इसके अलावा तीसरी नदी जोहिला भी इन दोनों नदियों से अलग दिशा में बहती है हालांकि कुछ दूर जाकर वो सोन नदी में मिल जाती हैं. लेकिन सोन, नर्मदा दोनों नदियों के एकदम विपरीत दिशा में बहने के पीछे जो जन श्रुति है वो काफी रोचक और दिलचस्प है. जिसमें बताया जाता है नर्मदा जी को प्यार में धोखा मिला था. इन नदियों के बीच गजब की प्रेम कहानी के चर्चे अक्सर सुनने को मिल जाते हैं.

इतिहासकार रामनाथ परमार बता रहे हैं मां नर्मदा की पौराणिक प्रेम कहानी (ETV Bharat)

सोनभद्र और नर्मदाजी का तय हुआ था विवाह

इतिहासकार रामनाथ परमार बताते हैं कि "मैकल पर्वत से 3 नदियों का उद्गम हुआ है. नर्मदा जी वैसे शिवजी की पुत्री मानी जाती हैं और सोनभद्र पुरुषवाचक शब्द है. जोहिला नर्मदा जी की सेविका थी, सखी भी कह सकते हैं. पुराणों में कथानक है जनश्रुतियों में अक्सर यह कहा जाता है कि सोनभद्र और नर्मदा जी की विवाह की तैयारी चल रही थी. अमरकंटक में माई की बगिया स्थित है वहां मंडप भी सज चुका था, दोनों के विवाह की पूरी तैयारी हो चुकी थी. मंडप में सोनभद्र दूल्हा के भेष में आ भी चुके थे और नर्मदा जी श्रृंगार कर रही थीं. दुल्हन बनकर तैयार हो रही थीं."

अमरकंटक में मां नर्मदा का उद्गम स्थान (ETV Bharat)

प्यार में मिला धोखा, विपरीत दिशा में बह निकलीं मां नर्मदा

इतिहासकार रामनाथ परमार बताते हैं कि "मंडप के नीचे नर्मदाजी को आना ही था तभी उनकी मुंह लगी सखी जोहिला ने स्वांग किया या उन्हें भी सोनभद्र से आंतरिक प्रेम था. जहां सोनभद्र दूल्हा बनकर बैठे थे इस मंडप के नीचे जोहिला दुल्हन बनकर बैठ गईं और जैसे ही दुल्हन के भेष में नर्मदा जी मंडप में बैठने के लिए वहां पहुंची तो देखा कि सोनभद्र के साथ कोई और बैठी हुई है. सोनभद्र के साथ जोहिला दुल्हन के भेष में थी तो सोनभद्र पहचान नहीं पाए लेकिन नर्मदा जी ने यह देख लिया कि जोहिला वहां बैठी हुई हैं. वह समझ गईं और वहीं से गुस्से में वो मानवीय रूप छोड़कर नदी रूप धारण करके पश्चिम दिशा की ओर बह निकलीं."

कई पौराणिक कथाओं में मां नर्मदा की प्रेम कहानी का है जिक्र (ETV Bharat)

सच्चाई जानकर सोनभद्र ने जोहिला का छोड़ा साथ

इतिहासकार रामनाथ परमार बताते हैं कि "जब नर्मदा जी पश्चिम की ओर बह निकलीं तो सोनभद्र ने देखा कि अब यहां स्थिति कुछ और बन गई है, क्योंकि सोनभद्र ये बिल्कुल भी नहीं जानते थे, और जब उन्हें समझ में आया कि उनके साथ गलत हो गया है तो वो गुस्से में जोहिला की ओर बिना देखे हुए ही पूर्व दिशा की ओर प्रवाहमान हो गए. जब जोहिला ने यह देखा कि नर्मदा जी भी चली गई सोनभद्र भी विपरीत दिशा में चले गए तो जोहिला भी बीच रास्ता बनाते हुए उत्तरायण हो चली.

जोहिला ने अपनाया बीच का रास्ता

जब सोनभद्र पूर्व में प्रवाह मान हो गए तो जोहिला ने बीच का रास्ता अपनाया और साथ-साथ कुछ दूर तक नर्मदा जी के पैरलल चली और मैकल पर्वत होते हुए जब सोनभद्र जब मैकल पर्वत से आगे पूर्व की ओर प्रवाहमान हुए और वो उत्तरायण दिशा की ओर प्रवाहित हुए तो पूर्व से पश्चिम की ओर वो भी चले लेकिन तब तक उन्होंने देखा कि जोहिला भी वहां पहुंच रही थी, और वहां वो आगे बढ़ गए. तब तक जोहिला वहीं सोनभद्र से मिल गईं.

नर्मदाजी की पश्चिम तो सोन की है पूर्व दिशा

सोनभद्र और जोहिला का संगम उमरिया जिले के दशरथ घाट के पास होता है, लेकिन तब तक सोनभद्र का प्रवाह आगे बढ़ चुका था और फिर वह आगे मारकंडे की ओर चल पड़े और वहां उत्तरायण चले और फिर पूर्व की ओर जाते हैं. सोनभद्र का प्रवाह पूर्व की ओर प्रवाहित हुआ इस तरह से वह जाकर के गंगा जी से पटना बिहार में मिल जाते हैं और फिर वहां से बंगाल की खाड़ी में जाकर उनका प्रवाह होता है. वही नर्मदा जी का प्रवाह खंभात की खाड़ी में होता है. दोनों एक दूसरे के विपरीत दिशा में बहते हैं. सोनभद्र जहां पूर्व की ओर तो नर्मदा जी पश्चिम दिशा की ओर प्रवाहित होती हैं.

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पवित्र नदियों में से एक हैं मां नर्मदा

बता दें की नर्मदा नदी की विपरीत धारा ही उन्हें दूसरे नदियों से अलग बनाती हैं. जहां देश की ज्यादातर नदियां पश्चिम दिशा से पूर्व की ओर बहती हैं और बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं तो वहीं नर्मदा विपरीत दिशा में बहते हुए पश्चिम की ओर बहती हैं और अरब सागर में जाकर गिरती हैं. नर्मदा नदी को मध्य प्रदेश की जीवनदायनी माना जाता है. लोग मां नर्मदा के नाम से इन्हें पूजते हैं और उनकी काफी धार्मिक मान्यता भी है. नर्मदा भारत के दो बड़े राज्यों मध्य प्रदेश और गुजरात से होकर गुजरती है और यहां की प्यास बुझाती है और ये मुख्य नदियों में से एक मानी जाती है.

Last Updated : Jan 30, 2025, 9:21 PM IST

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